- भारत,
- 06-Jul-2025 07:20 PM IST
Share Market Crash: शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भूचाल आ गया, जब सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की जांच के चलते चार बड़े कैपिटल मार्केट स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी गई। इस गिरावट ने बाजार की नाजुक निर्भरता को उजागर कर दिया। विदेशी ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट पर सेबी की कार्रवाई ने न केवल उसे, बल्कि उसके भारतीय साझेदारों और पूरे डेरिवेटिव्स मार्केट को प्रभावित किया। नतीजतन, एक ही दिन में करीब 12,000 करोड़ रुपये की मार्केट वैल्यू साफ हो गई।
नुवामा को सबसे बड़ा नुकसान
जेन स्ट्रीट की भारतीय ट्रेडिंग पार्टनर नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट को इस हंगामे में सबसे ज्यादा झटका लगा। इसके शेयर शुक्रवार को 11.26% तक लुढ़क गए, हालांकि सेबी की जांच में नुवामा का कोई गलत काम सामने नहीं आया। फिर भी, निवेशकों में डर फैल गया और उन्होंने शेयर बेचने शुरू कर दिए। जेन स्ट्रीट जैसे बड़े क्लाइंट के संभावित नुकसान से नुवामा की आय पर असर पड़ सकता है, जिसने निवेशकों की बिकवाली को और तेज कर दिया।
इसके अलावा, स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और ब्रोकिंग फर्म एंजेल वन के शेयरों में करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीडीएसएल) के शेयर 2% से ज्यादा टूटे। इन चारों कंपनियों की मार्केट वैल्यू में कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
बैंक निफ्टी में हेरफेर का आरोप
सेबी ने जेन स्ट्रीट और उसकी सहयोगी कंपनियों पर बैंक निफ्टी इंडेक्स ऑप्शंस और अंडरलाइंग स्टॉक्स में हेरफेर करने का आरोप लगाया है। नियामक ने इन फर्मों को 4,844 करोड़ रुपये की कथित अवैध कमाई वापस करने का आदेश दिया। यह कार्रवाई जेन स्ट्रीट की गड़बड़ियों को लेकर थी, लेकिन इसका असर पूरे बाजार पर पड़ा। जेन स्ट्रीट जैसी प्रॉप ट्रेडिंग फर्म्स भारतीय बाजार में ऑप्शंस ट्रेडिंग का लगभग 50% वॉल्यूम संभालती हैं। जीरोधा के फाउंडर नितिन कामथ ने चेतावनी दी कि ऐसी फर्म्स के बाजार से हटने पर रिटेल ट्रेडिंग (जो करीब 35% वॉल्यूम है) पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर खतरा
आसित सी. मेहता के हेड ऑफ इंस्टीट्यूशनल रिसर्च सिद्धार्थ भामरे ने कहा, “जेन स्ट्रीट भारतीय बाजार में सबसे बड़े ट्रेडर्स में से एक है। जब ऐसी फर्म्स पर कार्रवाई होती है, तो बाकी खिलाड़ी सतर्क हो जाते हैं और अपनी गतिविधियां कम कर देते हैं। इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी आ सकती है।” उन्होंने आगे बताया कि ट्रेडर्स को अब कम काउंटरपार्टियां मिलेंगी, जिससे फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) वॉल्यूम में और गिरावट हो सकती है।
कोटक सिक्योरिटीज के प्रेसिडेंट आशीष नंदा ने कहा कि हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्म्स पर इस कार्रवाई का बड़ा असर पड़ सकता है। “एचएफटी फर्म्स बाजार में भारी लिक्विडिटी लाती हैं। अगर इनकी गतिविधियां कम होती हैं, तो रिटेल वॉल्यूम भी प्रभावित होगा। कई फर्म्स अब अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर रही होंगी।”
रिटेल निवेशकों का बढ़ता प्रभाव
इस संकट के बीच कुछ विशेषज्ञ आशावादी हैं। एंजेल वन के फाउंडर दिनेश ठक्कर ने कहा कि भारतीय बाजार की संरचना मजबूत है और यह किसी एक फर्म पर निर्भर नहीं है। “2018 में रिटेल निवेशकों की इक्विटी डेरिवेटिव्स में हिस्सेदारी सिर्फ 2% थी, जो 2025 में बढ़कर 40% से ज्यादा हो गई है। यह बाजार की मजबूती को दर्शाता है।”
ठक्कर ने आगे कहा, “जब एक खिलाड़ी बाहर जाता है, तो दूसरा उसकी जगह ले लेता है।” उन्होंने सिटाडेल सिक्योरिटीज, आईएमसी ट्रेडिंग, ऑप्टिवर, जंप ट्रेडिंग और मिलेनियम जैसी ग्लोबल फर्म्स का उल्लेख किया, जो भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं। ये फर्म्स स्थानीय इकाइयां स्थापित कर रही हैं, टैलेंट हायर कर रही हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश कर रही हैं।