चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) फॉर्म भरने की अंतिम तिथि में महत्वपूर्ण विस्तार की घोषणा की है, जिससे लाखों नागरिकों को राहत मिली है और पहले यह समय सीमा 4 दिसंबर, 2025 निर्धारित की गई थी, जिसे अब बढ़ाकर 11 दिसंबर, 2025 कर दिया गया है। यह निर्णय देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही SIR प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिहीन बनाना है। इस विस्तार से बूथ लेवल के अधिकारियों (BLOs) को घर-घर जाकर नागरिकों से फॉर्म भरवाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा, जिससे प्रक्रिया की गुणवत्ता और पहुंच सुनिश्चित होगी।
SIR प्रक्रिया का विस्तृत विवरण
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसे चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रक्रिया के तहत, बूथ लेवल अधिकारी (BLOs) घर-घर जाकर नागरिकों से संपर्क करते हैं और उन्हें SIR फॉर्म भरने में सहायता करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और साथ ही, मतदाता सूची में मौजूद किसी भी विसंगति को दूर किया जा सके। इस चरण में, BLOs न केवल नए पंजीकरण में मदद करते हैं बल्कि मौजूदा प्रविष्टियों का सत्यापन भी करते हैं। यह प्रक्रिया लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है,। क्योंकि एक सटीक मतदाता सूची ही निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों का आधार होती है।
समय सीमा में वृद्धि के कारण
SIR फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ाने का मुख्य कारण BLOs को। घर-घर सत्यापन और फॉर्म संग्रह के लिए अधिक समय प्रदान करना है। यह विस्तार BLO और ERO (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) स्तर पर सत्यापन और सुनवाई के लिए भी अतिरिक्त समय प्रदान करेगा और चुनाव आयोग का प्राथमिक उद्देश्य एक ऐसी मतदाता सूची तैयार करना है जो अत्यधिक सटीक हो और जिसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि या फर्जी प्रविष्टियां न हों। इस अतिरिक्त समय से अधिकारियों को प्रत्येक प्रविष्टि की गहन जांच करने और यह सुनिश्चित करने का अवसर मिलेगा कि मतदाता सूची पूरी तरह से अद्यतन और विश्वसनीय है। यह निर्णय प्रक्रिया की समग्र गुणवत्ता में सुधार लाने और सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
SIR का महत्व और उद्देश्य
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं की पहचान करना और उन्हें हटाना है और अक्सर, कई व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची में एक से अधिक बार दर्ज हो जाते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल उठ सकते हैं। SIR प्रक्रिया इन डुप्लिकेट प्रविष्टियों को साफ करने में मदद करती है, जिससे मतदाता सूची का शुद्धिकरण होता है। यह प्रक्रिया यह भी सुनिश्चित करती है कि केवल पात्र नागरिक ही मतदान कर सकें, जिससे चुनावी धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है। इस प्रक्रिया का एक सफल उदाहरण हाल ही में बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले देखा गया था, जहां SIR के माध्यम से लगभग 47 लाख फर्जी मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाया गया था, जिससे चुनाव की विश्वसनीयता में काफी वृद्धि हुई थी।
SIR प्रक्रिया की संशोधित समयरेखा
चुनाव आयोग द्वारा जारी संशोधित समयरेखा के अनुसार, SIR प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के लिए नई तिथियां निर्धारित की गई हैं। BLOs द्वारा घर-घर सत्यापन और पोलिंग बूथ का पुनर्गठन अब 11 दिसंबर, 2025 तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद, कंट्रोल टेबल का अपडेशन और ड्राफ्ट रोल तैयार करने की प्रक्रिया 12 दिसंबर से 15 दिसंबर, 2025 तक चलेगी। ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल का प्रकाशन 16 दिसंबर, 2025 को किया जाएगा। दावे और आपत्तियां दाखिल करने का समय 16 दिसंबर, 2025 से 15 जनवरी, 2026 तक होगा। इस अवधि के दौरान, नोटिस जारी करना, सुनवाई करना, सत्यापन और ERO द्वारा दावों और आपत्तियों का निपटारा 16 दिसंबर, 2025 से 7 फरवरी, 2026 तक समानांतर रूप से चलेगा। अंत में, इलेक्टोरल रोल का अंतिम प्रकाशन 14 फरवरी, 2026 को किया जाएगा। यह विस्तृत समयरेखा प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
लोकतंत्र के लिए शुद्ध मतदाता सूची का महत्व
एक शुद्ध और अद्यतन मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक नागरिक का वोट मायने रखता है और चुनावी परिणाम वास्तविक जनमत को दर्शाते हैं। फर्जी या डुप्लिकेट मतदाताओं की उपस्थिति चुनावी प्रक्रिया को कमजोर कर सकती है और जनता के विश्वास को कम कर सकती है। SIR जैसी प्रक्रियाएं इस विश्वास को बनाए रखने और मजबूत करने में मदद करती हैं। यह न केवल चुनावी धोखाधड़ी को रोकती है बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि सभी पात्र नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। चुनाव आयोग का यह कदम भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को और गहरा करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है, जिससे भविष्य के चुनाव अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी होंगे।