लोकल न्यूज़ / अंतर-धार्मिक विवाह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बड़ा फैसला

Zoom News : Jan 13, 2021, 09:46 PM
अलग-अलग धर्मों के कपल की शादी के मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी से 30 दिन पहले जरूरी तौर पर नोटिस देने के नियम अनिवार्य नहीं है। इसको ऑप्शनल बनाना चाहिए। इस तरह का नोटिस प्राइवेसी यानी निजता का हनन है। यह कपल की इच्छा पर निर्भर होना चाहिए कि वह नोटिस देना चाहते हैं या नहीं।


हाईकोर्ट ने यह फैसला उस पिटीशन पर सुनाया, जिसमें कहा गया था कि दूसरे धर्म के लड़के से शादी की इच्छा रखने वाली एक बालिग लड़की को हिरासत में रखा गया है। इस जोड़े ने अदालत से कहा था कि शादी से 30 दिन पहले नोटिस देने से उनकी निजता का उल्लंघन हो रहा है।


ये नोटिस मर्जी से जीवनसाथी चुनने की इच्छा के आड़े आता है- कोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह की चीजों (शादी की सूचना) को सार्वजनिक करना निजता और आजादी जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने की आजादी के आड़े भी आता है।


"मैरिज अफसर कपल की एप्लीकेशन के लिहाज से ले फैसला'

अदालत ने अपने फैसले में कहा, "जो लोग शादी करना चाहते हैं, वे मैरिज अफसर से लिखित अपील कर सकते हैं कि 30 दिन पहले नोटिस को पब्लिश किया जाए या नहीं। अगर कपल नोटिस पब्लिश नहीं करना चाहता है तो मैरिज अफसर को ऐसा कोई नोटिस पब्लिश नहीं करना चाहिए। साथ ही इस पर किसी भी तरह की आपत्ति पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उसे इस शादी को विधिवत पूरा करवाना चाहिए।'


क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट 1954?

इस कानून के तहत दो अलग-अलग धर्म के लोग अपने धर्म को बदले बिना रजिस्टर्ड शादी कर सकते हैं। इसके लिए एक फॉर्म भरना होता है और मैरिज रजिस्ट्रार के पास जमा कराना होता है। शादी से 30 दिन पहले रजिस्ट्रार के पास नोटिस देकर जोड़े को बताना होता है कि वे शादी करने वाले हैं। यह नोटिस छापा जाता है। इसके छपने के बाद अगर रजिस्ट्रार के पास किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं आती है तो जोड़े शादी के लिए आवेदन करते हैं।

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