Vaibhav Suryavanshi / 'मैं 200 रन भी बना लूं फिर भी वो खुश नहीं होते'- सूर्यवंशी ने किसको लेकर कही ऐसी बात

युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने खुलासा किया है कि उनके पिता संजीव सूर्यवंशी उनके प्रदर्शन से कभी संतुष्ट नहीं होते, चाहे वह 200 रन ही क्यों न बना लें। राइजिंग स्टार्स एशिया कप में यूएई के खिलाफ 144 रन की तूफानी पारी के बाद उन्होंने यह बात कही। उनकी मां हालांकि हमेशा खुश रहती हैं।

भारत के युवा क्रिकेट सनसनी वैभव सूर्यवंशी इन दिनों राइजिंग स्टार्स एशिया कप में अपनी बल्लेबाजी का जलवा बिखेर रहे हैं। हाल ही में यूएई के खिलाफ एक धमाकेदार मुकाबले में उन्होंने 42 गेंदों। में 144 रनों की अविश्वसनीय पारी खेलकर क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस तूफानी प्रदर्शन के बाद, वैभव ने एक दिलचस्प खुलासा किया है, जिसके अनुसार उनके पिता संजीव सूर्यवंशी उनके खेल। से कभी पूरी तरह खुश नहीं होते, भले ही वह मैदान पर कितना भी बड़ा स्कोर क्यों न बना लें। यह बात उन्होंने बीसीसीआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में कही,। जहां वह अपने पिता से मैच के बाद बात कर रहे थे।

यूएई के खिलाफ वैभव की ऐतिहासिक पारी

15 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने यूएई के खिलाफ अपनी बल्लेबाजी से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने सिर्फ 32 गेंदों में अपना शतक पूरा किया, जो कि। भारतीय द्वारा संयुक्त रूप से दूसरा सबसे तेज टी-20 शतक है। इस उपलब्धि के साथ उन्होंने 2018 सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में दिल्ली के लिए खेलते हुए ऋषभ पंत द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। वैभव की 42 गेंदों की 144 रनों की पारी में 11 शानदार चौके और 15 गगनचुंबी छक्के शामिल थे, जिसने दर्शकों को दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दिया और उनकी इस विस्फोटक बल्लेबाजी की बदौलत इंडिया ए ने निर्धारित 20 ओवरों में 297 रनों का एक विशाल स्कोर खड़ा किया, जो किसी भी टी-20 मैच में एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य होता है। यह पारी न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा का प्रमाण थी, बल्कि। टीम को एक मजबूत स्थिति में पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पिता संजीव सूर्यवंशी की कठोर अपेक्षाएं

मैच के बाद, बीसीसीआई ने एक वीडियो साझा किया जिसमें वैभव अपने पिता संजीव सूर्यवंशी से बात कर रहे थे। इस बातचीत के दौरान, उनके पिता ने वैभव से कहा कि वह जिस गेंद पर आउट हुए, उस पर भी छक्का लगा सकते थे और यह टिप्पणी वैभव के उस खुलासे को और पुख्ता करती है कि उनके पिता उनके प्रदर्शन से कभी संतुष्ट नहीं होते। वैभव ने बताया, “मेरे पिता मेरे प्रदर्शन से कभी संतुष्ट नहीं होते, चाहे मैं 200 रन भी बना लूं; फिर भी वे कहते हैं कि मैं 10 रन और बना सकता था और ” यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो कई एथलीटों के माता-पिता में देखा जाता है, जहां वे अपने बच्चों को लगातार अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने और हर बार बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह 'कठोर प्रेम' की एक मिसाल है, जो एक युवा खिलाड़ी। को आत्मसंतुष्ट होने से बचाकर हमेशा उत्कृष्टता की ओर धकेलता है। हालांकि, यह युवा खिलाड़ी पर एक अतिरिक्त दबाव भी डाल सकता है, लेकिन वैभव इसे सकारात्मक रूप से लेते दिख रहे हैं।

मां का अटूट समर्थन और भावनात्मक संतुलन

जहां एक ओर पिता की अपेक्षाएं वैभव को लगातार बेहतर करने के लिए प्रेरित करती हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी मां का अटूट समर्थन उन्हें भावनात्मक संतुलन प्रदान करता है। वैभव ने बताया, “मेरी मां मुझे बल्लेबाजी करते हुए देखकर हमेशा खुश होती हैं, चाहे मैं शतक बनाऊं या शून्य पर आउट हो जाऊं, वह बस यही कहती हैं, अच्छा करते रहो और ” यह मां का प्यार और समर्थन ही है जो एक युवा खिलाड़ी को खेल के उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद करता है। खेल में सफलता और असफलता दोनों ही आती हैं, और ऐसे में मां का बिना शर्त समर्थन वैभव को मानसिक रूप से मजबूत रहने और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह दिखाता है कि कैसे परिवार के अलग-अलग सदस्य एक खिलाड़ी के जीवन में अलग-अलग लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वैभव का स्वाभाविक खेल दृष्टिकोण

अपनी बल्लेबाजी शैली और क्रीज पर अपने दृष्टिकोण के बारे। में बात करते हुए, वैभव सूर्यवंशी ने एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने बताया कि वह हमेशा अपना स्वाभाविक खेल खेलना चाहते हैं और कुछ भी अलग करने की कोशिश नहीं करते। उन्होंने कहा, “मैं कुछ भी अलग करने की कोशिश नहीं करता और मैं बस बचपन से जो अभ्यास करता आया हूं, जो कड़ी मेहनत करता आया हूं, उस पर ध्यान केंद्रित करता हूं और मैदान पर नैचुरल गेम खेलने की कोशिश करता हूं। ” यह दृष्टिकोण एक युवा खिलाड़ी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उसे अपनी ताकत पर भरोसा करने और अनावश्यक दबाव से बचने में मदद करता है। अगर कोई खिलाड़ी अपने स्वाभाविक खेल से हटकर कुछ करने की कोशिश करता है, तो यह न। केवल उसके व्यक्तिगत प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है, बल्कि टीम के लिए भी हानिकारक हो सकता है। वैभव की यह परिपक्व सोच उनकी उम्र से कहीं अधिक है और उनके उज्ज्वल भविष्य का संकेत देती है।

युवा प्रतिभा का भविष्य और प्रेरणा

वैभव सूर्यवंशी जैसे युवा खिलाड़ी, जो इतनी कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसे असाधारण प्रदर्शन कर रहे हैं, भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए एक बड़ी उम्मीद हैं। उनकी तूफानी बल्लेबाजी, रिकॉर्ड-तोड़ शतक और अपने खेल के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण उन्हें एक विशेष प्रतिभा बनाता है। उनके पिता की कठोर अपेक्षाएं और मां का अटूट समर्थन, दोनों ही। उनके व्यक्तित्व और खेल को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह कहानी न केवल एक युवा क्रिकेटर की प्रतिभा को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे परिवार का समर्थन और अपेक्षाएं एक खिलाड़ी के करियर को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती हैं। वैभव सूर्यवंशी निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट के अगले बड़े सितारे बनने की राह पर हैं, और उनकी यह यात्रा कई अन्य युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।