बीकानेर / भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल आगे, मौसेरे भाई मदन गोपाल मेघवाल से है मुकाबला

Dainik Bhaskar : May 23, 2019, 12:19 PM
बीकानेर सीट पर हुए कुल 16 चुनावों में पांच बार कांग्रेस तो चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की

बांसवाड़ा-डूंगरपुर से कांग्रेस के टिकट पर ताराचंद और भाजपा प्रत्याशी कनकमल के बीच मुकाबला

बीकानेर। बीकानेर संसदीय क्षेत्र में आज सुबह आठ बजे से मतगणना जारी है। बीकानेर के अलावा बांसवाड़ा-डूंगरपुर और गंगानगर सीट पर भी कड़ा मुकाबला है। बीकानेर से भाजपा के अर्जुन राम मेघवाल आगे चल रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस के टिकट पर मौसेरे भाई मदन गोपाल मेघवाल खड़े हैं। वहीं, बांसवाड़ा-डूंगरपुर से ताराचंद भगौरा (कांग्रेस) और कनकमल कटावा (भाजपा) के बीच मुकाबला है। इसके साथ ही, श्रीगंगानगर सीट से भरतराम (कांग्रेस) और निहालचंद चौहान मैदान में हैं।

बीकानेर

बीकानेर लोकसभा सीट पर हुए कुल 16 चुनावों में पांच बार कांग्रेस तो चार बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। साल 2004 से यह सीट भाजपा के पास है। साल 1952 से 1971 तक निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व महाराजा करणी सिंह ने यहां से चुनाव जीता। इसके बाद भारतीय लोक दल के हरिराम मक्कासर ने चुनाव जीता। साल 1980 के चुनाव में यहां कांग्रेस का खाता खुला। इसके बाद 1984 में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1989 के चुनाव में यहां से माकपा के शोपल सिंह ने चुनाव जीता। साल 1996 में महेंद्र सिंह भाटी की जीत के साथ यहां भाजपा का खाता खुला।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर

बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस जहां 12 बार चुनाव जीती। वहीं, भाजपा सिर्फ बार ही ये सीट अपने नाम कर पाई। इसमें से एक बार 2014 में मोदी लहर में ये सीट भाजपा के खाते में गई। इससे पहले 2004 में ये सीट भाजपा ने जीती थी। इस सीट पर 1952, 1957, 1962, 1967, 1971, 1980, 1984, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने ही बाजी मारी। वहीं, 1977 में भारतीय लोकदल और 1989 में जनता दल ने इस सीट पर जीत हासिल की थी।  

गंगानगर

इस सीट पर हुए पहले चुनावों में कांग्रेस का ही राज रहा। 1952, 1962, 1967 और 1971 का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को इमरजेंसी के बाद 1977 में पहली बार हार का सामना करना पड़ा। तब भारतीय लोक दल के उम्मीदवार यहां से जीत कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव भी कांग्रेस की जीत हुई। दोनों बार यहां से बीरबल चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 1989 के बाद से इस सीट पर हर पांच साल बाद सत्ता बदलती रही है।

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