Barkha Madan / ऐश्वर्या राय को टक्कर देकर बनीं ग्लैमरस हसीना, फिर बॉलीवुड से हुआ मोह भंग, अब बनीं बौद्ध भिक्षुणी

कभी ऐश्वर्या राय के साथ मॉडलिंग करने वाली और बॉलीवुड में नाम कमाने वाली अभिनेत्री बरखा मदान ने ग्लैमर की दुनिया को अलविदा कह दिया है। उन्होंने संन्यासी जीवन अपनाकर बौद्ध भिक्षुणी का मार्ग चुना है और अब उन्हें ग्यालटेन समतेन के नाम से जाना जाता है।

बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया से मुंह मोड़कर आध्यात्मिक शांति की राह चुनने वाली अभिनेत्री बरखा मदान की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है और एक समय था जब वह ग्लैमर और शोहरत की बुलंदियों को छू रही थीं, लेकिन आज उन्होंने संन्यासी जीवन अपना लिया है और एक बौद्ध भिक्षुणी के रूप में जानी जाती हैं। उनका यह परिवर्तन कई लोगों के लिए आश्चर्य का विषय रहा है, क्योंकि फिल्म उद्योग की चमक-दमक से खुद को अलग करना एक दुर्लभ और साहसिक निर्णय है और बरखा मदान का यह सफर, मॉडलिंग की दुनिया से लेकर बॉलीवुड में पहचान बनाने और फिर आत्मिक शांति की तलाश में सब कुछ त्याग देने तक का है, जो उनके दृढ़ संकल्प और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है।

ग्लैमर की दुनिया में पहला कदम

बरखा मदान के करियर की शुरुआत ग्लैमर और फैशन की दुनिया से हुई थी। उन्होंने मॉडलिंग के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और जल्द ही रैंप पर एक जाना-पहचाना चेहरा बन गईं। 1994 में आयोजित प्रतिष्ठित मिस इंडिया प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया, जहां उनकी प्रतिस्पर्धा सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय जैसी उस समय की शीर्ष सुंदरियों से थी। इस प्रतियोगिता में बरखा ने अपनी खूबसूरती और आत्मविश्वास से सभी को प्रभावित किया और 'मिस टूरिज्म इंडिया' का खिताब अपने नाम किया और इसके बाद उन्होंने मलेशिया में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया और तीसरा स्थान हासिल करके देश का नाम रोशन किया। यह उनके लिए एक शानदार शुरुआत थी, जिसने उन्हें भविष्य के लिए एक मजबूत मंच प्रदान किया।

बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री और टीवी पर पहचान

मॉडलिंग में सफलता के बाद बरखा मदान ने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। 1996 में उन्होंने सुपरहिट फिल्म 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' से बॉलीवुड में डेब्यू किया। इस फिल्म में उन्हें अक्षय कुमार, रेखा और रवीना टंडन जैसे बड़े सितारों के साथ स्क्रीन साझा करने का मौका मिला, जिससे उन्हें तुरंत पहचान मिली। इसके बाद 2003 में राम गोपाल वर्मा की हॉरर फिल्म 'भूत' में उनके किरदार 'मंजीत' ने दर्शकों के दिलों में खौफ पैदा कर दिया। उनका यह किरदार इतना प्रभावशाली था कि आज भी लोग उसे याद करते हैं। फिल्मों के साथ-साथ बरखा ने टेलीविजन पर भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई और उन्होंने 'न्याय', '1857 क्रांति' (जहां उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का सशक्त किरदार निभाया) और 'सात फेरे' जैसे कई लोकप्रिय धारावाहिकों में काम किया। उनका करियर लगातार ऊंचाइयों को छू रहा था और उन्हें अभिनय के लिए सराहा जा रहा था।

शोहरत के बीच पनपी आंतरिक बेचैनी

बाहरी दुनिया में बरखा मदान को जितनी सफलता और पहचान मिल रही। थी, उनके भीतर उतनी ही गहरी बेचैनी और खालीपन महसूस हो रहा था। शोहरत, पैसा और फैंस का प्यार उन्हें संतुष्ट नहीं कर पा रहा था। वे अक्सर खुद से सवाल करती थीं कि क्या जीवन का अर्थ सिर्फ यही है? ग्लैमर की चकाचौंध के बीच भी उन्हें अकेलापन महसूस होता था और वे उस खालीपन को भरने के लिए कुछ और तलाश रही थीं, जो भौतिक सुख-सुविधाओं से परे था। इसी दौर में उन्होंने अपनी आत्मा की आवाज सुननी शुरू की और जीवन के गहरे अर्थों को समझने का प्रयास किया। वे पहले से ही दलाई लामा की शिक्षाओं से प्रभावित थीं, और धीरे-धीरे आध्यात्मिक किताबों ने उनके भीतर एक बड़े बदलाव की नींव रखनी शुरू कर दी।

माया नगरी को अलविदा और संन्यास का मार्ग

अपने भीतर की इस पुकार को सुनकर, बरखा मदान ने 2012 में एक ऐसा साहसिक निर्णय लिया, जिसकी कल्पना भी बहुत कम लोग कर सकते हैं। उन्होंने बॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया और बौद्ध भिक्षुणी बनने का मार्ग चुना। यह सिर्फ एक करियर बदलने का फैसला नहीं था, बल्कि अपने पूरे जीवन की दिशा को पूरी तरह से मोड़ देने वाला कदम था और उन्होंने अपने पुराने जीवन, अपनी पहचान और ग्लैमर से जुड़ी हर चीज को पीछे छोड़ दिया। इस परिवर्तन के साथ ही उन्होंने अपना नाम भी बदल लिया और अब उन्हें 'ग्यालटेन समतेन' के नाम से जाना जाता है। यह नाम उनके नए आध्यात्मिक सफर और पहचान का प्रतीक बन गया।

एक नया, सादगी भरा जीवन

आज ग्यालटेन समतेन हिमालय की शांत और निर्मल वादियों में एक सरल और संयम से भरा जीवन जी रही हैं। उनके जीवन में अब स्क्रिप्ट, कैमरा और डायलॉग की जगह ध्यान, सेवा और आत्म-अन्वेषण ने ले ली है। कभी रैंप पर डिजाइनर कपड़ों और मेकअप में चमकने वाली यह महिला अब बौद्ध परंपराओं की शरण में है। उन्हें अब न मेकअप का कोई मोह है और न ही रंग-बिरंगे कपड़ों का आकर्षण और वे बौद्ध भिक्षुणियों वाले साधारण वस्त्र पहनती हैं, जो उनकी सादगी और आध्यात्मिक समर्पण का प्रतीक है। ग्यालटेन समतेन सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं, जहां वे अपनी जिंदगी से जुड़े अपडेट साझा करती हैं और बौद्ध धर्म तथा आध्यात्मिकता के बारे में लोगों को जागरूक करती हैं। वे कई बार परम पावन दलाई लामा से भी मिल। चुकी हैं, जो उनके आध्यात्मिक सफर की गहराई को दर्शाता है। उनका जीवन अब बाहरी चमक-दमक से दूर, आंतरिक शांति और सेवा को समर्पित है।