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- 02-Oct-2025 07:20 AM IST
Vijayadashami 2025: ‘दशहरा’ या ‘विजयादशमी’ का पर्व 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को पूरे भारत में उत्साह और धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व केवल भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध का भी उत्सव है। इस दिन देशभर में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जिसे ‘रावण दहन’ के नाम से जाना जाता है। यह परंपरा न केवल उत्सव का हिस्सा है, बल्कि यह हमें सिखाती है कि अंत में सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। आइए, इस लेख में जानते हैं कि साल 2025 में रावण दहन का सबसे शुभ मुहूर्त कब है और इस पर्व का क्या महत्व है।
रावण दहन का सबसे शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, रावण दहन का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में होता है, क्योंकि यह समय शुभ और फलदायी माना जाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर, 2 अक्टूबर 2025 को रावण दहन के लिए सबसे शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:
समय: शाम 6:05 बजे से शाम 7:19 बजे तक (लगभग 1 घंटा 14 मिनट)
आधार: यह मुहूर्त प्रदोष काल और दशमी तिथि की उपस्थिति पर आधारित है, जो रावण दहन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
इस समय में रावण दहन करने से न केवल परंपराओं का पालन होता है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश भी प्रबल होता है।
विजयादशमी का महत्व
विजयादशमी का पर्व भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता में गहरा महत्व रखता है। यह पर्व दो प्रमुख कथाओं से जुड़ा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं:
राम की विजय: पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने इसी दिन अहंकारी लंकापति रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी। रावण के पुतले का दहन इस बात का प्रतीक है कि सत्य और न्याय का मार्ग अंततः विजयी होता है। यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी विपत्तियां आएं, धैर्य और सही कर्म से बुराई को हराया जा सकता है।
मां दुर्गा की विजय: शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन, विजयादशमी पर मां दुर्गा की पूजा का समापन होता है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धरती को उसके अत्याचारों से मुक्त किया था। यह पर्व शक्ति, साहस और धर्म की विजय का उत्सव है।
दशहरा का संदेश
विजयादशमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन की गहरी सीख भी देता है। रावण दहन का आयोजन हमारे भीतर की नकारात्मकता, जैसे अहंकार, क्रोध और अन्याय, को जलाने का प्रतीक है। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता, सत्य और धर्म को अपनाएं। यह हमें यह भी सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और नैतिकता के साथ आगे बढ़ने से जीत निश्चित है।
