US-China Trade Deal / टैरिफ वॉर के बीच बुसान में ट्रंप और शी की मुलाकात, ट्रंप ने जिनपिंग को बताया 'कठोर वार्ताकार'

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दक्षिण कोरिया के बुसान में टैरिफ वॉर के बीच मुलाकात की। 2019 के बाद यह उनकी पहली आमने-सामने की बैठक थी। ट्रंप ने शी को 'कठोर वार्ताकार' बताया, लेकिन दोनों नेताओं ने संबंधों में स्थिरता और भविष्य में सहयोग की उम्मीद जताई। व्यापार तनाव कम करने के संकेत भी मिले।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने दक्षिण कोरिया के बुसान में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन से इतर एक महत्वपूर्ण बैठक की। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, अमेरिका और चीन, व्यापार युद्ध और टैरिफ विवादों में उलझी हुई हैं। 2019 के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात थी, जिस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थीं और इस बैठक को दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर करने और व्यापार संबंधी मुद्दों को सुलझाने के एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

ट्रंप ने जिनपिंग को बताया 'कठोर वार्ताकार'

बैठक की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक 'कठोर वार्ताकार' बताया और ट्रंप ने कहा, "हमारी मुलाकात बहुत सफल रहने वाली है। वो बहुत सख्त वार्ताकार हैं, यह अच्छी बात नहीं है और हम एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। हमारे बीच हमेशा से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं और " ट्रंप ने यह भी कहा कि जिनपिंग एक महान देश के महान नेता हैं और उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच लंबे समय तक शानदार संबंध बने रहेंगे। उनकी यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच भले ही व्यापारिक मतभेद हों, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सम्मान और अच्छे तालमेल को दर्शाती है।

शी जिनपिंग ने संबंधों की स्थिरता पर दिया जोर

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी ट्रंप के साथ अपनी मुलाकात पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप, आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई, और आपको दोबारा देखकर बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि कई साल बीत गए हैं। " शी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों नेताओं। के संयुक्त मार्गदर्शन में चीन-अमेरिका संबंध कुल मिलाकर स्थिर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण दोनों देश हमेशा एक-दूसरे से सहमत नहीं होते, और दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच समय-समय पर मतभेद होना सामान्य बात है। जिनपिंग ने सार्वजनिक रूप से कई बार कहा है कि चीन और अमेरिका को साझेदार और मित्र होना चाहिए, क्योंकि इतिहास ने हमें यही सिखाया है।

व्यापार तनाव कम करने के संकेत

इस बैठक से पहले और उसके दौरान, दोनों पक्षों से व्यापार तनाव को कम करने के सकारात्मक संकेत मिले। अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिया था कि ट्रंप चीनी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की अपनी हालिया धमकी को पूरा करने का इरादा नहीं रखते हैं। वहीं, चीन ने भी संकेत दिए हैं कि वह दुर्लभ पृथ्वी खनिजों पर। अपने निर्यात नियंत्रण में ढील देने और अमेरिका से सोयाबीन खरीदने को तैयार है। दक्षिण कोरिया जाते समय एयर फोर्स वन में सवार होकर ट्रंप ने पत्रकारों से कहा था कि वह इस साल की शुरुआत में चीन पर फेंटेनाइल बनाने में उसकी भूमिका के संबंध में लगाए गए टैरिफ को कम कर सकते हैं। ये सभी संकेत वैश्विक व्यापारिक समुदाय के लिए राहत भरे हैं।

ताइवान और अन्य मुद्दे

बैठक से पहले अमेरिका और चीन के अधिकारियों ने कुआलालंपुर में मुलाकात की थी, जिसके बाद चीन के शीर्ष व्यापार वार्ताकार ली चेंगगांग ने एक शुरुआती सहमति पर पहुंचने की बात कही थी, जिसकी पुष्टि अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी की थी। हालांकि, बयानबाजी चाहे जितनी भी सौहार्दपूर्ण क्यों न हो, ट्रंप। और शी जिनपिंग के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं। ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनकी शी के साथ ताइवान की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों को उठाने की कोई योजना नहीं है। इसका मतलब है कि फिलहाल व्यापारिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जबकि अन्य भू-राजनीतिक तनावों को सीधे तौर पर नहीं छेड़ा जाएगा।

वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण मुलाकात

ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच यह मुलाकात अमेरिका-चीन संबंधों की भविष्य की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता और शांति के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह बैठक व्यापार में जटिल संबंधों को सुलझाने और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक। महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जिससे न केवल दोनों देशों को बल्कि पूरे विश्व को लाभ होगा। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं, लेकिन इस बैठक ने बातचीत और सहयोग की उम्मीद जगाई है।