चांदी की कीमतों में गिरावट और भविष्य की संभावनाएंपिछले कुछ समय से चांदी बाजार में उठापटक देखने को मिल रही है, जहां इसकी कीमतों में रिकॉर्ड स्तर से उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां चांदी 10. 9% तक गिरी है, वहीं घरेलू बाजार में यह 18% तक नीचे आ चुकी है। 16 अक्टूबर को 54. 45 डॉलर प्रति औंस के अपने उच्च स्तर से गिरकर अंतरराष्ट्रीय कीमतें 48 और 59 डॉलर पर आ गई हैं, जबकि घरेलू स्तर पर 14 अक्टूबर को 182,500 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर से यह 149,500 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। दिवाली के बाद से चांदी की मांग में कमी आने को इस गिरावट का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। वैश्विक व्यापार तनाव में कमी आने से 'सुरक्षित निवेश' (सेफ हैवन) के रूप में चांदी की मांग कम हुई है, जिससे इसकी कीमतों पर दबाव पड़ा है। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है।
50% रिटर्न की उम्मीद
बाजार में मौजूदा नरमी के बावजूद, कई विश्लेषक अगले एक साल में चांदी से 50% तक का रिटर्न मिलने की संभावना जता रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल के रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी के अनुसार, आने वाले महीनों में चांदी की कीमतें 50-55 डॉलर प्रति। औंस के बीच स्थिर हो सकती हैं, और 2026 के अंत तक यह 75 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। यदि डॉलर 90 के स्तर पर बना रहता है, तो घरेलू कीमतें 240,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती हैं, जो मौजूदा स्तरों से काफी अधिक है। यह अनुमान उन निवेशकों के लिए उत्साहजनक है जो शेयर बाजार से बाहर बेहतर कमाई के अवसर तलाश रहे हैं।
गिरावट के कारण और मांग में कमी
चांदी की कीमतों में हालिया गिरावट के कई कारण हैं। सबसे पहले, वैश्विक व्यापार तनाव में कमी आने से सुरक्षित निवेश के रूप में कीमती धातुओं की मांग घटी है। जब आर्थिक या भू-राजनीतिक अनिश्चितता होती है, तो निवेशक अक्सर सोने और चांदी जैसे सुरक्षित ठिकानों की ओर रुख करते हैं। वर्तमान में, व्यापार वार्ताओं में प्रगति और जोखिम उठाने की क्षमता में सुधार ने निवेशकों को अधिक जोखिम वाली संपत्तियों की ओर धकेल दिया है। इसके अतिरिक्त, हाल ही में कीमतों में आई तेजी के बाद व्यापारियों द्वारा मुनाफावसूली भी गिरावट का एक बड़ा कारण रही है। पिछले एक साल में, चांदी ने डॉलर के संदर्भ में 44% और रुपये के संदर्भ में 55. 72% का प्रभावशाली रिटर्न दिया था, जिसने कई निवेशकों को मुनाफा बुक करने के लिए प्रेरित किया और
औद्योगिक मांग और आपूर्ति की कमी का प्रभाव
भले ही अल्पावधि में मांग में कमी आई हो, चांदी का दीर्घकालिक दृष्टिकोण काफी उज्ज्वल है, जिसका मुख्य कारण इसकी सीमित आपूर्ति और बढ़ती औद्योगिक मांग है। डीएसपी म्यूचुअल फंड के पैसिव इन्वेस्टमेंट एंड प्रोडक्ट हेड अनिल घेलानी बताते हैं कि चांदी की आपूर्ति सीमित है और हाल के वर्षों में इसमें लगातार कमी देखी गई है। 2025 में, अनुमानित कमी 11. 8 करोड़ औंस है, जो कीमतों में वृद्धि का एक मजबूत कारण है। चांदी का उपयोग सौर पैनलों, इलेक्ट्रिक वाहनों और अन्य हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, चांदी की औद्योगिक खपत में और वृद्धि होगी। स्थिर खनन उत्पादन और सीमित रीसाइक्लिंग क्षमताएं भी बाजार को और सख्त कर रही हैं, जिससे मध्यम अवधि में इस धातु के लिए संभावनाएं मजबूत हो रही हैं।
निवेशकों के लिए सलाह
मनी मंत्रा के संस्थापक विरल भट्ट निवेशकों को सलाह देते हैं कि वे इस गिरावट को एक अवसर के रूप में देखें, लेकिन सावधानी बरतें। उनका सुझाव है कि निवेशकों को अपने कुल पोर्टफोलियो का 3-7% तक ही चांदी में निवेश सीमित रखना चाहिए और बड़ी एकमुश्त खरीदारी और अत्यधिक निवेश से बचना चाहिए, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से चांदी एक अस्थिर संपत्ति रही है और इसमें अल्पकालिक गिरावट का जोखिम बना रहता है। फंड मैनेजरों का मानना है कि स्मार्ट निवेशक मौजूदा गिरावट का लाभ उठाकर धीरे-धीरे। अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं, जिससे उन्हें भविष्य में अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं। यह संतुलित दृष्टिकोण निवेशकों को चांदी की संभावित वृद्धि का लाभ। उठाने और इसकी अंतर्निहित अस्थिरता से बचाव करने में मदद करेगा।