Kolkata Rape-Murder Case / कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को सुनाई उम्रकैद की सजा- सियालदह कोर्ट ने सुनाया फैसला

सियालदह कोर्ट ने कोलकाता रेप-मर्डर केस में दोषी संजय रॉय को उम्रकैद और ₹50,000 जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को मृतक के परिवार को ₹17 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया। जज ने इसे गंभीर अपराध माना, लेकिन "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" करार नहीं दिया।

Vikrant Shekhawat : Jan 20, 2025, 03:40 PM
Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य रेप और मर्डर के मामले में सियालदह कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इसके साथ ही दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया गया है कि वह मृतका के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे।

न्यायालय का सख्त रुख

शनिवार, 18 जनवरी को सियालदह कोर्ट ने इस मामले में संजय रॉय को दोषी ठहराया। हालांकि अदालत ने यह मामला "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" नहीं माना। फैसले के दौरान जज अनिरबन दास ने कहा कि यह अपराध समाज के नैतिक ताने-बाने को झकझोरने वाला है, लेकिन यह फांसी की सजा का आधार नहीं बनता।

कोर्ट में दोषी का बयान

सजा के ऐलान से पहले संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए अदालत से दया की अपील की। उसने कहा, "मुझे फंसाया गया है। मैंने कोई अपराध नहीं किया। मुझसे झूठे आरोप स्वीकार करवाने का दबाव बनाया जा रहा है।" लेकिन अदालत ने फॉरेंसिक और अन्य सबूतों के आधार पर उसे दोषी पाया।

सीबीआई की भूमिका और अदालत की टिप्पणी

घटना की जांच हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने मामले में 120 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए और दो महीने तक कैमरा ट्रायल चलाया। सीबीआई ने अदालत से कहा कि दोषी का अपराध "रेयरेस्ट ऑफ द रेयर" है और अगर कड़ी सजा नहीं दी गई, तो समाज का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।

मामला: दरिंदगी और निर्ममता की हदें पार

यह जघन्य घटना 8-9 अगस्त 2024 की रात को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार रूम में हुई। 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ पहले रेप किया गया और फिर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस मामले में फॉरेंसिक सबूतों ने संजय रॉय को दोषी करार देने में अहम भूमिका निभाई।

162 दिन बाद आया फैसला

घटना के 162 दिन बाद अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाया। शुरुआत में इस केस की जांच कोलकाता पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया।

समाज के लिए संदेश

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में दोषी को सख्त सजा देकर यह संदेश दिया जा रहा है कि महिला सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह फैसला न्याय व्यवस्था में समाज के विश्वास को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

यह केस न केवल महिला सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को भी उजागर करता है।