- भारत,
- 22-Aug-2025 12:40 PM IST
Russia-Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्धविराम को लेकर अपने रुख में बदलाव का संकेत दिया है। पहले उन्होंने युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत की मध्यस्थता करने की योजना की घोषणा की थी। लेकिन अब उनका कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को पहले स्वयं आमने-सामने बातचीत करनी चाहिए। यह नया रुख ट्रंप की पहले की स्थिति से एक यू-टर्न माना जा रहा है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
ट्रंप और पुतिन की फोन पर बातचीत
19 अगस्त 2025 को व्हाइट हाउस में जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ चर्चा के दौरान ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की थी। इस बातचीत में ट्रंप ने सुझाव दिया था कि पुतिन और जेलेंस्की की मुलाकात युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआती कदम हो सकती है। उन्होंने इस मुलाकात को युद्धविराम की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में प्रस्तुत किया था।
द्विपक्षीय वार्ता पर जोर
अब ट्रंप ने अपने ताजा बयान में संकेत दिया है कि रूस और यूक्रेन के बीच स्थायी शांति के लिए दोनों नेताओं को पहले सीधे बातचीत करनी होगी। हाल ही में WABC रेडियो के होस्ट मार्क लेविन के साथ एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "मैं बस यह देखना चाहता हूं कि पुतिन और जेलेंस्की की बैठक में क्या होता है।" इस बयान से साफ है कि ट्रंप अब तत्काल युद्धविराम और मध्यस्थता की अपनी पहले की रणनीति से पीछे हट रहे हैं और दोनों नेताओं की द्विपक्षीय वार्ता को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यूक्रेन पर बढ़ सकता है दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नई रणनीति यूक्रेन पर दबाव बढ़ा सकती है। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया है कि यूक्रेन को अपने खोए हुए क्षेत्रों और नाटो सदस्यता की उम्मीद को छोड़ना पड़ सकता है। यह बयान यूक्रेन के लिए एक कठिन स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि यह न केवल क्षेत्रीय नुकसान को स्वीकार करने की बात करता है, बल्कि यूक्रेन की भविष्य की सुरक्षा गारंटी को भी प्रभावित कर सकता है।
ट्रंप की रणनीति के निहितार्थ
ट्रंप का यह बदला हुआ रुख कई सवाल खड़े करता है। क्या यह रणनीति रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने में मदद करेगी, या यह यूक्रेन को और कमजोर कर देगी? विशेषज्ञों का एक वर्ग मानता है कि ट्रंप की यह रणनीति रूस को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचा सकती है, क्योंकि यह यूक्रेन को कठिन समझौतों के लिए मजबूर कर सकती है। दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञ इसे एक व्यावहारिक दृष्टिकोण मानते हैं, जो दोनों पक्षों को बिना बाहरी हस्तक्षेप के अपनी शर्तों पर बातचीत करने का मौका देता है।
