Corona / 15 फीसदी ज्यादा तेज फैलता है एक्सई, इन्साकॉग ने कहा- नए स्वरूप की अनुवांशिक संरचना नहीं खाती एक्सई वैरिएंट से मेल

Zoom News : Apr 07, 2022, 11:09 AM
जीनोम सीक्वेसिंग के लिए गठित इन्साकॉग के अनुसार, मुंबई में मिला नया कोरोना का नया स्वरूप एक्सई जैसा दिखाई नहीं दे रहा है। इन्साकॉग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुंबई में मिले सैंपल की जब एक्सई वैरिएंट के साथ अनुवांशिक संरचना से मेल किया गया तो इसमें कोई समानता नहीं दिखाई दी। ऐसे में मुंबई में मिले स्ट्रेन को एक्सई की पहचान नहीं दी जा सकती। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मार्च में मुंबई से एकत्रित सैंपल की जीनोम सीक्वेसिंग में एक्सई वैरियंट जैसा एक मामला पाया गया था, लेकिन बाद में जांच के दौरान यह एक्सई वैरियंट जैसा नहीं मिला है। महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर वैज्ञानिकों से चर्चा भी की। 

बताया जा रहा है कि एहतियात के तौर पर मुंबई सहित देशभर के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर फिर से निगरानी बढ़ाई जा सकती है। मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, एक्सई स्ट्रेन ओमिक्रॉन के दोनों वैरियंट की तुलना में करीब 10 से 15 फीसदी अधिक फैलने की क्षमता रखता है। हालांकि जन स्वास्थ्य के लिहाज से इसके असर को लेकर अभी तक अधिक जानकारी नहीं है। न ही यह पता चला है कि टीकाकरण कराने वालों में इसका क्या असर दिखाई दे सकता है?

क्या है नया ओमिक्रॉन एक्सई स्ट्रेन

मंत्रालय के अनुसार, कोरोना का नया एक्सई स्ट्रेन ओमिक्रॉन वैरियंट से निकले बीए.1 और बीए.2 से रीकॉम्बिनेंट है। यह एक्सई स्ट्रेन बीए.2 की तुलना में 10 फीसदी अधिक तेजी से फैलता है लेकिन बीए.1 की तुलना में यह 40 फीसदी अधिक तेजी से फैलता है। बीते वर्ष दिसंबर माह में ओमिक्रॉन के जब भारत में मामले मिलना शुरू हुए थे तब मरीजों में बीए.1 वैरियंट ही सबसे अधिक था लेकिन इस साल जनवरी में बीए.2 वैरियंट अधिक मिलने लगे थे। एक्सई वैरियंट सबसे पहले इसी साल जनवरी महीने में यूके में सबसे पहले मिला था लेकिन तब से लेकर अब तक यह थाईलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका में मिला है।

देश में कोरोना एक्सई का पहला मामला, इन्साकॉग का इनकार 

देश में कोरोना वायरस के घातक स्वरूप एक्सई का पहला मामला बुधवार को मुंबई में मिला। यह ओमिक्रॉन के बीए.2 सब वैरियंट से जुड़ा है। करीब चार माह बाद देश में पहली बार कोरोना का कोई नया स्वरूप सामने आया है। हालांकि, जीनोम सीक्वेसिंग के लिए गठित इन्साकॉग का कहना है कि यह वैरियंट एक्सई जैसा दिखाई नहीं दे रहा है। इन्साकॉग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुंबई में मिले सैंपल की जब एक्सई के अनुवांशिक संरचना से मेल किया तो इसमें कोई समानता नहीं दिखाई दी।

मुंबई में कप्पा का एक मरीज

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि मुंबई में जो दो स्ट्रेन सामने आए हैं उनमें कप्पा भी है। कप्पा वैरियंट वर्ष 2020 में सबसे पहले मिला था लेकिन यह अभी भी छिटपुट मरीजों में दिखाई दे रहा है। जबकि कोरोना के अन्य अल्फा, गामा, बीटा वैरियंट अब मरीजों में दिखाई नहीं दे रहे हैं। डेल्टा, ओमिक्रॉन, डेल्टा से जुड़े अन्य स्ट्रेन अभी भी देश में मौजूद हैं।

वैज्ञानिकों ने भी माना-स्वदेशी टीके की बूस्टर खुराक असरदार

कोरोना से बचने के लिए टीके की तीसरी या बूस्टर खुराक की चर्चाओं के बीच पहली बार वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि भारत का पहला स्वदेशी टीका बूस्टर खुराक के तौर पर भी असरदार है। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी के वैज्ञानिकों ने तीन अलग-अलग समूह में लोगों से एकत्रित सैंपल की जांच के बाद निष्कर्ष निकाला है कि कोवाक्सिन की बूस्टर या एहतियाती खुराक संक्रमण के जोखिम को कम करने में प्रभावी है। 

अध्ययन में पता चला है कि देश में अभी भी कोरोना के ओमिक्रॉन से ज्यादा जोखिम डेल्टा वैरियंट से है। यह वैरियंट तेजी से लोगों में एंटीबॉडी का स्तर कम करता है। बीटा, डेल्टा और ओमिक्रॉन से जुड़े तीनों समूह में सर्वाधिक 12 गुना एंटीबॉडी में गिरावट डेल्टा समूह में दर्ज की गईं। हाल ही में एनआईवी की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राह्म ने बूस्टर खुराक को आवश्यक मानते हुए लोगों से तीसरी खुराक भी जल्द से जल्द लेने की अपील की थी।

देश के 30 जिलों में संक्रमण ‘गंभीर’ अकेले केरल के 14 जिले शामिल

देश के 30 जिलों में कोरोना संक्रमण गंभीर स्थिति में दिखाई दे रहा है। इनमें केरल के 14 जिले शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को 30 मार्च से पांच अप्रैल तक की स्थिति को लेकर जिलेवार रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 30 में से 23 जिलों में कोरोना की साप्ताहिक दर 10 फीसदी से भी अधिक मिली। यह जिले केरल, मिजोरम, राजस्थान और सिक्किम में हैं।


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