- भारत,
- 04-Jun-2025 11:30 AM IST
Indian Air Force: भारतीय वायुसेना ने आज, 4 जून 2025 को एक बार फिर अपनी रणनीतिक ताकत और युद्धक क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए पाकिस्तान सीमा के करीब एक अहम वायुसेना अभ्यास की तैयारी कर ली है। इस अभ्यास के लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया गया है, जो एक संकेत है कि क्षेत्रीय एयरस्पेस को अस्थायी रूप से आम हवाई यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। यह फैसला सुरक्षा और प्रशिक्षण की गंभीरता को देखते हुए लिया गया है।
कहां हो रहा है अभ्यास?
यह अभ्यास गुजरात के राजकोट के पास स्थित अरब सागर से सटे क्षेत्र में हो रहा है, जो पाकिस्तान की सीमा से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह भौगोलिक स्थिति इस क्षेत्र को सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण बनाती है। अरब सागर के करीब होने के कारण यह क्षेत्र किसी भी संभावित समुद्री या हवाई खतरे की निगरानी के लिए उपयुक्त है।
अभ्यास का समय
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शुरुआत (UTC): 4 जून 2025, दोपहर 3:30 बजे
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समाप्ति (UTC): 4 जून 2025, रात 9:00 बजे
इस दौरान भारतीय वायुसेना विभिन्न प्रकार के जंगी विमानों और उपकरणों की मदद से युद्ध की तैयारियों और रेस्पॉन्स टाइम को परखेगी।
कौन-कौन से विमान लेंगे भाग?
इस अभ्यास में वायुसेना की ताकत के प्रतीक माने जाने वाले राफेल, सुखोई-30 और जगुआर जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स शामिल हैं। ये विमान लंबी दूरी तक हमला करने, एयर डिफेंस और मल्टीरोल मिशन में निपुण हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सक्षम हैं।
क्यों अहम है यह अभ्यास?
यह अभ्यास केवल ताकत दिखाने के लिए नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक चौकसी और रेस्पॉन्स तैयारियों का प्रमाण है। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह अभ्यास एक स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क और सक्षम है।
क्या होता है NOTAM?
NOTAM (Notice to Airmen) एक आधिकारिक अलर्ट होता है जो पायलटों, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और अन्य उड़ान संचालन कर्मियों को संभावित खतरों, क्षेत्रीय प्रतिबंधों या किसी अस्थायी परिवर्तन के बारे में जानकारी देता है। इसका उद्देश्य उड़ानों की सुरक्षा और समन्वय सुनिश्चित करना होता है।
इससे पहले कहां हुआ था अभ्यास?
मई 2025 में, भारतीय वायुसेना ने राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास भी इसी तरह का अभ्यास किया था। 7 और 8 मई को हुए इस अभ्यास में राफेल, मिराज-2000 और सुखोई-30 जैसे प्रमुख लड़ाकू विमानों ने भाग लिया था। यह अभ्यास भारत की नियमित ऑपरेशनल ट्रेनिंग का हिस्सा था, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और युद्धक तैयारी को मजबूत करता है।