बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आज गुरुवार को पहले चरण की वोटिंग जारी है, जिसमें 121 सीटों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के बीच, राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं द्वारा धुआंधार प्रचार अभियान भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपनी-अपनी रैलियों में एक-दूसरे पर तीखे हमले किए, जिससे चुनावी माहौल और गरमा गया है और यह चुनाव राज्य के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, जहां विकास, सुशासन और ऐतिहासिक प्रदर्शन जैसे मुद्दे केंद्रीय बहस का विषय बने हुए हैं।
पीएम मोदी का 'जंगलराज' पर तीखा हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अररिया में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए महागठबंधन पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने 1990 से 2005 तक के 15 साल के 'जंगलराज' को बिहार की बर्बादी का कारण बताया और पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि इस अवधि में बिहार में एक भी पुल का निर्माण नहीं हुआ और राज्य को शासन के नाम पर केवल 'लूटा' गया। उन्होंने सवाल उठाया कि 'जंगलराज' के दौरान बिहार में कितने एक्सप्रेसवे बने, और खुद ही जवाब दिया 'शून्य'। प्रधानमंत्री ने उस दौर की एक निराशाजनक तस्वीर पेश की, जिसमें विकास और बुनियादी ढांचे की घोर उपेक्षा हुई थी, और इसकी तुलना वर्तमान एनडीए सरकार के प्रयासों से की। उनके अनुसार, 'जंगलराज' ने बिहार को विकास की दौड़ में बहुत पीछे धकेल दिया था, जिससे राज्य के लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
एनडीए के विकास का विजन
पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने बिहार को 'जंगलराज' से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2014 में 'डबल इंजन' की सरकार बनने के बाद बिहार के विकास को नई गति मिली है। प्रधानमंत्री ने एनडीए शासनकाल में स्थापित कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं और संस्थानों का उल्लेख किया। इनमें पटना में आईआईटी, बोधगया में आईआईएम और पटना में एम्स की स्थापना शामिल है, जो उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने दरभंगा एम्स के तेजी से चल रहे काम और बिहार में एक राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की उपस्थिति का भी जिक्र किया। ये सभी संस्थान, मोदी के अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानूनी ढांचे में सुधार के लिए एनडीए की व्यापक प्रतिबद्धता के प्रमाण हैं, जो बिहार को एक विकसित राज्य में बदलने और इसके युवाओं के लिए अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।
प्रियंका गांधी का पलटवार और पुलों के गिरने का मुद्दा
पीएम मोदी के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने मोतिहारी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया और उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले तीन सालों में 27 पुल गिर गए हैं। यह बयान सीधे तौर पर वर्तमान सरकार के मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास के दावे को चुनौती देता है, जिसमें गुणवत्ता और निगरानी में विफलता का संकेत मिलता है और उनके इस बयान का उद्देश्य बहस को पिछले शासन से हटाकर वर्तमान प्रशासन की जवाबदेही पर लाना था, खासकर सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के संबंध में। कई पुलों का गिरना, जो कनेक्टिविटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, निर्माण मानकों, रखरखाव। और विकास परियोजनाओं की समग्र अखंडता के बारे में गंभीर सवाल खड़े करता है।
बिहार की ऐतिहासिक विरासत और युवा मुद्दे
प्रियंका गांधी ने महात्मा गांधी की विरासत का भी आह्वान किया, यह कहते हुए कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उनके दिखाए रास्ते पर चलते हैं, एक ऐसा रास्ता जो बिहार के पूर्वजों से प्रेरित था। उन्होंने बिहार के लोगों से राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने का आग्रह किया, उन्हें याद दिलाया कि उनके पूर्वजों ने उस समय विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी जब बुनियादी ढांचा भी नहीं था। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी बिहार से ही 'सत्याग्रह' शुरू करने के लिए प्रेरित हुए थे, जिससे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में राज्य के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया गया। समकालीन चिंताओं की ओर बढ़ते हुए, गांधी ने युवाओं की दुर्दशा को संबोधित किया, जिसमें परीक्षाओं में बार-बार पेपर लीक होने और भर्ती प्रक्रियाओं में लंबी देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने दुख व्यक्त किया कि युवाओं के जीवन के कई साल परीक्षाओं और नियुक्तियों के इंतजार में बर्बाद हो जाते हैं, जिससे राज्य की युवा आबादी में व्यापक निराशा और हताशा फैलती है।
वोटिंग के बीच तेज प्रचार
बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण एक अनूठे परिदृश्य का गवाह बन रहा है, जहां मतदान के साथ-साथ अगले चरणों के लिए उच्च-स्तरीय प्रचार अभियान भी चल रहा है। यह दोहरी गतिविधि चुनावी लड़ाई की तीव्रता और उच्च दांव को रेखांकित करती है। नेता मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अंतिम प्रयास कर रहे हैं, उनके भाषण अक्सर शासन के रिकॉर्ड और भविष्य के वादों पर सीधे टकराव में बदल जाते हैं। पीएम मोदी और प्रियंका गांधी द्वारा प्रस्तुत विपरीत कथाएं उन मुख्य मुद्दों को दर्शाती हैं जो इस चुनावी मुकाबले में दांव पर। हैं: विकास बनाम कथित भ्रष्टाचार, ऐतिहासिक शासन बनाम वर्तमान जवाबदेही, और भविष्य के वादे बनाम आबादी द्वारा सामना की जा रही वर्तमान चुनौतियां।