Team India Sponsors / शेयर बाजार नहीं टीम इंडिया की जर्सी में डूबी ये कंपनियां, सहारा से लेकर Dream 11 तक ऐसा रहा सफर

अगर आप सोचते हैं कि रिस्क सिर्फ शेयर बाजार में है तो ऐसा नहीं है। टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप का इतिहास भी यही दिखाता है। सहारा से माइक्रोमैक्स, बायजू से लेकर ड्रीम11 तक कंपनियां आईं और डगमगाईं। हर्ष गोयनका के मुताबिक, यह असली सर्वाइवल टेस्ट का पैमाना है।

Team India Sponsors: अगर आप सोच रहे हैं कि पैसा केवल शेयर बाजार में ही डूबता है, तो यह गलतफहमी है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको सोच में डाल देगी। बिजनेस जगत के दिग्गज कारोबारी हर्ष गोयनका ने हाल ही में एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप के इतिहास को ब्रांड्स की सर्वाइवल स्किल टेस्ट करने का पैमाना बताया। उनके मुताबिक, अगर आप अपने ब्रांड की मजबूती जांचना चाहते हैं, तो शेयर बाजार की जगह टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप का इतिहास देखें। आइए, इस अनोखे "जर्सी अभिशाप" की कहानी को करीब से समझते हैं।

सहारा: एक समय का बादशाह, आज बेसहारा

सहारा ग्रुप का नाम एक समय में भारत में हर जुबान पर था। रियल एस्टेट से लेकर फाइनेंस और मीडिया तक, सहारा का दबदबा था। साल 2001 से 2013 तक इस कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी को स्पॉन्सर किया। उस दौर में सहारा का लोगो टीम इंडिया की जर्सी पर चमकता था, लेकिन समय ने करवट ली। सहारा ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे, और धीरे-धीरे कंपनी का बुरा हाल हो गया। आज सहारा अपने पुराने गौरव को वापस पाने की जद्दोजहद में है। क्या यह महज इत्तेफाक था, या जर्सी स्पॉन्सरशिप का "अभिशाप"?

माइक्रोमैक्स: सस्ते स्मार्टफोन्स का सितारा, जो डूब गया

माइक्रोमैक्स ने सस्ते स्मार्टफोन्स के दम पर भारतीय बाजार में तहलका मचा दिया था। एक समय ऐसा था जब माइक्रोमैक्स ने सैमसंग और नोकिया जैसे दिग्गजों को कड़ी टक्कर दी। इसी जोश में कंपनी ने साल 2014 से 2016 तक टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप हासिल की। लेकिन जैसे ही चीनी स्मार्टफोन कंपनियों ने भारतीय बाजार में कदम रखा, माइक्रोमैक्स का चार्म फीका पड़ने लगा। धीरे-धीरे यह कंपनी मार्केट से लगभग गायब हो गई। क्या जर्सी का "शाप" यहाँ भी काम कर गया?

बायजू: एडटेक का सितारा, जो गर्दिश में

साल 2019 से 2023 तक भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर बायजू का लोगो नजर आया। कोरोना काल में बायजू ने ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। हर घर में बायजू का नाम गूंज रहा था। लेकिन जर्सी स्पॉन्सरशिप के बाद कंपनी की राहें मुश्किल होती गईं। वित्तीय गड़बड़ियों, फर्जी लेन-देन के आरोप, और भारी कर्ज ने बायजू को संकट में डाल दिया। आज यह कंपनी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। क्या यह भी जर्सी के "अभिशाप" का शिकार हुई?

ड्रीम11: सपनों की उड़ान, जो टूटी

ऑनलाइन गेमिंग कंपनी ड्रीम11 ने साल 2023 में 358 करोड़ रुपये की भारी-भरकम डील के साथ टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप हासिल की। कंपनी ने विज्ञापनों पर करीब 2400 करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर सख्ती करते हुए टैक्स और रेगुलेशन के नियम लागू किए, जिसका असर ड्रीम11 पर भी पड़ा। नतीजा? बीसीसीआई ने ड्रीम11 के साथ करार तोड़ दिया। अब सवाल यह है कि क्या ड्रीम11 भी इस "जर्सी अभिशाप" का शिकार हो गई?

क्या है इस "अभिशाप" का सच?

हर्ष गोयनका का यह पोस्ट मजाकिया अंदाज में भले ही लिखा गया हो, लेकिन यह एक गंभीर सवाल उठाता है। क्या वाकई टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप किसी ब्रांड के लिए खतरे की घंटी है? सहारा, माइक्रोमैक्स, बायजू, और अब ड्रीम11—इन सभी कंपनियों ने अपने चरम पर जर्सी स्पॉन्सरशिप हासिल की, लेकिन बाद में इनका बुरा हाल हुआ। क्या यह महज संयोग है, या फिर क्रिकेट के इस तिलिस्म में कुछ और राज छिपा है?

अब कौन थामेगा जर्सी का दामन?

अब सवाल यह है कि अगली कंपनी कौन सी होगी, जो टीम इंडिया की जर्सी पर अपना लोगो लगाएगी? और क्या वह इस तथाकथित "अभिशाप" को तोड़ पाएगी? क्रिकेट भारत में धर्म की तरह है, और टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप किसी भी ब्रांड के लिए गर्व की बात है। लेकिन इस इतिहास को देखकर लगता है कि यह मौका जितना बड़ा है, उतना ही जोखिम भरा भी।