Rajasthan / राजस्थान में TTP के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहा मौलवी उमर गिरफ्तार

राजस्थान पुलिस ने मौलवी उमर को गिरफ्तार किया है, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहा था। वह युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसा रहा था। उसके मोबाइल से डिलीट किया गया डेटा रिकवर किया गया है, जिसमें तीन लाख फोटो मिले हैं। उमर अफगानिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण लेने की योजना बना रहा था।

राजस्थान पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मौलवी उमर को गिरफ्तार किया है, जिस पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए भारत में स्लीपर सेल तैयार करने का गंभीर आरोप है। यह गिरफ्तारी राज्य में आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है। मौलवी उमर पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का आरोप है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता था। पुलिस अब उससे गहन पूछताछ कर रही है ताकि उसके नेटवर्क और संभावित सहयोगियों का पता लगाया जा सके।

गिरफ्तारी और प्रारंभिक जांच

मौलवी उमर, जिसे ओसामा उमर के नाम से भी जाना जाता है, को राजस्थान के जालौर जिले के सांचौर से गिरफ्तार किया गया था। एटीएस के महानिरीक्षक विकास कुमार के अनुसार, उमर को 4 नवंबर को पकड़ा गया था और प्रारंभिक पूछताछ के बाद 6 नवंबर को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी तब हुई जब वह अपनी आतंकी योजनाओं को अंजाम देने के करीब था। उस पर गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो आतंकवाद से संबंधित अपराधों से निपटने के लिए एक कड़ा कानून है। इस अधिनियम के तहत गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि अधिकारियों। ने उसके कृत्यों को अत्यंत गंभीर प्रकृति का माना है।

कट्टरपंथ और युवाओं को उकसाना

जांच में सामने आया है कि मौलवी उमर मुस्लिम युवाओं को 'जिहाद' के नाम पर उकसा रहा था। वह उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा की ओर धकेल रहा था और उन्हें आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम करने के लिए प्रेरित कर रहा था और इस तरह की गतिविधियां समाज के ताने-बाने को तोड़ने और युवाओं को हिंसा के रास्ते पर धकेलने का काम करती हैं। उसकी प्रेरणा और संदेशों का उद्देश्य युवाओं को मुख्यधारा से अलग करना और उन्हें चरमपंथी एजेंडे का हिस्सा बनाना था, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है।

डिजिटल साक्ष्य और डेटा रिकवरी

अपनी गिरफ्तारी से पहले, मौलवी उमर ने अपने मोबाइल फोन का सारा डेटा डिलीट कर दिया था, संभवतः सबूत मिटाने के इरादे से और हालांकि, फोरेंसिक लैब की मदद से पुलिस ने सफलतापूर्वक उस डेटा को रिकवर कर लिया है। उसके मोबाइल से लगभग तीन लाख फोटो बरामद हुए हैं, जो जांचकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुराग हो सकते हैं। यह बड़ी संख्या में तस्वीरें उसकी गतिविधियों, संपर्कों और संभावित आतंकी नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकती हैं। डिजिटल साक्ष्य की यह रिकवरी मामले को मजबूत करने और उसकी योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

आतंकी सैफुल्लाह से प्रेरणा

पूछताछ में यह भी सामने आया है कि मौलवी उमर लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकी सैफुल्लाह से काफी प्रभावित था। वह सैफुल्लाह के वीडियो देखा करता था, जिससे उसकी कट्टरपंथी विचारधारा को और बल मिला। ऑनलाइन माध्यमों से आतंकी प्रचार और प्रेरणा का यह मामला दिखाता है कि कैसे आतंकवादी संगठन युवाओं को दूर से ही प्रभावित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं और सैफुल्लाह जैसे आतंकियों के वीडियो देखकर उमर ने संभवतः अपनी आतंकी गतिविधियों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम देने के लिए प्रेरित हुआ।

अफगानिस्तान प्रशिक्षण की योजना

एटीएस के महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि उमर कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान स्थित एक आतंकी कैंप में प्रशिक्षण लेने के लिए जाने वाला था और उसकी योजना 8 नवंबर को दुबई जाने की थी और वहां से उसे अफगानिस्तान पहुंचना था। यह खुलासा उसकी आतंकी गतिविधियों की गंभीरता और उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को दर्शाता है। अफगानिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त करने का उसका इरादा यह संकेत देता है कि वह एक पूर्णकालिक आतंकवादी बनने की राह पर था, जो भारत में बड़े पैमाने पर विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दे सकता था।

स्लीपर सेल बनाने का मकसद

अफगानिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, मौलवी उमर की योजना राजस्थान में वापस आकर स्लीपर सेल बनाने की थी। स्लीपर सेल ऐसे गुप्त समूह होते हैं जो किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी में निष्क्रिय रहते हैं और सही समय पर सक्रिय हो जाते हैं और उसकी यह योजना भारत की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती थी, क्योंकि ऐसे सेल देश के भीतर से ही आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं। उसकी गिरफ्तारी ने इस बड़ी साजिश को समय रहते विफल कर दिया है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और धार्मिक संबंध

विकास कुमार ने यह भी बताया कि उमर के परिवार का एक लंबा धार्मिक इतिहास रहा है और उसके अधिकांश रिश्तेदार धार्मिक शिक्षा और मस्जिदों से जुड़े हुए हैं। उसके पिता भी मदरसे में पढ़ाते हैं। यह तथ्य इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे कुछ व्यक्ति धार्मिक संस्थानों और पृष्ठभूमि का दुरुपयोग कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और युवाओं को गुमराह करने के लिए कर सकते हैं। यह धार्मिक शिक्षा के नाम पर होने वाली संभावित गलत गतिविधियों पर निगरानी रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

आगे की जांच और रिमांड

उमर को दो बार छह-छह दिन के रिमांड पर लिया गया है, जिसके दौरान एटीएस ने उससे गहन पूछताछ की है और इस पूछताछ में उमर ने कई अहम राजफाश किए हैं, हालांकि उन राजफाशों का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। रिमांड अवधि का उपयोग उसके नेटवर्क, फंडिंग स्रोतों, सहयोगियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी निकालने के लिए किया जा रहा है। जांच एजेंसियां अब इन खुलासों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगी ताकि इस। पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके और देश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उसके कब्जे से अफगानिस्तान की एक मोबाइल सिम भी मिली है, जो उसके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का एक और प्रमाण है।