India-UAE Relation / PM मोदी जाएंगे अबू धाबी... UAE और भारत की दोस्ती क्यों है जरूरी?

Zoom News : Feb 13, 2024, 07:50 AM
India-UAE Relation: प्रधानमंत्री 14 फरवरी को संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी पहुंचेंगे. पिछले 8 महीनों में पीएम मोदी का यूएई में यह तीसरा दौरा होगा. वह अबू धाबी के पहले हिन्दू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. मंदिर को BAPS नाम की संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है, जिसने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कराया है. भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत अब्दुल नासिर अल शाली ने BAPS हिंदू मंदिर के होने वाले उद्घाटन को UAE के लिए खास मौका बताया है. उनका कहना है कि भारत और UAE अपनी दोस्ती को मजबूत कर रहे हैं.

पीएम मोदी 14 और 15 फरवरी को UAE में रहेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, अपने दो दिवसीय दौर में पीएम मोदी वहां के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ द्विपक्षीय बातचीत में शामिल होंगे. राष्ट्रपति के बुलावे पर ही पीएम मोदी दुबई में होने वाले वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट 2024 में बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर शामिल होंगे. वह समिट को सम्बोधित भी करेंगे. उम्मीद की जा रही मंदिर के उद्घाटन और द्विपक्षीय बातचीत के बाद सम्बंध और भी मजबूत होंगे और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी. जानिए, दोनों देशों के सम्बंध कैसे मजबूत हो रहे हैं और यह दोस्ती क्यों है जरूरी?

टॉप ट्रेडिंग पार्टनर के साथ मजबूत हो रहे सम्बंध

यूएई और भारत दोनों ही ट्रेडिंग पार्टनर हैं. साल 2022-2023 के बीच दोनों देशों के बीच 85 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ. वहीं, यूएई भारत में फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट के मामले में टॉप-4 देशों में शामिल रहा अब व्यापार के इतर दोनों सहयोगी देश अपने सम्बंधों को डिफेंस, एनर्जी, स्पेस और आईटी सेक्टर में भी स्थापित करना चाहते हैं. हाल में इसको लेकर संधि को मंजूरी भी दी गई है.

अब्दुल नासिर अल शाली कहते हैं, भारत के लिए यूएई चौथा सबसे बड़ा निवेशक है और तीसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. निवेश के मामले में एविएशन सेक्टर बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है.

भारतीयों के लिए गोल्डन वीजा

यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर का कहना है, भारतीयों के लिए यूएई की “गोल्डन वीज़ा” योजना ने अहम भूमिका निभाई है. यूएई में करीब 35 लाख भारतीय नागरिक हैं, जो दुनिया के किसी भी हिस्से में सबसे बड़ी संख्या है. लेकिन अगर ज्यादा से ज्यादा व्यापार होता है, ज्यादा निवेश होता है तो लोगों का आपसी संपर्क भी और मजबूत होते हैं. यूएई में बढ़ती भारतीयों की संख्या वहां के विकास में भी अहम रोल निभा रही है.

चीन को जवाब देने के लिए भी दोस्ती जरूरी

पश्चिम एशिया में एंट्री के लिए संयुक्त अरब अमीरात भारत का प्रवेश द्वार जैसा है. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चीन पश्चिम एशिया और मध्य-पूर्व में अपना रुतबा बढ़ाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है. कुछ समय पहले चीन ने ईरान और सऊदी के बीच शांतिदूत की भूमिका अदा की थी.

पिछले साल मार्च में ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अली शामखानी और सऊदी अरब के मुसाद बिन मोहम्मद अल ऐबन ने राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल के लिए चीन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक वांग यी की उपस्थिति में बीजिंग में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस अप्रत्याशित घटनाक्रम का पूरे क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. चीन रणनीतिक रूप से पश्चिम एशिया में, खासतौर पर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ संबंध बना रहा है, जिसमें कूटनीति, सैन्य सहयोग, रणनीतिक साझेदारी, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और स्वास्थ्य शामिल हैं. ऐसे में भारत की यूएई की बढ़ती दोस्ती एक अच्छा संकेत है.

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