नॉलेज / ये हैं दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट, रोंगटे खड़े करती है लोकेशन

News18 : Aug 08, 2020, 09:27 AM
केरल (Kerala) के कोझिकोड एयरपोर्ट (Kozhikode Airport) पर शुक्रवार शाम एयर इंडिया का एक यात्री विमान लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में 19 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक रनवे के टेबल-टॉप होने के कारण ऐसा हुआ। यानी हवाई अड्डे इर्द-गिर्द खाई है। इस तरह के हवाई अड्डे में काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। पहले भी मंगलौर में इसी तरह के रनवे पर हादसा हो चुका है।


क्यों खतरनाक होता है टेबल-टॉप रनवे

सबसे पहले तो विस्तार में समझते हैं क्या होता है टेबल-टॉप रनवे। ये वे रनवे हैं, जो किसी पहाड़ या पठारी पर होते हैं, जिनके एक तरफ या दोनों ओर ही खाई होती है। इस तरह के रनवे एक तरह का ऑप्टिकल इल्यूजन यानी भ्रम पैदा करते हैं कि रनवे का हिस्सा आगे यानी खाई की तरफ बढ़ा हुआ दिखने लगता है। बारिश में ये स्थिति और बुरी हो जाती है। यही वजह है कि इसमें उड़ान भरते या उतरते हुए बहुत ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है।

कोझिकोड एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम एयर इंडिया का एक यात्री विमान लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया (Photo-twitter)


तीन इस तरह के एयरपोर्ट हैं

देश में टेबल-टॉप की श्रेणी में आने वाले 3 एयरपोर्ट हैं- केरल का कोझिकोड, मंगलौर एयरपोर्ट और मिजोरम लेंगपुई हवाई अड्डा। इनमें से मैंगलोर एयरपोर्ट पर साल 2010 में हादसा हो चुका है। 23 मई को दुबई से मंगलौर आ रहे एयर इंडिया के बोइंग 737 विमान में 168 यात्री मौजूद थे। खराब मौसम के बीच मंगलौर हवाई अड्डे पर उतरते समय विमान हवाई पट्टी से फिसल कर गहरी खाई में जा गिरा, जिसमें लगभग 160 यात्रियों की जानें गई थीं। हादसे में केवल वही 8 लोग बचे थे, जिन्होंने एयरक्राफ्ट से बाहर छलांग लगा दी थी। उस हादसे को देश के सबसे त्रासद हवाई हादसे में शामिल किया जाता है।


दुनियाभर में कई खतरनाक एयरपोर्ट्स

वैसे दुनिया में कई ऐसे एयरपोर्ट हैं जिनकी भौगोलिक स्थिति उन्हें हर मौसम में सबसे खतरनाक एयरपोर्ट्स में रखे हुए है। इसमें से एक है नेपाल का तेनजिंग हिलेरी एयरपोर्ट, जिसे लुक्ला (Lukla) एयरपोर्ट भी कहते हैं। ये दुनिया के सबसे भयानक एयरपोर्ट्स में शामिल है। हिमालय की बर्फीली चोटियों में माउंट एवरेस्ट के पास बना ये एयरपोर्ट 9,325 फीट ऊंचाई पर है।

इसका रनवे काफी छोटा है, जिसके कारण यहां छोटे विमान ही उतर सकते हैं। यहां रनवे के एक ओर पहाड़ियां हैं तो दूसरी ओर दक्षिण में लगभग 600 मीटर गहरी खाई है। यहां जाने के लिए खासा मजबूत कलेजा चाहिए, यही वजह है कि एवरेस्ट फतह करने की इच्छा रखने वाले ही यहां जाते हैं।

भूटान का पैरो एयरपोर्ट और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है, यही वजह है कि यहां उतरने या उड़ान भरने के लिए आज तक दुनिया के सिर्फ 17 पायलेट्स को ही अनुमति मिल सकी है। ये 18,000 फीट के पहाड़ों से घिरा हुआ है, जहां का रनवे 6,500 फीट का है। यहां दोपहर होते ही घुप अंधेरा होने लगता है इसलिए सिर्फ दिन की रोशनी में ही एयरपोर्ट पर आया-जाया जा सकता है। यहां उतरने या उड़ान भरने के लिए आज तक दुनिया के सिर्फ 17 पायलेट्स को ही अनुमति मिल सकी है


जहां केवल 17 पायलेट्स को मिली इजाजत

भूटान का पैरो एयरपोर्ट और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है, यही वजह है कि यहां उतरने या उड़ान भरने के लिए आज तक दुनिया के सिर्फ 17 पायलेट्स को ही अनुमति मिल सकी है। ये 18,000 फीट के पहाड़ों से घिरा हुआ है, जहां का रनवे 6,500 फीट का है। यहां दोपहर होते ही घुप अंधेरा होने लगता है इसलिए सिर्फ दिन की रोशनी में ही एयरपोर्ट पर आया-जाया जा सकता है।


चट्टान पर बना रनवे

कैरेबियाई द्वीप साबा का Juancho E। Yrausquin Airport किसी भी कमजोर दिल वाले की हालत खराब कर सकता है। यहां दुनिया का सबसे छोटा कमर्शियल रनवे है जो एक चट्टान पर बना है और तीन तरफ समुद्र से घिरा है। इस रनवे की लंबाई करीब 396 मीटर है, जबकि आम रनवे 2000 से 2500 मीटर लंबे होते हैं। यही वजह है कि जिस फ्लाइट की स्पीड तेजी से घट सके, वही यहां आ सकता है वरना बड़ी दुर्घटना तय है।

न्यूजीलैंड का वेलिंगटन इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Wellington International Airport) इसी के तहत आता है। इसकी रनवे समुद्र के बीचोंबीच है, जो वहीं से शुरू और वहीं खत्म होता है। ये सिंगल लेन है, जहां किसी भी हाल में फ्लाइट मुड़ नहीं सकती है। पहाड़ों और समुद्र के बीच होने के कारण इस एयरपोर्ट में हरदम तूफानी हवाएं चलती होती हैं और कही पायलेट्स यहां से उड़ान भर पाते हैं। ये सिंगल लेन है, जहां किसी भी हाल में फ्लाइट मुड़ नहीं सकती


समुद्र के बीचोंबीच रनवे

न्यूजीलैंड का वेलिंगटन इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Wellington International Airport) इसी के तहत आता है। इसका रनवे समुद्र के बीचोंबीच है, जो वहीं से शुरू और वहीं खत्म होता है। ये सिंगल लेन है, जहां किसी भी हाल में फ्लाइट मुड़ नहीं सकती है। पहाड़ों और समुद्र के बीच होने के कारण इस एयरपोर्ट में हरदम तूफानी हवाएं चलती होती हैं और कही पायलेट्स यहां से उड़ान भर पाते हैं।


मकानों से घिरा हुआ एयरपोर्ट

हांगकांग का काई टाक एयरपोर्ट (Kai Tak Airport) इंटरनेशनल एयरपोर्ट हुआ करता था, जो खतरों की वजह से साल 1998 में ही बंद हो चुका। इसके नाम में ही खतरा छिपा हुआ है, काई टाक यानी मेंडेरियन भाषा में होता है दिल का दौरा पड़ना। यहां लैंड करना दिल के दौरे को बुलावा देने से अलग नहीं था। दोनों तरफ से रिहायशी मकानों से घिरे इस एयरपोर्ट पर उतरने के दौरान यात्री लोगों के घरों की खिड़कियों-दरवाजों से तक झांकते हुए उतरते थे

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