दुनिया / हाइपरसोनिक एयरक्राफ्ट की होड़ में क्यों लगी हैं महाशक्तियां

AMAR UJALA : Sep 04, 2020, 09:22 AM
Delhi: एडम डिसेल कहते हैं, "मैंने अपना पूरा करियर तेज उड़ने वाली चीजों पर लगाया है।" डिसेल रिएक्शन इंजन्स के अमरीकी कामकाज को संभालते हैं। रिएक्शन इंजन्स एक ब्रिटिश कंपनी है जो कि ऐसे इंजन बना रही है जो कि बेहद तेज रफ्तार दे सकते हैं और ऐसी स्थितियों में भी काम कर सकते हैं जहां मौजूदा जेट इंजन गलकर खत्म हो जाए।

कंपनी हाइपरसोनिक रफ़्तार पर पहुँचना चाहती है जो कि ध्वनि की रफ्तार से पाँच गुना ज्यादा तेज होगी। आंकड़े के लिहाज से यह करीब 4,000 मील प्रति घंटे (6,400 किमी प्रति घंटे) या मैक 5 की रफ्तार होगी।

कंपनी की सोच 2030 तक एक हाई-स्पीड पैसेंजर ट्रांसपोर्ट तैयार करने की है। डिसेल कहते हैं, "इसे मैक 5 पर नहीं जाना होगा। यह मैक 4.5 हो सकता है जो कि आसान फिजिक्स है।" इतनी स्पीड से आप लंदन से सिडनी केवल 4 घंटे में पहुँच सकते हैं या फिर लंदन से लॉस एंजिलिस या टोक्यो केवल दो घंटे में जा सकते हैं।

हालांकि, हाइपरसोनिक फ्लाइट को लेकर हो रहे, शोध नागरिक उड्डयन के लिए नहीं हैं। इनकी शुरुआत मिलिट्री से होती है जहां गुजरे कुछ सालों में इस गतिविधि में काफी तेजी आई है।


'सिस्टम्स का जू'

जेम्स एक्टन यूके के एक फिजिसिस्ट हैं जो कि वॉशिंगटन के कार्नेगी एंटोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के लिए काम करते हैं। अमरीका, चीन और रूस की हाइपरसोनिक हथियारों की कोशिशों की पड़ताल में उनका निष्कर्ष यह है कि "ड्रॉइंग बोर्ड पर हाइपरसोनिक सिस्टम्स का एक पूरा चिड़ियाघर उतर आया है।"

मैक 5 के करीब पैदा होने वाली बेहद गर्मी को झेल जाने वाले ख़ास मैटेरियल्स और दूसरी टेक्नोलॉजीज से ही पृथ्वी के माहौल में हाइपरसोनिक उड़ान मुमकिन हो पाएगी।

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