Tamannaah Bhatia / तमन्ना मैसूर सैंडल सोप की ब्रांड एंबेसडर बनीं, तो क्यों छिड़ा बवंडर?

तमन्ना भाटिया को कर्नाटक सरकार ने 6.2 करोड़ रुपए में मैसूर सैंडल सोप की ब्रांड एंबेसडर बनाया। सोशल मीडिया पर कन्नड़ अभिनेत्रियों को न चुनने पर विवाद हुआ। मंत्री एमबी पाटिल ने तमन्ना की लोकप्रियता और रणनीतिक सोच का हवाला देते हुए चयन को उचित ठहराया।

Tamannaah Bhatia: बॉलीवुड एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह किसी फिल्म या आइटम सॉन्ग से जुड़ी नहीं, बल्कि कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें दिए गए एक हाई-प्रोफाइल ब्रांड कॉन्ट्रैक्ट को लेकर है। मैसूर सैंडल सोप की ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने के बाद तमन्ना न केवल सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही हैं, बल्कि इस फैसले ने क्षेत्रीय अस्मिता और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व को लेकर एक नई बहस भी छेड़ दी है।

क्या है पूरा मामला?

22 मई को कर्नाटक सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ, जिसमें बताया गया कि तमन्ना भाटिया को अगले दो सालों के लिए KSDL (कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड) के लोकप्रिय ब्रांड मैसूर सैंडल सोप का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। इस करार के तहत उन्हें कुल 6 करोड़ 20 लाख रुपये की रकम दी जाएगी।

सोशल मीडिया पर उठा विवाद

जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर एक वर्ग ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। लोगों का कहना है कि जब कर्नाटक में कई प्रतिभाशाली कन्नड़ अभिनेत्रियां मौजूद हैं, तो फिर एक गैर-कन्नड़ अभिनेत्री को राज्य के सांस्कृतिक प्रतीक के प्रचार का जिम्मा क्यों सौंपा गया? सवाल उठे कि क्या यह क्षेत्रीय प्रतिभाओं की अनदेखी नहीं है? अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहा, क्योंकि वह कर्नाटक से हैं और एक लोकप्रिय चेहरा भी हैं।

सरकार ने दिया जवाब

विवाद के बढ़ते ही कर्नाटक सरकार के मंत्री एमबी पाटिल ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि तमन्ना को यह भूमिका सोच-समझकर दी गई है। उनका कहना था कि मैसूर सैंडल अब केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि राष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाना चाहता है। इसके लिए ऐसे चेहरे की जरूरत थी जिसकी सोशल मीडिया पर मजबूत पकड़ हो और जो ब्रांड की पहुंच को व्यापक बनाए। तमन्ना भाटिया के इंस्टाग्राम पर 2.8 करोड़ फॉलोअर्स हैं, जो उन्हें एक प्रभावशाली सोशल मीडिया पर्सनैलिटी बनाता है।

किन-किन नामों पर हुई थी चर्चा?

एमबी पाटिल ने यह भी बताया कि इस ब्रांड एंबेसडर के चयन से पहले कई नामों पर विचार किया गया था। दीपिका पादुकोण के नाम की भी चर्चा हुई थी, लेकिन उनका पारिश्रमिक बजट से बाहर था। वहीं रश्मिका मंदाना को भी अप्रोच किया गया था, पर उन्होंने पहले ही कोई दूसरा प्रोजेक्ट साइन कर लिया था। इसके अलावा कियारा आडवाणी और पूजा हेगड़े जैसे नाम भी चर्चा में थे, लेकिन अंत में तमन्ना को चुना गया।

एक्ट्रेस के वर्कफ्रंट की बात

तमन्ना भाटिया हाल ही में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म रेड 2 के एक आइटम सॉन्ग में नजर आई थीं। इसके अलावा वह स्त्री 2 के एक गाने को लेकर भी चर्चा में रही थीं। लगातार मीडिया और सोशल मीडिया पर बनी रहने वाली तमन्ना की लोकप्रियता को सरकार ने इस ब्रांड के लिए एक संपत्ति के रूप में देखा।

सांस्कृतिक पहचान बनाम मार्केटिंग रणनीति

यह विवाद केवल एक ब्रांड एंबेसडर के चयन से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह उस गहरे सवाल को सामने लाता है जो क्षेत्रीय पहचान और राष्ट्रीय मार्केटिंग रणनीति के टकराव को उजागर करता है। क्या किसी सांस्कृतिक प्रतीक के प्रचार के लिए सिर्फ लोकप्रियता ही मापदंड होनी चाहिए, या क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व भी उतना ही जरूरी है?

तमन्ना भाटिया को मिला यह कॉन्ट्रैक्ट न केवल एक अभिनेत्री के करियर में एक और उपलब्धि है, बल्कि यह एक राजनीतिक और सांस्कृतिक विमर्श की शुरुआत भी है, जो आने वाले समय में और तीव्र हो सकता है। फिलहाल तो यह स्पष्ट है कि तमन्ना के इस नए रोल से ब्रांड को कितनी सफलता मिलती है, यह देखने लायक होगा, लेकिन क्षेत्रीय अस्मिता की यह बहस यहीं खत्म नहीं होने वाली।