Twitter Trend / ट्विटर ट्रेंड में नम्बर वन #प्रताप_विरोधी_कांग्रेस, राजस्थान से शुरू हुआ विरोध देश में पहुंचा

Zoom News : Jun 28, 2020, 06:44 PM
जयपुर | चाटुकार लेखकों की लेखनी के बल पर स्कूली पाठ्यक्रम (School Books of History Rajasthan) में इतिहास की जगह भांडवृत्ति परोसने के विरोध में राजस्थान (Rajasthan) ही नहीं देशभर के लोगों का गुस्सा रविवार को चरम पर रहा। लोगों ने प्रताप विरोधी कांग्रेस (Anti Pratap Congress) के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर जमकर विरोध किया कि प्रताप विरोधी कांग्रेस का मामला नम्बर वन ​ट्रेंड (Twitter Trend) पर रहा। महज दो घंटे में एक लाख से अधिक ट्वीट हुए।

स्वातंत्र्य आन—बान का प्रतीक महाराणा प्रताप (Maharana Pratap History) और मेवाड़ का इतिहास (Mewar History) कलंकित करने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (Rajasthan Secondary Education Board) और शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा जमकर निकला। क्षात्र पुरुषार्थ फाउण्डेशन के संयोजक रेवंतसिंह पाटोदा ने बताया कि लोगों में राजस्थान के इतिहास के प्रति अगाध श्रद्धा और समर्पण का भाव है। इस भाव पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बदले गए पाठ्यक्रम से भावनात्मक चोट पहुंची है। महाराणा प्रताप ही नहीं, बल्कि महारानी पद्मिनी के इतिहास को भी कलंकित किया  जाने का विरोध संगठन ही नहीं सभी लोगों ने किया। इस मुद्दे पर जागरूकता आने के बाद आमजन ने दिनभर में इस विषय पर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा की और यह मुद्दा राजस्थान ही नहीं देश में नम्बर वन पर ट्रेंड करने लगा। यह मामला बीते कई दिनों से चल रहा है, लेकिन  राजस्थान सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं होने के चलते लोगों में खासा आक्रोश था। 

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भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवणसिंह बगड़ी ने बताया कि इस अभियान के माध्यम से लोगों ने साफ संदेश दिया है कि किसी भी सूरत में इतिहास को कलंकित नहीं होने दिया जाएगा। भले ही वह इतिहास महाराणा प्रताप का हो या महाराजा सूरजमल का। यह जातियों से जुड़ा विषय नहीं है, प्रत्येक समाज के गौरव और शान का प्रतीक हैं ये इतिहासपुरुष! यदि कोई भी सरकार इस भावना पर चोट पहुंचाती है तो उसे सहन नहीं किया जाएगा। 
गौरतलब है कि महाराणा प्रताप और मेवाड़ के इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश किए जाने के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहा है। कई संगठनों ने इस मुद्दे पर ज्ञापन भी सौंपे हैं।

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