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- 12-Aug-2025 06:00 PM IST
US-China Tariff Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के अपने फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया कि अमेरिका-चीन टैरिफ की डेडलाइन अब 9 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। वर्तमान में अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 30% टैरिफ लागू कर रखा है। इससे पहले अप्रैल में ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर 245% तक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ की बात कही थी। लेकिन अब अमेरिका का रुख नरम पड़ता दिख रहा है। आखिर इस बदले रवैये की वजह क्या है? क्या यह अमेरिका की मजबूरी है या रणनीतिक कदम? आइए, इसकी गहराई में जाएं।
अमेरिका की चीन पर निर्भरता: आंकड़ों की जुबानी
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते जटिल हैं। भले ही ट्रम्प प्रशासन ने बार-बार चीन के खिलाफ सख्ती दिखाने की कोशिश की हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था चीन पर कितनी निर्भर है। US Import Data के अनुसार, अमेरिका अपने आयात के लिए सबसे ज्यादा तीन देशों पर निर्भर है: मेक्सिको, चीन और कनाडा। मेक्सिको पहले स्थान पर है, लेकिन चीन दूसरे स्थान पर मजबूती से खड़ा है। यह निर्भरता यूं ही नहीं बनी, इसके पीछे कई ठोस कारण हैं।
अमेरिका के लिए चीन क्यों जरूरी? 5 बड़ी वजहें
चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते की मजबूती को समझने के लिए इन पांच कारणों पर गौर करना जरूरी है:
सस्ता सामान: चीन की ताकत, अमेरिका की मजबूरी
चीन में सस्ता श्रम और विशाल आबादी के कारण उत्पादन लागत बेहद कम है। कम वेतन पर कर्मचारी मिलने से कंपनियों को सस्ते में उत्पाद बनाने का मौका मिलता है। यही वजह है कि चीन दुनिया भर के देशों को सस्ता सामान बेचने में कामयाब है, और अमेरिका भी इसका बड़ा खरीदार है।मजबूत मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन
चीन की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और सप्लाई चेन बेजोड़ है। विशाल मैनपावर, बड़े पैमाने पर उत्पादन और मजबूत बंदरगाह नेटवर्क इसे खास बनाते हैं। भले ही चीन से अमेरिका तक शिपिंग में समय लगता हो, लेकिन स्थापित व्यापारिक मार्ग और इन्फ्रास्ट्रक्चर इस कमी को पूरा करते हैं।अमेरिकी कंपनियों का चीन में भारी निवेश
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों ने चीन में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। हालांकि, हाल के टैरिफ विवादों के बाद निवेश में कमी आई है। यूएस-चाइना बिजनेस काउंसिल (USCBC) के 2025 के सर्वेक्षण के मुताबिक, केवल 48% अमेरिकी कंपनियां इस साल चीन में निवेश की योजना बना रही हैं, जो 2024 में 80% थी। फिर भी, निवेश का यह स्तर दोनों देशों की व्यापारिक निर्भरता को दर्शाता है।2001 के बाद बढ़ी निर्भरता
2001 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन के शामिल होने के बाद अमेरिकी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर उत्पादन को चीन में स्थानांतरित किया। फैक्ट्री और असेंबलिंग प्लांट्स में भारी निवेश ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते को और गहरा किया। आज भी कई अमेरिकी कंपनियां अपने उत्पादन का कुछ हिस्सा चीन और मेक्सिको में आउटसोर्स करती हैं।अमेरिका की नीतियां और संरचनात्मक अंतर
अमेरिका ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग को हाई-वैल्यू और हाई-टेक सेक्टरों पर केंद्रित किया है, जबकि कम लागत वाले सामान चीन और मेक्सिको से आयात किए जाते हैं। चीन में फैक्ट्री, सप्लाई चेन और लॉजिस्टिक्स हब एक-दूसरे के करीब हैं, जो उत्पादन को आसान और सस्ता बनाता है। अमेरिका में ऐसी संरचना का अभाव है, जिसके चलते वह सस्ते सामान के लिए चीन पर निर्भर है।
अमेरिका और चीन: क्या-क्या खरीद-बिक्री?
अमेरिका चीन से सस्ते और डिमांड में रहने वाले सामान आयात करता है, जैसे:
इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण
खिलौने और गेम कंसोल
फर्नीचर और प्लास्टिक के कंज्यूमर गुड्स
वहीं, 2024 में चीन ने अमेरिका से निम्नलिखित चीजें आयात कीं:
मिनरल फ्यूल और ऑयल सीड्स
मशीनरी और एयरक्राफ्ट
सोयाबीन और क्रूड पेट्रोलियम
टैरिफ टालने का क्या मतलब?
ट्रम्प का टैरिफ डेडलाइन बढ़ाने का फैसला अमेरिका की आर्थिक मजबूरियों और रणनीतिक सोच को दर्शाता है। चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगे सामान का सामना करना पड़ सकता है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है। साथ ही, अमेरिकी कंपनियों के विरोध की आशंका भी है, जो चीन में अपने निवेश और सप्लाई चेन को लेकर चिंतित हैं। यह फैसला दिखाता है कि भले ही ट्रम्प सख्ती की बात करें, लेकिन आर्थिक हकीकत उन्हें नरम रुख अपनाने के लिए मजबूर करती है।
