अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता ट्रेड टेंशन एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चर्चा का विषय बन गया है। इस बार, हालांकि, यह विवाद भारत के लिए एक बड़े आर्थिक अवसर के रूप में सामने आया है। अमेरिका ने चीनी सामान पर 100% तक का भारी टैरिफ लगाया है, जिसके बाद अमेरिकी कंपनियां चीन के बजाय दूसरे देशों से सप्लायर्स की तलाश में हैं, और भारत इस दौड़ में सबसे आगे खड़ा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान
विशेषज्ञों का मानना है कि इस ट्रेड वॉर से भारत के निर्यात को भारी बढ़ावा मिलेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को लगभग 86 अरब डॉलर का निर्यात किया था। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (FIEO) के अध्यक्ष एस. सी. राल्हन ने कहा कि इस विवाद से भारतीय प्रोडक्ट्स की अमेरिकी बाजार में मांग और बढ़ेगी, जिससे टेक्सटाइल, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख भारतीय सेक्टर्स में तेजी आएगी।
100% अतिरिक्त टैरिफ का असर
नई अमेरिकी नीति के तहत, चीन से आने वाले कुछ उत्पादों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है और इससे चीनी सामान अमेरिकी बाजार में बेहद महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को एक 'लेवल प्लेइंग फील्ड' मिलेगा। एक भारतीय टेक्सटाइल निर्यातक ने बताया कि यह अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का एक शानदार मौका है। खिलौना निर्यातक मनु गुप्ता ने भी इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि ऊंची ड्यूटी से। अब हम बराबरी की स्थिति में हैं और अमेरिकी कंपनियां हमसे नए उत्पादों की मांग कर रही हैं।
आगे की राह और चुनौतियां
थिंक टैंक GTRI के अनुसार, इस विवाद का वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों, सेमीकंडक्टर्स और विंड टर्बाइन जैसे क्षेत्रों में कीमतों पर असर दिख सकता है। भारत को इस मौके का पूरा फायदा उठाने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने और अमेरिकी नियामकीय आवश्यकताओं का पालन करने पर ध्यान देना होगा। अमेरिका वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चल रही बातचीत भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकती है।