Unnao Rape Case / उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, दो हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगा दी है। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सेंगर से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी, तब तक सेंगर जेल में ही रहेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय ने उन्नाव रेप केस के दोषी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह फैसला सोमवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने सेंगर को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद निर्धारित की गई है, जिसका अर्थ है कि तब तक कुलदीप सेंगर जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। यह फैसला पीड़िता और उसके समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है,। जो न्याय की लंबी लड़ाई में एक अस्थायी राहत लेकर आया है।

CBI की याचिका और कोर्ट की दलीलें

दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सेंगर को जमानत दी थी, जिसके तीन दिन बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट में इस जमानत के खिलाफ याचिका दायर की थी। सोमवार को हुई सुनवाई में बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को करीब 40 मिनट तक सुना। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर से पेश होते हुए इस मामले को 'भयावह' बताया। उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि सेंगर पर धारा 376 (रेप) और पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत आरोप। तय हुए थे, जिनमें न्यूनतम 20 साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। मेहता ने मामले की गंभीरता पर जोर देते हुए जमानत रद्द करने की मांग की, ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके और ऐसे गंभीर अपराधों में दोषियों को आसानी से राहत न मिल सके।

मुख्य न्यायाधीश की महत्वपूर्ण टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि कोर्ट को लगता। है कि इस मामले में कुछ अहम सवालों पर विस्तार से विचार करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आमतौर पर कोर्ट का सिद्धांत यह है कि यदि किसी दोषी या विचाराधीन कैदी को रिहा कर दिया गया हो, तो उसे सुने बिना ऐसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती। हालांकि, इस मामले में परिस्थितियां भिन्न हैं, क्योंकि आरोपी पहले से ही एक अन्य मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और इन्हीं विशेष परिस्थितियों को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के जमानत आदेश पर रोक लगाई जाती है। यह टिप्पणी इस बात पर जोर देती है कि सेंगर की पिछली सजा ने इस मामले में कोर्ट के दृष्टिकोण को प्रभावित किया है और इसे एक असाधारण मामला माना गया है।

पीड़ित के वकील का पक्ष और सीबीआई पर सवाल

उन्नाव रेप मामले की पीड़िता की ओर से पेश हुए वकील महमूद प्राचा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'छोटी राहत' बताया, लेकिन इसे 'जीत' मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ 'सांस लेने का वक्त' है। प्राचा ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने बहुत सीमित बिंदुओं पर अपना। पक्ष रखा और उनके सबसे मजबूत तर्कों को नहीं उठाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई ने पीड़िता से बिल्कुल भी सलाह नहीं ली और उन्हें इस केस में पक्षकार भी नहीं बनाया और प्राचा ने जोर देकर कहा कि पीड़िता के पक्ष में इतने मजबूत सबूत हैं कि कोई भी अदालत उसके समर्थन में फैसला दे सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि अदालत ने मामले के मुख्य गुण-दोष (मेरिट्स) पर उनकी बात नहीं सुनी, बल्कि सीबीआई ने केवल ऊपरी हिस्से पर चर्चा की, जबकि पूरा मामला उनके पास है।

आरोपी की रिहाई पर सख्त रोक

पीड़ित पक्ष के एक अन्य वकील हेमंत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि निचली अदालतों को एक सख्त आदेश जारी किया गया है कि आरोपी को किसी भी हालत में जेल से रिहा नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राहत देने वाले आदेश पर रोक लगा दी गई है और विपक्ष को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया गया है, तब तक सेंगर जेल में ही रहेंगे। यह सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है और हाई कोर्ट के आदेश पर प्रभावी रूप से रोक। लगा दी गई है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कुलदीप सेंगर को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पूरा देश इस अत्याचार के खिलाफ पीड़ित के साथ खड़ा है और अजय राय ने यह भी दावा किया कि अगर पीड़िता राहुल गांधी से नहीं मिली होती, तो उसके साथ होने वाले अत्याचार जारी रहते। इस मामले की सुनवाई से पहले, सुप्रीम कोर्ट के बाहर महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पीड़िता के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प भी हुई, जिसके बाद पुलिस उन्हें जीप में बैठाकर ले गई। यह घटना इस संवेदनशील मामले को लेकर जन आक्रोश और राजनीतिक दलों की सक्रियता को दर्शाती है।

आगे की राह और कानूनी प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को दो हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद चार हफ्ते बाद मामले की अगली सुनवाई होगी। इस अवधि के दौरान, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रोक जारी रहेगी और सेंगर जेल में ही रहेंगे। यह फैसला पीड़िता और उसके समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न्याय की लंबी लड़ाई में एक अस्थायी राहत लेकर आया है और मामले की अगली सुनवाई में और भी महत्वपूर्ण कानूनी दलीलें सामने आने की उम्मीद है, जो इस हाई-प्रोफाइल केस के भविष्य को आकार देंगी और अंततः न्याय की दिशा तय करेंगी।