निर्मलजीत सिंह सेखों / वह परमवीर जिसने बिना अनुमति उड़ान भरी, मिसाइल के बिना ही, कहा दो जेट के पीछे हूं जाने नहीं दूंगा, जाने भी नहीं दिया

Zoom News : Jul 17, 2020, 10:55 AM

Ludhiyana | मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है। अपने साथी घुम्मन से बात करते निर्मल के लिए मौत एक खेल ही था। जी हां हम बात कर रहे हैं परमवीर निर्मलजीत सिंह सेखों की। श्रीनगर हवाई अड्डे को बचाने के लिए उन्होंने अप्रतिम शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के दो हवाई जहाज मार गिराए और देश के लिए शहादत दी। आज उनकी जयंती है। ऐसे में इस वीर को याद करना तो बनता ही है।

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों (जन्म 17 जुलाई 1943 - शहादत 14 दिसंबर 1971) भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी थे। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना के हवाई हमले के खिलाफ श्रीनगर एयर बेस के बचाव में शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

सेखों का जन्म 17 जुलाई 1943 को लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत में सेखों जाट सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम फ्लाइट लेफ्टिनेंट तारलोक सिंह सेखों था। उन्हें 4 जून 1967 को पायलट अधिकारी के रूप में भारतीय वायुसेना में सम्मिलित किया गया था।

भावनाएं भी कमजोर न कर पाईं

सेखों की नई—नई शादी हुई थी। हनीमून के लिए छुट्टियां कहां बिताई जाएं। इस पर मश्वरा चल रहा था। इसी दौरान 3 दिसम्बर 1971 को खबर आती है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ जंग छेड़ दी है। फिर क्या था तत्काल सेखों ने तय किया कि वह मोर्चा संभालेंगे। आमतौर पर यह आसान नहीं होता। जरा सोचिए किसी की पत्नी के हाथों की मेंहदी भी न छूटी हो, और उसे ऐसे सफर पर निकलना हो, जहां से वापसी की गारंटी न हो। पत्नी मंजीत कौर को घर छोड़कर सेखों कर्तव्यपथ पर बढ़े, वापस लौटे, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

क्या हुआ था उस दिन

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह भारतीय वायुसेना की "द फ्लाइंग बुलेट" 18वीं स्क्वाड्रन में काम कर रहे थे। 14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर हवाई अड्डे पर पाकिस्तान वायु सेना के एफ-86 जेट विमानों द्वारा 26वीं स्क्वाड्रन पीएएफ बेस पेशावर से हमला किया। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। जैसे ही हमला हुआ सेखों अपने विमान के साथ अटैक स्थिति में आ गए और तब तक फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर तैयार हो चुके थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है। निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड इंतजार किया।

जवाब मिला नहीं तो बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मिनट पर दोनों वायु सेना अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रनवे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकर दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफील्ड पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तौयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सके लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...

"मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा..."

उसके कुछ ही क्षण बाद नेट से आक्रमण की आवाज़ आसपान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया...

"मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।"

इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजीत सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी। इसके बाद नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा...

"शायद मेरा जेट भी निशाने पर आ गया है... घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।" इसके बाद उन्होंने अपने जलते हुए फाइटर जेट को सीधा रखते हुए लैंड करने की कोशिश की मगर विमान का कंट्रोल सिस्टम अचानक फेल हो गया और विमान पहाड़ियों में जा गिरा अंतिम क्षणों में फ़्लाइंग अफसर निर्मलजीत सिंह सेखो ने इजेक्ट का आखिरी प्रयास किया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थो और निर्मलजीत सिंह फाइटर प्लेन समेत पहाड़ियों में जा गिरे।

यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था और वह वीरगति को प्राप्त हो गए। 

दुश्मन ने भी की थी तारीफ

अपना काम पूरा करके वह देश की आन, बान, शान के लिए वीरगति को प्राप्त हो गए। भारतीय सेना और वायुसेना के तमाम ऑपरेशनों के बाद भी इन अमर बलिदानी का शव पहाड़ियों से ढ़ूढ़ा नहीं जा सका। जो उन के परिजनों के लिए बहुत ही दुखद था।अद्भुत पराक्रम एवं शौर्य तथा कर्त्तव्य के प्रति निष्ठा एवं रणभूमि में सर्वोच्च वीरता के प्रदर्शन के कारण इन्हें मरणोपरांत इन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता सम्मान “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया। विडंबना की बात ये भी रही की बिना आदेश मिले जहाज उड़ाने के कारण “कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी” भी हुई जिसे मात्र एक खानापूर्ति तक सीमित रखा गया। जिस पाकिस्तानी पाइलेट “सलीम बेग मिर्जा” जिसने उनके विमान पर निशाना लगाया था, उसने बाद में एक पुस्तक और कई स्थानीय आर्टिकल्स में निर्मलजीत सिंह सेखों के रणकौशल की भूरी-भूरी प्रसंशा की।वे भारतीय वायुसेना के एकमात्र परमवीर चक्र सम्मानित हैं. भारतवर्ष की एकता और अखंडता पर प्राण न्यौछावर करने वाले भारत माँ के वीर सपूत को आज जन्म उनके दिवस पर शत्-शत् नमन, वंदन व् अभिनन्दन.. जय हिंद की सेना!!

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की इस अतुलनीय वीरता व साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1972 में मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया।

आज इन की जयंती  पर हम सब परमवीर चक्र विजेता फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखो के बलिदान को याद करते हुये उनको शत शत नमन करते है!

जय हिन्द ... जय हिन्द की सेना !!!

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