नई दिल्ली / नौ राज्यों के 117 जिलों को कौशल विकास के लिए बजट जारी किया है

Zoom News : Aug 03, 2019, 04:56 PM
समेकित संयोजन एवं समन्वय के जरिए जिला स्तर कौशल निर्माण प्रणाली पर फोकस करने के लिए स्किल इंडिया की संकल्प योजना

स्किल इंडिया की संकल्प योजना के तहत नौ राज्यों को प्रथम वर्ष अनुदान के रूप में 95.47 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। 117 आकांक्षी जिलों (प्रत्येक जिला 10 लाख) को संचयी रूप से 11.7 करोड़ रुपए जारी किए। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने आज प्रथम प्रोग्राम गवर्नेंस बोर्ड, जो कि इस योजना के शासन के लिए शीर्ष निकाय है, बैठक में मंत्रालय के विश्वबैंक ऋण सहायता प्राप्त “आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण एवं अभियान जागरुकता (संकल्प) कार्यक्रम” की समीक्षा की। कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजकुमार सिंह भी इस बैठक में उपस्थित रहे। इस बैठक में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय एवं छह अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।


जानकारी दी गई कि देशभर के सभी 36 राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों ने संकल्प में प्रतिभागिता के लिए अपनी सहमति प्रस्तुत कर दी है और मंत्रालय द्वारा नौ राज्यों (नामतः आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, पंजाब, एवं उत्तर प्रदेश) को प्रथम वर्ष के लिए कुल राशि जारी कर दी गई है। इन राज्य अनुदानों के अतिरिक्त अकांक्षापूर्ण कौशल निर्माण अभियान के तहत 117 आकांक्षी जिलों को भी 10 लाख रुपए प्रत्येक जारी किए गए। कौशल डेटा के संग्रह एवं कवरेज के लिए संकल्प के तहत “स्किल इंडिया पोर्टल” नामक एक मजबूत आईटी प्रणाली भी विकसित की गई।


मंत्री ने उल्लेख किया कि जिला कौशल निर्माण प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि कौशल निर्माण को लेकर युवाओं की अवधारणा में सुधार लाने की आवश्यकता है और सुझाव दिया कि जिला कौशल समिति (डीएससी) को अपने जिलों में युवाओं को परामर्श देने में प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सांसदों को जिला कौशल समिति (डीएससी) के प्रदर्शन एवं उनके जिलों में विभिन्न कौशल निर्माण प्रयासों की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रशिशुओं का प्रशिक्षण इस प्रणाली का एक प्रमुख संघटक है और इसे सुदृढ़ बनाए जाने की आवश्यकता है।


राज्य मंत्री श्री राजकुमार सिंह ने डॉ. पाण्डेय द्वारा दिए गए सुझावों को आगे बढ़ाते हुए उल्लेख किया कि कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों के पास गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना होनी चाहिए और प्रत्याक्षियों को जारी प्रणामपत्र का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि संकल्प मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के कौशल निर्माण प्रयासों को समन्वित करने में सहायता कर सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि सभी सेक्टरों और भौगौलिक क्षेत्रों की कौशल निर्माण आवश्यकताओं की मांग का मानचित्रण किया जाना चाहिए।


संकल्प कौशल विकास उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) का एक परिणाम आधारित केन्द्रीय प्रायोजित कार्यक्रम है जिसका विशेष फोकस विकेन्द्रित, विनियोजन एवं गुणवत्ता सुधार पर है। यह केन्द्रीय एवं राज्य दोनों ही एजेंसियों को शामिल करते हुए समग्र कौशल निर्माण प्रणाली पर ध्यान केन्द्रित करता है। संकल्प का उद्देश्य राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (एनएसडीएम) के अधिदेश को कार्यन्वित करना है। संकल्प के तहत चार प्रमुख परिणाम क्षेत्रों की पहचान की गई है जिनके नाम है (i) संस्थागत सुदृढ़ीकरण (राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर); (ii) कौशल विकास कार्यक्रमों का गुणवत्तापूर्ण आश्वासन; (iii) कौशल विकास में अधिकार विहीन आबादी का समावेश ; एवं (iv) सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के जरिए कौशलों को विस्तारित करना।


इसके अतिरिक्त, यह भी जानकारी दी गई कि मंत्रालय ने जिला स्तर पर कौशल योजना को बढ़ावा देने के लिए “जिला कौशल विकास योजना (डीएसडीपी) पुरस्कार” नामक एक पुरस्कार का गठन किया है। इसके तहत, पूरे देश में 225 जिलों ने अपना डीएसडीपी प्रस्तुत करने के द्वारा इसमें सहभागिता की। इसमें से, 25 जिलों को उनका डीएसडीपी प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया गया। अंतिम मूल्यांकन किया जा रहा है और इसी के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ डीएसडीपी को पुरस्कृत किया जाएगा।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER