Donald Trump News / नोबेल पाने को बेताब ट्रंप, बोले- मैंने रोकवाया भारत-पाक युद्ध; पर मुझे नहीं मिलेगा प्राइज

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि शांति प्रयासों के बावजूद उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा। ट्रंप ने रवांडा-कांगो, इजराइल-अरब देशों सहित कई संघर्षों में मध्यस्थता का भी दावा किया है।

Donald Trump News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने विवादित बयानों की फेहरिस्त में नया इजाफा करते हुए दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका था। ट्रंप ने यह बात अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर साझा की और साथ ही यह भी जोड़ा कि भले ही वह कितने भी अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करें, उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार कभी नहीं मिलेगा।

जबरन क्रेडिट और नोबेल की चाह

ट्रंप का यह बयान उस मनोवृति को उजागर करता है जिसमें वह बार-बार अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों का श्रेय स्वयं को देने की कोशिश करते हैं। उन्होंने लिखा, “मैं चाहे कुछ भी करूं, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा।” यह कथन यह दर्शाता है कि ट्रंप खुद को विश्वशांति का नायक बताना चाहते हैं, भले ही संबंधित देश उनकी मध्यस्थता को मान्यता न दें।

रवांडा-कांगो विवाद में मध्यस्थता का दावा

भारत-पाक के अलावा ट्रंप ने अफ्रीकी महाद्वीप की दो प्रमुख देशों—रवांडा और कांगो—के बीच दशकों से चल रहे हिंसक संघर्ष को समाप्त करने के लिए भी मध्यस्थता का दावा किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक शांति समझौते की नींव रखी गई है, जिस पर जल्द ही वाशिंगटन डीसी में हस्ताक्षर हो सकते हैं। ट्रंप ने इसे "पूरी दुनिया के लिए एक महान दिन" करार दिया, लेकिन नोबेल की निराशा यहां भी उनकी बातों में झलकती रही।

भारत और अन्य देशों के बीच शांति का भी क्रेडिट

ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने सर्बिया-कोसोवो, मिस्र-इथियोपिया, रूस-यूक्रेन और इजराइल-ईरान के बीच तनाव कम करने में अहम भूमिका निभाई है। उनका उद्देश्य स्पष्ट है—अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में अपनी भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना ताकि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उन्हें एक योग्य उम्मीदवार माना जाए। हालांकि, इनमें से कई मामलों में कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं है कि ट्रंप की पहल से शांति वार्ता को कोई वास्तविक गति मिली।

अब्राहम समझौते का हवाला और वेस्ट एशिया की 'एकता'

ट्रंप ने अब्राहम समझौते को भी अपनी प्रमुख उपलब्धि बताया, जिसके तहत कुछ अरब देशों ने इजराइल से औपचारिक राजनयिक संबंध बनाए। उन्होंने दावा किया कि यह समझौता पश्चिम एशिया में एक ऐतिहासिक बदलाव लाया, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपेक्षित मान्यता नहीं मिली।

भारत का पलटवार और सच्चाई

भारत सरकार ने ट्रंप के भारत-पाक युद्ध रोकने के दावे को पहले ही खारिज कर दिया था। भारत ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम पर सहमति सैन्य अधिकारियों के प्रत्यक्ष संवाद से बनी थी, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से। ऐसे में ट्रंप का यह दावा राजनीतिक प्रचार जैसा ही प्रतीत होता है।

पाकिस्तान की तरफ से समर्थन

ट्रंप की इस नोबेल की चाह को पाकिस्तान से अप्रत्याशित समर्थन मिला है। वाशिंगटन में पाकिस्तानी सेना प्रमुख के साथ हुई एक लंच मीटिंग के बाद पाकिस्तान पहला देश बना जिसने ट्रंप के नोबेल पुरस्कार को समर्थन देने की घोषणा की। यह समर्थन एक हास्यास्पद राजनीतिक सौदे जैसा प्रतीत होता है—जहां लंच के बदले नोबेल की सिफारिश की जा रही हो।