दुनिया / श्रीलंका के पीएम राजपक्षे ने कहा, भारत-चीन विवाद में हम किसी की तरफदारी नहीं करेंगे

News18 : May 28, 2020, 03:28 PM
कोलंबो। श्रीलंका (Sri Lanka) के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (PM Mahinda Rajapaksa) ने CNN-News18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत और चीन (India-China Border Dispute) के बीच जारी विवाद में श्रीलंका किसी का पक्ष नहीं लेगा और खुद को इससे दूर ही रखेगा। राजपक्षे ने कहा कि दोनों ही देशों के उसके अच्छे संबंध हैं इसलिए वो इस मामले से खुद को दूर ही बनाए रखेगा। तमिल आंदोलन पर राजपक्षे ने कहा कि उन लोगों को समझना चाहिए कि अलग देश बनाने का विकल्प उचित नहीं है। राजपक्षे ने इस्लामिक (Islamic Terrorism) या तमिल किसी भी तरह के आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई करने की भी बात कही।

श्रीलंका से चीन के रिश्तों से जुड़े एक सवाल के जवाब में राजपक्षे ने कहा- श्रीलंका गुट-निरपेक्ष विदेश नीति को ही अमल में लाना जारी रखेगा। चीन और भारत दोनों ही हमारे करीबी दोस्त हैं। श्री जवाहर लाल नेहरू और चीनी प्रीमियर झोऊ एनलाई ने पंचशील सिद्धांतों को आगे बढ़ाया था जिसमें- क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता, गैर-आक्रमण नीति, एक- दूसरे के निजी मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व जैसे मूल्य शामिल हैं। श्रीलंका सभी भी इन सिद्धांतों पर भरोसा करता है और आगे भी इन्हीं के मुताबिक विदेश नीति जारी रहेगी।

'आतंकवाद के खिलाफ करूंगा कड़ी कार्रवाई'

इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े एक सवाल के जवाब में राजपक्षे ने कहा- यह निश्चित रूप से एक बहुत गंभीर मुद्दा है। ये स्पष्ट है कि पिछली सरकार इसे नियंत्रित कर पाने में विफल रही थी। अगर वे लोग सत्ता में बने रहते तो भारत और बंगाल की खाड़ी में स्थित अन्य पड़ोसी देशों के लिए भी खतरा बढ़ जाता। श्रीलंका में ईस्टर के दिन चर्च पर किया गया हमला, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का अब तक का एशिया या कहें दुनिया में सिविलियंस को निशाना बनाकर किया गया सबसे बड़ा हमला है। सभी आत्मघाती हमलावर अच्छे घरों से संबंध रखने वाले पढ़ें-लिखे युवा थे। उस सरकार के पास इस तरह के हमलों की पूर्व सूचना भी थी लेकिन वे असमर्थ साबित हुए। राजपक्षे ने कहा कि आतंकवाद चाहे तमिल हो या इस्लामिक उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

'तमिल देश की मांग का कोई आधार नहीं'

तमिल समस्या से जुड़े सवाल के जवाब में राजपक्षे ने कहा- तमिल नेताओं के साथ लंबे समय से बातचीत चल रही है। उन्हें समझना होगा कि ये संभव नहीं है। इस देश में उन लोगों ने अलग तमिल देश की मांग के आधार पर काफी लंबे समय तक राजनीती कर ली है। यह एक व्यावहारिक प्रस्ताव नहीं है। अधिकांश तमिल उत्तर और पूर्व के बाहर रहते हैं। पूर्व में, तमिल और अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी रहती हैं। कोलंबो शहर की अधिकांश आबादी तमिल और मुस्लिम हैं। ऐसे में श्रीलंका के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में एक तमिल देश की मांग करना उचित नहीं है।


 

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