Credit Card / RuPay क्रेडिट कार्ड बना सबकी पहली पसंद, UPI इंटीग्रेशन ने बदल दिया डिजिटल पेमेंट का गेम

भारत में RuPay क्रेडिट कार्ड UPI इंटीग्रेशन के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। बर्नस्टीन के अनुसार, UPI से होने वाले क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन अब कुल ट्रांजैक्शन का लगभग 40% हैं। FY24 के अंत तक, RuPay का मार्केट शेयर वॉल्यूम के हिसाब से 10% से 40% तक पहुंच गया है, जिससे छोटे और बड़े व्यापारियों दोनों को फायदा हो रहा है।

भारत में डिजिटल पेमेंट के परिदृश्य में एक अभूतपूर्व बदलाव देखा जा रहा है, और इस क्रांति के केंद्र में RuPay क्रेडिट कार्ड है, जिसने UPI के साथ अपने एकीकरण के कारण व्यापक लोकप्रियता हासिल की है। यह संयोजन न केवल लेन-देन को सरल बना रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए क्रेडिट तक पहुंच को भी लोकतांत्रिक बना रहा है। देश भर में डिजिटल भुगतान को अपनाने की बढ़ती दर ने RuPay को एक पसंदीदा विकल्प बना दिया है, खासकर जब बात रोजमर्रा के लेन-देन की आती है।

UPI का क्रांतिकारी प्रभाव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2022 के अंत में RuPay कार्ड को विशेष रूप से UPI से जोड़ने की अनुमति दी, जिसने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। इस कदम ने RuPay क्रेडिट कार्ड के उपयोग में लगातार वृद्धि को बढ़ावा दिया है। बर्नस्टीन के आंकड़ों के अनुसार, UPI के माध्यम से होने वाले क्रेडिट कार्ड लेनदेन अब कुल क्रेडिट कार्ड लेनदेन का लगभग 40 प्रतिशत बन गए हैं, जो इस एकीकरण की जबरदस्त सफलता को दर्शाता है और यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके सीधे UPI QR कोड को स्कैन करके भुगतान करने की अनुमति देती है, जिससे प्रक्रिया बेहद सरल और तेज हो जाती है।

बाजार हिस्सेदारी में जबरदस्त उछाल

वित्तीय वर्ष 2024 के अंत तक, RuPay क्रेडिट कार्ड ने बाजार हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। वॉल्यूम के हिसाब से, इसका बाजार हिस्सा 10 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो इसकी बढ़ती स्वीकार्यता और उपयोग को दर्शाता है और मूल्य के हिसाब से भी, RuPay का शेयर 2 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत तक हो गया है। यह वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि कैसे UPI के साथ एकीकरण ने RuPay को एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में स्थापित किया है, जो पारंपरिक क्रेडिट कार्ड नेटवर्क को चुनौती दे रहा है और यह डेटा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उपभोक्ता और व्यापारी दोनों इस नए भुगतान विकल्प को तेजी से अपना रहे हैं।

छोटे और बड़े व्यापारियों के लिए लाभ

ET की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि RuPay क्रेडिट कार्ड को अपनाने में तेजी का एक प्रमुख कारण इसकी व्यापक व्यापारी स्वीकार्यता और छोटे व्यापारियों के लिए कम मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) संरचना है। 2,000 रुपये तक के लेनदेन पर MDR बहुत कम या न के बराबर होने के। कारण, छोटे खुदरा विक्रेता अब RuPay क्रेडिट कार्ड को आसानी से स्वीकार कर रहे हैं। यह सुविधा छोटे व्यवसायों को डिजिटल भुगतान की दुनिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे उन्हें अधिक ग्राहकों तक पहुंचने और अपनी बिक्री बढ़ाने में मदद मिलती है। यह RuPay कार्ड को छोटे व्यापारियों और आम ग्राहकों दोनों के बीच लोकप्रिय बनाता है, क्योंकि यह उन्हें बिना किसी अतिरिक्त लागत के क्रेडिट कार्ड भुगतान स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करता है।

डिजिटल भुगतान में एक नई क्रांति

PwC इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, UPI के साथ RuPay क्रेडिट कार्ड का संयोजन डिजिटल भुगतान की दुनिया में एक नई क्रांति लेकर आया है। यह उपयोगकर्ताओं को सरलता और क्रेडिट लचीलेपन दोनों का दोहरा लाभ प्रदान करता है। ग्राहक आसानी से QR कोड को स्कैन करके लेनदेन कर सकते हैं, जिससे भुगतान प्रक्रिया बेहद सुविधाजनक हो जाती है। इसके अतिरिक्त, यह एकीकरण रिवॉर्ड्स और बिलिंग प्रक्रिया को भी आसान बनाता है, जिससे उपयोगकर्ताओं को अपने खर्चों को ट्रैक करने और लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह सुविधा उन लाखों भारतीयों के लिए क्रेडिट तक पहुंच। खोलती है जो पहले पारंपरिक क्रेडिट कार्ड प्रणाली से बाहर थे।

लेनदेन की मात्रा में भारी बढ़ोतरी और भविष्य की संभावनाएं

जैसे-जैसे UPI छोटे व्यापारियों तक क्रेडिट कार्ड स्वीकार्यता बढ़ा रहा है, वैसे-वैसे लेनदेन की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है और sBI कार्ड्स और Paytm जैसे UPI-केंद्रित प्लेटफॉर्म इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा उठा रहे हैं, क्योंकि वे इस बढ़ते बाजार का लाभ उठा रहे हैं। शुरुआती दिनों में डेबिट कार्ड के लेनदेन में जो रुझान देखे गए थे, वही अब क्रेडिट कार्ड पर भी देखने। को मिल रहे हैं, जो RuPay क्रेडिट कार्ड और UPI के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल तस्वीर पेश करता है। यह दर्शाता है कि भारत में क्रेडिट कार्ड का उपयोग अब केवल बड़े लेनदेन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि रोजमर्रा के छोटे भुगतानों का भी एक अभिन्न अंग बन जाएगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में डिजिटल समावेशन को और बढ़ावा मिलेगा।