Sanchar Saathi App / स्मार्टफोन में अब अनिवार्य होगा 'संचार साथी' ऐप: सरकार ने कंपनियों को दी 90 दिन की मोहलत

केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन कंपनियों को नए फोनों में 'संचार साथी' ऐप प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया है। यह ऐप साइबर धोखाधड़ी और चोरी रोकने में मदद करेगा। कंपनियों को 90 दिन का समय मिला है, और यूजर्स इसे डिलीट नहीं कर पाएंगे। यह कदम भारत में बढ़ते साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है।

केंद्र सरकार ने देश में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और मोबाइल फोन से जुड़े अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने सभी नए। फोनों में 'संचार साथी' नामक साइबर सुरक्षा ऐप को पहले से इंस्टॉल करके बेचें। यह आदेश देश के 1. 2 अरब से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

सरकार का सख्त निर्देश और समय-सीमा

सरकार ने इस निर्देश का पालन करने के लिए प्रमुख मोबाइल कंपनियों जैसे एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी को 90 दिन का समय दिया है और इस अवधि के भीतर, इन कंपनियों को अपने उत्पादन और सॉफ्टवेयर प्रक्रियाओं में आवश्यक बदलाव करने होंगे ताकि 'संचार साथी' ऐप को नए डिवाइस में एकीकृत किया जा सके। यह ऐप एक बार इंस्टॉल होने के बाद, उपयोगकर्ताओं द्वारा हटाया या निष्क्रिय नहीं किया जा सकेगा, जो इसकी प्रभावशीलता को सुनिश्चित करेगा। पुराने स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए, यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से स्वचालित रूप से इंस्टॉल हो जाएगा, जिससे सभी मौजूदा डिवाइस भी इस सुरक्षा कवच के दायरे में आ जाएंगे।

आदेश का उद्देश्य और गोपनीयता

हालांकि यह आदेश अभी तक सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है, इसे चुनिंदा कंपनियों को निजी तौर पर भेजा गया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य साइबर धोखाधड़ी, फर्जी आईएमईआई (IMEI) नंबरों के दुरुपयोग और मोबाइल फोन की चोरी को रोकना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'यह ऐप फर्जी आईएमईआई से होने वाले घोटालों और नेटवर्क के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक है। ' यह स्पष्ट करता है कि सरकार डिजिटल लेनदेन और संचार की बढ़ती दुनिया में उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।

'संचार साथी' ऐप की कार्यप्रणाली

'संचार साथी' ऐप सरकार द्वारा विकसित एक साइबर सुरक्षा उपकरण है, जिसे 17 जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था और वर्तमान में, यह ऐप एपल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर पर स्वैच्छिक डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन नए सरकारी निर्देश के बाद यह सभी नए फोनों में अनिवार्य रूप से उपलब्ध होगा। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी वाले कॉल, संदेशों या व्हाट्सएप चैट की रिपोर्ट करने में मदद करेगा। इसके अतिरिक्त, यह ऐप आईएमईआई नंबर की जांच करके चोरी हुए या खोए हुए फोन को ब्लॉक करने की क्षमता रखता है, जिससे ऐसे डिवाइसों का दुरुपयोग रोका जा सके।

मोबाइल कंपनियों पर संभावित प्रभाव

भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल बाजार है, जिसमें 1. 2 अरब से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ता हैं। हालांकि, फर्जी या डुप्लीकेट आईएमईआई नंबरों के कारण साइबर अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है और आईएमईआई एक 15-अंकीय अद्वितीय कोड होता है जो प्रत्येक मोबाइल फोन की पहचान करता है। अपराधी अक्सर इस कोड का क्लोन बनाकर चोरी के फोन को ट्रैक होने से बचाते हैं, घोटालों को अंजाम देते हैं, या उन्हें काले बाजार में बेचते हैं। सरकार का मानना है कि यह ऐप पुलिस को ऐसे डिवाइसों का पता लगाने में महत्वपूर्ण मदद करेगा। दूरसंचार विभाग (DoT) ने सितंबर में बताया था कि 'संचार साथी' ऐप की मदद से 22. 76 लाख से अधिक डिवाइसों का पता लगाया जा चुका है, जो इसकी प्रभावशीलता का प्रमाण है।

उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इस आदेश को लागू करने से पहले कंपनियों के साथ परामर्श न होने के कारण वे चिंतित हैं। विशेष रूप से एपल जैसी कंपनियों के लिए यह एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि उनकी नीति में सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप के प्री-इंस्टॉलेशन पर प्रतिबंध है। अतीत में भी एपल का एंटी-स्पैम ऐप को लेकर नियामकों के साथ टकराव हुआ था। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि एपल सरकार के साथ बातचीत कर सकता है और शायद उपयोगकर्ताओं को स्वैच्छिक प्रॉम्प्ट देने का सुझाव भी दे सकता है और हालांकि, अभी तक किसी भी कंपनी ने इस आदेश के बारे में कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

उपयोगकर्ताओं को सीधा लाभ और गोपनीयता संबंधी चिंताएं

इस पहल से उपयोगकर्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा। चोरी या खो जाने की स्थिति में वे अपने फोन को आईएमईआई नंबर की जांच करके तुरंत ब्लॉक कर सकेंगे। धोखाधड़ी वाले कॉल की रिपोर्ट करने से घोटालों में कमी आएगी और समग्र डिजिटल सुरक्षा बढ़ेगी। हालांकि, ऐप को डिलीट या डिसेबल न कर पाने की क्षमता से गोपनीयता समूहों द्वारा सवाल उठाए जा सकते हैं, क्योंकि इससे उपयोगकर्ता नियंत्रण कम हो जाएगा। भविष्य में, इस ऐप में और भी सुविधाएं जोड़ी जा सकती हैं, जैसे बेहतर ट्रैकिंग या एआई-आधारित धोखाधड़ी का पता लगाना। दूरसंचार विभाग का कहना है कि यह कदम दूरसंचार सुरक्षा को अगले स्तर पर ले जाएगा, जिससे भारत में डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र और अधिक सुरक्षित बनेगा और यह पहल देश के नागरिकों को एक सुरक्षित और विश्वसनीय डिजिटल अनुभव प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।