देश / 'कोई मुस्लिम नाम ले लो छूट जाओगे'-वैज्ञानिक के खिलाफ कैसे गढ़ा झूठा जासूसी केस

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन 26 साल पहले एक झूठे मामले में फंसाए गए थे। 1994 में जासूसी के इस झूठे मामले में आरोप लगाया गया था कि नारायणन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज अन्‍य देशों को ट्रांसफर करने में शामिल हैं। नारायणन को दो महीने जेल में रहना पड़ा था।

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो (ISRO) के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन 26 साल पहले एक झूठे मामले में फंसाए गए थे। 1994 में जासूसी के इस झूठे मामले में आरोप लगाया गया था कि नारायणन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज अन्‍य देशों को ट्रांसफर करने में शामिल हैं। नारायणन को दो महीने जेल में रहना पड़ा था। जांच के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठ हैं। सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी। अब नारायण ने एक वृतांत में 26 साल पहले हुईं इन घटनाओं का जिक्र किया है कि कैसे उनके मामले को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। न्यूज़ वेबसाइट स्क्रॉल।इन में प्रकाशित संस्मरण में नारायणन ने  दर्दनाक और द्वेषपूर्ण पूछताछ को याद किया है जिसका उन्होंने जांच के दौरान सामना किया था।

नारायण बताते हैं कि 'जांच के दौरान जांचकर्ताओं ने उनसे कहा कि वह कोई मुस्लिम नाम ले लें। जिस पर उन्हें लगा कि एजेंसियों ने अपनी ही कोई कहानी बना ली है और उसके अनुसार उन्हें चलने को कह रहे हैं। उनके मुताबिक जांचकर्ताओं ने कहा कि अगर वह उनकी कहानी के मुताबिक नहीं चलेंगे तो उन्हें पंजाब के पठानकोट पुलिस को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं उनका एनकाउंटर करने की धमकी भी दी गई।'

उन्होंने लिखा है कि 'पूछताछ के दौरान उन्होंने पानी मांगा जिस पर उन्हें जवाब मिला कि जब तक वह सारे आरोप स्वीकार नहीं कर लेते पानी की एक बूंद नहीं मिलेगी। एक अधिकारी ने उन पर चिल्लाते हुए कहा- तुम एक थर्ड रेट अपराधी।।। तुम्हें पानी चाहिए?'

मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।।।

नारायणन ने लिखा है कि 'उनके पानी मांगने पर एक शख्स उनसे एक फीट की दूरी पर गिलास में पानी लिए खड़ा था ताकि मैं उस ओर ललचा सकूं। मैं अपनी कुर्सी से उठा । मैंने कहा- मुझे पानी नहीं चाहिए। मैं लंबे समय तक बैठना नहीं चाहता। मैं यहां खड़ा रहूंगा। बिना खाना पानी के जब तक कि आप यह नहीं मान लेते हैं कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।'

नारायणन ने अपने संस्मरण में एक पुलिसिया कहानी का जिक्र भी किया है। जिस पर खुद पुलिस ने वाले ने कहा था कि 'हमें पता है ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन हम चाहते हैं यह कहानी आप बताएं। आपको करना बस इतना है कि एक मुस्लिम दोस्त का नाम ले लें।'

बता दें कि नंबी नारायणन के इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उनकी गिरफ्तारी गलत है। साथ ही उन्‍हें 50 लाख रुपये की अंतरिम राशि राहत के तौर पर देने को कहा था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें अलग से 10 लाख रुपये का मुआवजा सौंपे जाने की सिफारिश की थी। इसके बाद नंबी ने तिरुवनंतपुरम के सेशन कोर्ट में एक केस दायर किया था। बीते महीने केरल सरकार (Kerala Government) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) को मंगलवार को 1।30 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त मुआवजा सौंपा था।