
- भारत,
- 12-Jul-2019 04:25 PM IST
- (, अपडेटेड 12-Jul-2019 06:28 PM IST)
Super 30 Movie Review: बॉलीवुड में बायोपिक का ट्रेंड शुरू हो चुका है। इसी ट्रेंड को आगे बढ़ाते हुए निर्देशक विकास बहल ने एक्टर ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) और मृणाल ठुकार (Mrunal Thakur) को लेकर फिल्म 'सुपर 30' (Super 30) बनाई है। यह कहानी ऐसे शिक्षक की है जिन्होंने गरीब बच्चों को खुली आंखों से सपना देखना सिखाया और उन्हें पूरा भी करना सिखाया। यह कहानी है बिहार के आनंद कुमार की जिन्होंने अपना करियर और प्यार को त्यागकर हर साल 30 बच्चों को आईआईटी की कोचिंग पढ़ाई जो जीनियस तो थे लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे।फिल्म की कहानी सधी हुई है और आप आनंद कुमार के साथ सफर में निकल पड़ते हैं। आप आनंद के साथ ही खुश होते हैं और उनके साथ ही दुखी। सुपर 30 के लिए ऋतिक रोशन ने अपना लुक काफी बदला है और पहली बार वो बिल्कुल डीग्लैम अवतार में दिखे हैं। फिल्म जब शुरू होती है तो ऋतिक का एक्सेंट और लुक अखरता है लेकिन ये ऋतिक की अभिनय क्षमता ही है कि जल्दी ही आपका ध्यान इस बात से हट जाता है। मृणाल ठाकुर प्यारी लगी हैं, पंकज त्रिपाठी भी अपने रोल के लिए याद रह जाते हैं। फिल्म में निगेटिव रोल कर रहे आदित्य श्रीवास्तव का काम भी अच्छा है। फिल्म के डायलॉग्स आपको याद रह जाते हैं। जैसे 'राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, वो बनेगा जो हकदार होगा'। ऐसे डायलॉग्स पर आप ताली बजाने पर मजबूर हो जाएंगे।आनंद कुमार के स्टूडेंट्स के रोल में जो कलाकार हैं उन्होंने भी अच्छा काम किया है। फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी सधा हुआ है। हालांकि सेकंड हाफ बहुत लंबा है और ये लंबाई अखरती भी है। सुपर 30 की कहानी रियल ना होकर फिल्मी ज्यादा लगती है और यही इस फिल्म को हल्का भी बनाती है।विकास बहल की अगर क्वीन से तुलना करेंगे तो यह फिल्म हल्की महसूस होगी लेकिन अगर आप इसकी तुलना उनकी फिल्म शानदार से करेंगे तो आपको यह फिल्म बेहतर लगेगी। एक बार आप यह फिल्म देख सकते हैं। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 5 में से 2.5 स्टार।