देश / स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काटकर लाएं, 51 हजार ले जाएं; हिंदू महासभा के नेता का ऐलान

Zoom News : Jan 24, 2023, 10:26 AM
Swami Prasad Maurya remark over Ramcharitmanas: रामचरितमानस पर बिहार से शुरू हुआ विवाद अब उत्तर प्रदेश पहुंच गया है. यहां समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की चौपाइयों को भेदभाव वाला बताते हुए इसे बैन करने की मांग कर दी है. इसके बाद हिंदू महासभा के नेता ने उनकी जीभ काटने वाले के लिए इनाम की घोषणा कर दी. दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को कथित तौर पर भेदभाव वाला बताया था जिसके एक दिन बाद अखिल भारत हिंदू महासभा के एक नेता ने उनकी जीभ ‘काटने’ वाले को 51 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की.

महासभा के आगरा जिला प्रभारी सौरभ शर्मा ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काट देता है तो उसे इनाम के तौर पर 51 हजार रुपये का चेक दिया जाएगा. उन्होंने हमारे धार्मिक ग्रंथ का अपमान किया है. साथ ही उन्होंने हिंदुओं की भावना को भी आहत किया है.’ यही नहीं, अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने आगरा में सोमवार को मौर्य के बयान के विरोध में उनकी सांकेतिक अर्थी निकाली और फिर उसे यमुना में फेंक दिया.

सपा में भी घमासान

स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उन्हीं की पार्टी के विधायकों ने विरोध किया है. सपा विधायकों ने कहा कि वो इस मामले में पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात कर उन्हें स्थिति से अवगत कराएंगे. समाजवादी पार्टी के नेता मनोज पांडे ने कहा कि रामचरितमानस एक ऐसा ग्रन्थ है, जिसे पूरी दुनिया में पढ़ा और माना जाता है.

सपा विधायक पांडेय ने कहा कि ये ग्रंथ मनुष्य को नैतिक मूल्यों और आपसी संबंधों के महत्व को बताती है. उन्होंने कहा कि हम सिर्फ रामचरितमानस ही नहीं, बाइबिल, कुरान और गुरुग्रंथ साहिब का भी उतना ही सम्मान करते हैं. ये ग्रंथ हमें सभी के साथ जीना सिखाते हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव उत्तराखंड में हैं और उन्हें इस बारे में जानाकारी है. 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, 'रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह धर्म नहीं अधर्म है. ये न केवल बीजेपी, बल्कि संतों को भी हमले के लिए उकसाता है. रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और कुम्हार जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जिससे इन जातियों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं.' सपा नेता मौर्य ने ग्रंथ के इस हिस्से को बैन करने की मांग की थी.

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER