Donald Trump News / तेल का खेल होगा खत्म, ट्रंप के आगे खाड़ी देशों की पॉलिसी होगी फेल

डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की संभावना तेज़ हो गई है। अमेरिकी शेल प्रोडक्शन में बढ़ोतरी से ग्लोबल सप्लाई बढ़ेगी, जिससे ओपेक+ का दबदबा कम होगा। भारत जैसे आयात-निर्भर देशों को लाभ होगा, लेकिन पेट्रोल-डीजल सस्ते होने में समय लग सकता है।

Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2025, 07:40 PM
Donald Trump News: डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में 2% की गिरावट दर्ज की गई है। यह बदलाव इस ओर संकेत करता है कि अमेरिका में तेल उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है। ट्रंप प्रशासन की नीतियां वैश्विक ऊर्जा बाजारों को पुनः आकार देने की क्षमता रखती हैं, जिनका व्यापक प्रभाव न केवल खाड़ी देशों के ओपेक और ओपेक+ संगठनों की रणनीतियों पर होगा, बल्कि उन देशों पर भी पड़ेगा जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए तेल आयात पर निर्भर हैं।

अमेरिकी तेल उत्पादन में उछाल का संकेत

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका का क्रूड ऑयल उत्पादन नए स्तर पर पहुंच सकता है। शेल ऑयल प्रोडक्शन में तेजी आने की संभावना के साथ, अमेरिकी तेल आपूर्ति में इजाफा होगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के सीईओ मुकेश सुराणा के अनुसार, यदि ट्रंप प्रशासन अपने वादों को पूरा करता है, तो अमेरिका न केवल अपने शेल ऑयल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि करके ओपेक की पकड़ को कमजोर करेगा।

ओपेक की रणनीतियों पर दबाव

ओपेक और ओपेक+ की कीमतें नियंत्रित करने की नीतियां अमेरिकी तेल उत्पादन में वृद्धि के चलते प्रभावहीन हो सकती हैं। बढ़ी हुई अमेरिकी आपूर्ति ओपेक+ के बाजार हिस्से पर दबाव बनाएगी, जिससे न केवल तेल की कीमतों में गिरावट आएगी, बल्कि ओपेक+ को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।

भारत के लिए संभावित लाभ

भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 80% से अधिक आयात करता है, इस स्थिति में प्रमुख लाभार्थी हो सकता है। सस्ती कच्चे तेल की कीमतें भारत के आयात बिल को कम कर सकती हैं, जिससे व्यापार घाटे में सुधार और महंगाई पर नियंत्रण किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, कम तेल की कीमतें घरेलू उपभोक्ताओं के लिए ईंधन की कीमतों में राहत ला सकती हैं।

यूक्रेन युद्ध और कीमतों में गिरावट की संभावना

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यूक्रेन युद्ध समाप्त होता है और रूसी गैस की आपूर्ति फिर से यूरोप में सामान्य होती है, तो एलएनजी और कच्चे तेल की कीमतों में 20% तक गिरावट संभव है। यह न केवल भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि घरेलू गैस उपभोक्ताओं को भी राहत प्रदान करेगा।

ग्रीन एनर्जी सेक्टर पर प्रभाव

ट्रंप ने ग्रीन न्यू डील और इलेक्ट्रिक व्हीकल मैंडेट को खत्म करने का संकेत दिया है। यह नीति बदलाव नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक व्हीकल के विकास पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

क्या पेट्रोल और डीजल होंगे सस्ते?

हालांकि तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में तत्काल कमी की संभावना कम है। यह कटौती तभी संभव होगी जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें लंबे समय तक निम्न स्तर पर बनी रहें।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां वैश्विक ऊर्जा बाजार को नए सिरे से परिभाषित कर सकती हैं। अमेरिकी तेल उत्पादन में वृद्धि और ओपेक की पकड़ कमजोर होने से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। यह भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए आर्थिक लाभ का संकेत है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये बदलाव ग्रीन एनर्जी सेक्टर और वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।