आज राष्ट्र को संबोधित करेंगे इमरान / आखिरी बॉल के लिए बचे हैं दो विकल्प, अविश्वास प्रस्ताव का सामना या इस्तीफा

Zoom News : Apr 08, 2022, 10:44 AM
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार को सुनाए गए फैसले ने वहां की सियासत में हलचल मचा दी है। शीर्ष अदालत ने इमरान खान को तगड़ा झटका देते हुए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए कहा है। नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का जो फैसला दिया था, उसे रद्द कर दिया गया है। संसद बहाल कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर इमरान खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, वे शुक्रवार को देश को संबोधित करेंगे। ऐसे में इमरान के पास आखिरी बॉल पर दो ही विकल्प बचते हैं। एक, अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें, दूसरा उससे पहले इस्तीफा दे दें। शाहबाज शरीफ ने डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और प्रधानमंत्री इमरान खान पर 'गंभीर देशद्रोह' का आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों पर पाकिस्तानी संविधान के 'अनुच्छेद 6' के तहत कार्रवाई बनती है। 

क्या कहता है पाकिस्तान का 'अनुच्छेद 6' ... 

संविधान के अनुच्छेद 6 में लिखा है, हर वो व्यक्ति देशद्रोही है, जो ताकत के इस्तेमाल या किसी भी असंवैधानिक तरीके से पाकिस्तान के संविधान को निरस्त करता है, भंग करता है, निलंबित करता है या अस्थायी रूप से भी निलंबित करता है या ऐसा करने की कोशिश भी करता है, या इस तरह के प्रयास करने की साजिश में शामिल होता है। इन सभी बातों को 'गंभीर देशद्रोह' के दायरे में बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष और मुख्य विपक्षी नेता शहबाज शरीफ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है, जिससे न सिर्फ पाकिस्तान का संविधान बच गया, बल्कि पाकिस्तान बच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला देकर अपनी प्रतिष्ठता और आजादी में चार चांद लगा दिए हैं। उन्होंने कहा कि इससे संसद की गरिमा बहाल हुई है। वहीं इमरान खान सरकार के मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राजनीतिक अस्थिरता में इजाफा हुआ है। उन्होंने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, फौरन चुनाव होने से मुल्क में स्थिरता आ सकती थी, लेकिन जनता की अहमियत पर ध्यान नहीं दिया गया है। 

बिलावल भुट्टो ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ट्विटर पर लिखा है, 'डेमोक्रेसी इज द बेस्ट रिवेंज'। मरियम नवाज शरीफ ने इस फैसले बाबत कहा, यह संविधान की जीत है। संविधान को तोड़ने वालों का काम तमाम हो गया है। विदेशी संबंधों के जानकार, रक्षा विशेषज्ञ और 'ओआरएफ' के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा कि इमरान खान ने अमेरिका का नाम लेकर पाकिस्तान की सियासत में खुद को बचाने का जो ड्रामा किया था, उसका अब पटाक्षेप हो गया है। 

इमरान खान जो शहादत चाहते थे, वह उन्हें नहीं मिली। इस चक्कर में उन्होंने अमेरिका एवं दूसरे पश्चिम देशों को भी अपने खिलाफ खड़ा कर लिया। दो राजनयिकों के बीच के अति गोपनीय पत्र को सार्वजनिक किया गया। इमरान यहीं पर नहीं रूके, उन्होंने इतना भी कह दिया कि वे दुनिया में इस्लाम का झंडा बुलंद कर रहे हैं, इसलिए सब उनके खिलाफ हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इमरान खान ने कहा, मैंने कल (शुक्रवार) को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। पार्लियामेंट्री पार्टी मीटिंग भी होगी। मैं शाम को राष्ट्र को संबोधित करूंगा। देश के लिए मेरा संदेश है कि आखिरी गेंद तक पाकिस्तान के लिए मुकाबला करूंगा। 

सेना के साथ से दूर हो गए हैं इमरान खान!  

चूंकि पाकिस्तान में आखिरी निर्णय फौज की सहमति से ही होता है, लेकिन आज इमरान खान, सेना से दूर हो गए हैं। सैन्य मामलों के जानकार ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता (रिटायर्ड) बताते हैं, पाकिस्तान में राजनीतिक प्लेटफार्म हो या बिजनेस, आखिरी फैसला तो सेना के हाथ में ही होता है। अब वहां की सेना, इमरान खान के प्रति तटस्थ हो गई। इमरान ने फौज को जानवर तक कह दिया था। अब इमरान के पास कोई विकल्प नहीं है। इमरान खान के सामने दो ही विकल्प बचे हैं, वे अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें या उससे पहले इस्तीफा दे दें। इमरान खान ने जो ड्रामा किया था, उसमें 'अमेरिका' का नाम तो लिया, लेकिन 'चीन' को भूल गए। इमरान खान ने खुद ही सेना को अपने खिलाफ खड़ा कर लिया। रही सही कसर उन्होंने संविधान के अनुच्छेद छह का कथित उल्लंघन कर पूरी कर दी। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला इमरान खान के सियासी मकसद को ले बैठा है। 

9 अप्रैल को जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी तो उसमें इमरान खान की हार तय है। इमरान खान के एक मुख्य सहयोगी दल एमक्यूएम-पी भी विपक्षी खेमे में जा चुका है। इस पार्टी के 7 सांसद हैं। पांच सांसदों वाली पार्टी बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) ने भी विपक्ष के साथ जाने का ऐलान कर दिया था। इमरान खान को सरकार बचाने के लिए 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 वोट की जरूरत है। इमरान खान की पार्टी पीटीआई के पास 155 सांसद हैं। उसमें भी दो दर्जन से ज्यादा सांसद बगावत का झंडा उठाए हैं। विपक्ष का दावा है कि उसके पास 175 सांसदों का समर्थन है।

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