अटल टनल / चीन पर चालबाजी पर होगा 'अंडरग्राउंड वार', भारत की इस 'इंजीनियरिंग' से उड़े 'ड्रैगन' के होश

Zee News : Sep 06, 2020, 01:52 PM
लद्दाख: हिन्दुस्तान ने चीन की चालबाजियों के खिलाफ अपना अंडरग्राउंड हथियार तैयार कर लिया है। भारत के इस अंडरग्राउंड हथियार का नाम है लेह मनाली रोहतांग अटल टनल। वो सुरंग जो हर मौसम में भारतीय सेना के काम आएगी। बर्फबारी हो या भीषण बारिश सेना के लिए अटल टनल के रास्ते सैन्य साजो सामान और राशन पहुंचाना बेहद आसान हो गया है। भारत की ये इंजीनियरिंग चीन के लिए बड़ी चिंता का सबब बन चुकी है।

सामरिक लिहाज से बेहद अहम है सड़क

अटल टनल भारत के लिए सामरिक दृष्टि से इतनी उपयोगी क्यों है। हम आपको समझाते हैं। यह टनल 9 किमी लंबी है और समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊचाई पर है। इतनी ऊंचाई पर बनी ये दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। इस टनल के रास्ते लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी।इसलिए सामरिक लिहाज से भारतीय सेना के लिए अटल टनल बेहद महत्वपूर्ण है। इस टनल के रास्ते अब लद्दाख में तैनात सैनिकों से सालभर बेहतर संपर्क बना रहेगा। आपात परिस्थितियों के लिए इस सुरंग के नीचे एक दूसरी सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है। ये सुरंग किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए बनाई जा रही है और विशेष परिस्थितियों में आपातकालीन निकास का काम करेगी।

पीएम मोदी 25 सितंबर को कर सकते हैं उद्घाटन

लेह मनाली रोहतांग अटल टनल बनकर तैयार हो चुकी है। माना जा रहा है कि 25 सिंतबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। पीर पंजाल की पहाड़ियों को काटकर बनाई गई अटल सुरंग के कारण मनाली से लेह की दूरी तो 46 किमी कम हुई ही है। इसके अलावा अटल सुरंग 13,050 फीट पर स्थित रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग भी है।मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब 5 घंटे का वक्त लगता था। लेकिन इस टनल के रास्ते ये दूरी अब करीब 10 मिनट में ही तय हो सकेगी।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में की थी टनल बनाने की घोषणा 

3 जून 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौल के केलांग में रोहतांग टनल निर्माण की घोषणा की थी।जून 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी ने रोहतांग टनल के नार्थ पोर्टल को मनाली-लेह हाईवे से जोड़ने वाली पलचान-धुन्दी सड़क का शिलान्यास कर टनल निर्माण की राह खोली।

BRO और ऑस्ट्रिया की कंपनी ने किया है निर्माण

बीआरओ  की देखरेख में ऑस्ट्रिया और भारत की जाइंट वेंचर स्ट्रॉबेग-एफकॉन कंपनी ने अटल टनल का निर्माण किया। टनल के खुलने पर बर्फबारी की वजह से साल के 6 महीने तक दुनिया से कट जाने वाला जनजातीय जिला लाहौल स्पीति देश-प्रदेश से पूरा साल जुड़ा रहेगा।टनल के निर्माण पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये खर्च हुआ है। और अब जब ये टनल बनकर तैयार हो चुकी है तो चीन हो या पाकिस्तान भारत को आंख दिखाने पर 100 बार सोचेंगे।

ये हैं 'अटल टनल' की खूबियां 

यह टनल करीब 9 किलोमीटर लंबी है। यह टनल 10 हज़ार फीट की ऊंचाई पर है। इससे लेह- मनाली की दूरी 46 किमी कम हुई है। सुरंग में हर 150 मीटर पर टेलिफोन, हर 60 मीटर पर फायर हाइड्रेंट और हर 500 मीटर पर इमरजेंसी एग्जिट लगा है। हर 2।2 किमी। के बाद सुरंग में यू-टर्न और हर 250 मीटर पर CCTV कैमरा लगा है। हर 1 किमी। पर एयर क्वालिटी चेक होगी। सुरंग की दूरी 10 मिनट में पूरी हो जाएगी। सुरंग तक पहुंचने के लिए स्नो गैलरी होगी। 

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