Indian Economy / भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे लचीली और तेज़ी से बढ़ती रहेगी: S&P प्रमुख

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के प्रेसिडेंट यान ले पल्लेक ने कहा है कि वैश्विक झटकों के बावजूद भारत दुनिया की सबसे लचीली और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगा। उन्होंने इस साल लगभग 6.5% और अगले दो वर्षों में 7% तक की वृद्धि का अनुमान लगाया। घरेलू खपत और नीतिगत स्थिरता इसकी कुंजी है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के प्रेसिडेंट यान ले पल्लेक ने भारत की आर्थिक संभावनाओं पर गहरा भरोसा जताया है और उन्होंने कहा कि वैश्विक झटकों और व्यापारिक बाधाओं के बावजूद, भारत दुनिया की सबसे लचीली और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा। पल्लेक के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था इस साल लगभग 6 और 5% की दर से बढ़ेगी, और अगले दो वर्षों में यह वृद्धि दर 7% तक पहुंच सकती है। यह अनुमान भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद और विकास की क्षमता को दर्शाता है।

घरेलू खपत और सीमित बाहरी प्रभाव

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से यान ले पल्लेक ने बताया कि भारत की बड़ी घरेलू खपत पर आधारित अर्थव्यवस्था उसे वैश्विक व्यापारिक झटकों से प्रभावी ढंग से बचाती है और उन्होंने उदाहरण दिया कि अमेरिका को भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 2% है, जिससे बाहरी प्रभावों का देश पर सीमित असर होता है। हाल ही में एसएंडपी द्वारा भारत की सॉवरेन रेटिंग को BBB में अपग्रेड करना। देश की नीतिगत स्थिरता, आर्थिक मजबूती और बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश का प्रमाण है।

2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य

यान ले पल्लेक ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक स्तर पर जोखिम बने हुए हैं, लेकिन भारत के लिए ये बड़े खतरे नहीं बल्कि काबू में रखे जा सकने वाले कारक हैं और उनके मुताबिक, मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में निवेशक भारत को स्थिर और लंबे समय के विकास के लिए सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों में से एक मानते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त। करने के लिए श्रम भागीदारी बढ़ाने, सामाजिक समावेशन सुधारने और निजी-सरकारी पूंजी निवेश में विस्तार पर ध्यान देना होगा।

मजबूत बैलेंस शीट और पूंजी प्रवाह

पल्लेक ने बताया कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) साल के अंत तक ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है, जिससे पूंजी प्रवाह और तेज़ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कर्ज़ में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, लेकिन भारत की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर है क्योंकि महामारी के बाद बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत हुई हैं। भारत के ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने से विदेशी निवेशकों का विश्वास और। बढ़ेगा, जबकि क्रिसिल जैसी घरेलू रेटिंग एजेंसियां पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। एआई और निजी पूंजी जैसे उभरते क्षेत्र भारत के वित्तीय तंत्र को नया आकार दे रहे हैं, जिसके लिए मजबूत नियमन आवश्यक होगा।