- भारत,
- 11-Aug-2025 06:00 PM IST
Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये की गिरती कीमत को संभालने के लिए इस महीने कम से कम 5 अरब डॉलर की अमेरिकी मुद्रा बेची है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रांजेक्शन से परिचित सूत्रों ने बताया कि यह कदम रुपये को उसके सर्वकालिक निचले स्तर से बचाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, आरबीआई की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यदि यह रुझान जारी रहा, तो यह जनवरी के बाद से आरबीआई की शुद्ध डॉलर बिक्री का सबसे बड़ा महीना हो सकता है।
रुपये पर दबाव और वैश्विक प्रभाव
पिछले हफ्ते रुपया 87.89 प्रति डॉलर के स्तर तक लुढ़क गया, जो अपने ऐतिहासिक निचले स्तर से केवल थोड़ा ही ऊपर था। इस गिरावट का प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 6 अगस्त को रूसी तेल खरीद के जवाब में भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को दोगुना कर 50% करने का निर्णय था। कमजोर रुपया आयातित महंगाई को बढ़ा सकता है, जिससे भारत की पहले से ही कमजोर आर्थिक रिकवरी पर और दबाव पड़ सकता है।
इस हस्तक्षेप को दिसंबर में पदभार ग्रहण करने वाले आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में केंद्रीय बैंक के पहले के संयमित रुख से बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, पिछले हफ्ते कई मौकों पर आरबीआई को मुंबई समयानुसार सुबह 9 बजे घरेलू करेंसी ट्रेड शुरू होने से पहले ऑफशोर मार्केट में हस्तक्षेप करते देखा गया।
एशिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में रुपया
इस साल रुपये में 2% से अधिक की गिरावट आई है, जिसके कारण यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में शामिल हो गया है। इस गिरावट का लगभग आधा हिस्सा पिछले दो हफ्तों में दर्ज किया गया, जब ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ में लगातार वृद्धि की। तथाकथित नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स (एनडीएफ) के उपयोग से आरबीआई को बड़ी मात्रा में डॉलर बेचे बिना रुपये की दिशा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। पिछले साल भी केंद्रीय बैंक ने इस रणनीति पर काफी भरोसा किया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में 9.3 बिलियन डॉलर की कमी आई है, जो नवंबर के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है। 1 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 689 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। इस कमी का एक हिस्सा वैश्विक मुद्राओं के मूल्यांकन में बदलाव को दर्शाता है, न कि केवल आरबीआई की डॉलर बिक्री को।
रुपये में सुधार के संकेत
सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया आठ पैसे की बढ़त के साथ 87.50 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और रूस-अमेरिका के बीच आगामी वार्ता से संकेतों की प्रतीक्षा के कारण रुपये में यह मामूली सुधार देखा गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 87.56 पर खुला और 87.50 के स्तर तक पहुंचा, जो पिछले बंद भाव 87.58 से बेहतर है।
अन्य बाजार गतिविधियां
वायदा कारोबार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 0.48% गिरकर 66.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11% गिरकर 98.07 पर था। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 1,932.81 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जो बाजार में कुछ सकारात्मक गतिविधियों का संकेत देता है।
