देश / पहले और बाद की तस्वीरों में नज़र आया पंजाब में पुनर्निर्मित जलियांवाला बाग परिसर

Zoom News : Sep 02, 2021, 09:02 AM
नयी दिल्ली. सरकार द्वारा जलियांवाला बाग परिसर को ‘‘ चकाचौंध से भरपूर’’ बनाने के आरोपों के बीच, संस्कृति मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ‘‘पुनर्निर्मित’’ किया गया है ताकि इसे भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जा सके और एएसआई ने ही देश में विश्व धरोहर स्थलों की मरम्मत की है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि नरसंहार के दिन की घटना का वर्णन करने वाले ‘साउंड एंड लाइट शो’ के तहत एक ‘मार्मिक’ साउंडट्रैक चुना गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चार नयी दीर्घाओं और पुनर्निर्मित स्मारक का उद्घाटन किया था. इस स्मारक को लगभग डेढ़ वर्ष पहले पुनर्निर्माण के लिए बंद किया गया था. वह कुआं जिसमें लोग रेजिनाल्ड डायर के नेतृत्व वाले बलों द्वारा गोलियां चलाये जाने पर कूद गए थे, उसे पारदर्शी अवरोध से ढक दिया गया है. संकीर्ण प्रवेश द्वार को मूर्तियों से सजाया गया है. साथ ही घटनाओं को समझाने वाला एक दैनिक ‘साउंड एंड लाइट शो’ शुरू किया गया है.

संस्कृति मंत्रालय के सचिव राघवेंद्र सिंह ने तर्क दिया कि परिसर को संरक्षण की सख्त जरूरत थी. उन्होंने कहा, ‘‘इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पुनर्निमित किया गया है, यह वही एजेंसी है जिसने देश में विश्व धरोहर स्थलों को पुनर्निर्मित किया है. एक जीर्ण-शीर्ण संरचना को गिरने देने के बजाय, हमने इसे भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित करने के लिए पुनर्निर्मित किया है.’’ उन्होंने हालांकि इसे लेकर जारी राजनीतिक विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

‘लाइट एंड साउंड शो’ की आलोचना पर सिंह ने कहा कि शो पहले से ही होता आ रहा था लेकिन समय के साथ यह बंद हो गया था. सिंह ने कहा, ‘‘साउंडट्रैक बहुत मार्मिक है. इसे बहुत संवेदनशील तरीके से किया गया है और यह जानकारीपूर्ण भी है. इस जगह पर आने वाला कोई भी व्यक्ति बेहतर तरीके से अवगत होगा. दीर्घाओं में भी सुधार किया गया है, निर्दोष लोगों की हत्याओं की मार्मिकता और इस घटना ने अन्य बहादुरों को कैसे प्रभावित किया, इसे सामने लाने के लिए प्रौद्योगिकी में सुधार किया गया है.’’

उन्होंने कहा कि काम ‘अत्यंत सम्मान’ के साथ किया गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पुनर्निर्माण की आलोचना करते हुए कहा था, ‘‘जलियांवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता. मैं एक शहीद का बेटा हूं. शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं.’’

कुछ इतिहासकारों ने भी इसे ‘शहीदों के प्रति अपमान’ करार देते हुए इस कार्य की आलोचना की है. इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट किया, ‘‘यह स्मारकों का निगमीकरण है, जिससे वे एक आधुनिक संरचनाओं में तब्दील हो जाते हैं और विरासत मूल्य खो देते हैं. उनकी देखभाल उस काल की विशेषताओं में हस्तक्षेप किए बिना करें जिनका ये स्मारक प्रतिनिधित्व करते हैं.’’

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ये आरोप ‘‘असत्य’’ हैं. उन्होंने कहा कि यह आरोप कि गोली के निशान भी ‘‘छिप’’ गए हैं, झूठा है. उन्होंने कहा कि गोली के निशानों को सुरक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि पहले के फव्वारे खराब हो गए थे जिन्हें अब ठीक कर दिया गया है, साफ किया गया है और एक लिली तालाब स्थापित किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि पूरी जगह अब आकर्षक हो गई है.

इस प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों ने कहा कि कुआं कचरे से अटा हुआ था, अब इसे ठीक कर दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि इस पुनर्निर्माण से शहर को पर्यटकों के लिहाज से भी काफी फायदा होगा. मंत्रालय को उम्मीद है कि स्वर्ण मंदिर के पास स्थित यह पुनर्निर्मित परिसर लेजर शो और दीर्घाओं के साथ पर्यटकों को आकर्षित करेगा.

कोरोना वायरस महामारी के चलते बंद होने से पहले स्वर्ण मंदिर में सप्ताहांत और विशेष दिनों के दौरान 1.5 लाख लोग आते थे. वहीं अन्य दिनों में करीब एक लाख लोग आते थे. ब्रिटेन के सैनिकों ने पंजाब के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को एकत्रित हुए उन हजारों लोगों की एक निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थीं जो रॉलेट एक्ट के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों के तहत वहां जुटे थे. इसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हो गए थे.

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