नई दिल्ली / पिछले 48 सालों का ट्रेंड बरकरार; जिसकी दिल्ली, उसका देश, सातों सीटें भाजपा की झोली में

Dainik Bhaskar : May 25, 2019, 12:19 AM
5 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, तीन सीटों पर जमानत तक नहीं बचा पाई आप

गठबंधन होता भी तो वोट शेयर के हिसाब से सातों सीटों पर हारती कांग्रेस-आप

नई दिल्ली।  दिल्ली ने एक बार फिर 1971 से चला आ रहा लोकसभा चुनाव का अपना ट्रेंड बरकरार रखा। यानी दिल्ली में जिसकी सीटें ज्यादा, देश में सरकार भी उसी की। भाजपा ने सातों सीटें कुल 56.6 फीसदी वोट शेयर के साथ जीतीं। यह दिल्ली के इतिहास में आज तक का सबसे ज्यादा वोट शेयर है। पिछली दफा 2014 में भाजपा ने सातों सीटें 46.54 फीसदी के कुल वोट शेयर के साथ जीती थीं।

दिल्ली में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान हुआ और पांच सीट पर तीसरे व दो सीट पर दूसरे नंबर पर रही। यहां तक कि तीन सीटों पर जमानत जब्त हो गई। आप को 18.12 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 22.5 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस पांच सीट पर दूसरे नंबर पर रही। 2014 में कांग्रेस को 15.15 और आप को 32.79 फीसदी वोट मिले थे।

नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में 10 हजार लोगों ने दबाया नोटा

भाजपा को नार्थ वेस्ट दिल्ली में सबसे ज्यादा 60.47 फीसदी व वेस्ट दिल्ली में 60.04 फीसदी वोट मिले, बाकी सीटों पर 52.96 फीसदी से 56.56 फीसदी के बीच वोट मिले। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला आंकड़ा नॉर्थ वेस्ट सीट पर नोटा का रहा। यहां 10 हजार से ज्यादा लोगों ने नोटा दबाया।

मुख्य बातें :-

दिल्ली में आप के तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई इनमें शामिल हैं- नई दिल्ली से ब्रजेश गोयल, चांदनी चौक से पंकज कुमार गुप्ता और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से दिलीप पांडे।

साउथ दिल्ली सीट से रमेश बिधूड़ी के खिलाफ इलेक्शन लड़े कांग्रेस के उम्मीदवार बॉक्सर विजेंदर सिंह की जमानत भी जब्त हो गई।

56.6% यानी 49,08,541 वोट भाजपा को मिले। दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ कि कुल वोटों का आधे से अधिक वोट भाजपा प्रत्याशियों को मिले। 

22.5% यानी 19,53,900 वोट कांग्रेस को मिले। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2014 के मुकाबले 7 फीसदी बढ़ा है। गठबंधन न कर कांग्रेस अपना वोट शेयर बढ़ाने में सफल रही। 

18.1% यानी 15,71,687 वोट आप को मिले। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 2014 के मुकाबले 14 फीसदी नीचे आकर 18 फीसदी रह गया। विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं होगी। 

जीत के बाद भाजपा ।  सांसद व दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि देश की जनता ने मोदी सरकार में विश्वास दिखाते हुए यह माना है कि मोदी है तो मुमकिन है। जीत का श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और अमित शाह की कुशल संगठनात्मक की क्षमता को जाता है। और, हार के बाद कांग्रेस-आप : कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही है। इस हिसाब से हम आप से आगे हैं। शीला दीक्षित को अध्यक्ष बनाने के पीछे यही मकसद था। अगले चुनाव में इस बढ़त का असर बखूबी दिखाई देगा। वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं इस ऐतिहासिक जीत के लिए नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं और दिल्ली की जनता की भलाई के लिए मिलकर काम करने की आशा करता हूं। 

दिल्ली के जीते सातों सांसद-

मीनाक्षी लेखी, 2,56,504 (अंतर) ।  कांग्रेस के दिग्गज अजय माकन को दूसरी बार हराया। दिल्ली की एक मात्र महिला सांसद, मंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं।

मनोज तिवारी, 3,66,102(अंतर) ।  प्रदेश अध्यक्ष हैं। शीला दीक्षित को हराकर कठिन सीट निकाली। 8 महीने बाद विधान सभा चुनावों में सीएम पद के दावेदार हाे सकते हैं।

डाॅ. हर्षवर्धन, 2,28,145 (अंतर) ।  4 बार के सांसद जेपी अग्रवाल दूसरे नंबर पर रहे। हर्षवर्धन मोदी कैबिनेट में मंत्री थे। इस बार भी मंत्री पद मिलना तय।

हंसराज हंस,  5,53,897 (अंतर) ।  दूसरी सीट जहां पर आप प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा सबसे कठिन सीट मानी जा रही थी, सबसे बड़े मार्जिन से भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की।

गौतम गंभीर, 3,91,222 (अंतर) ।  दूसरे नंबर पर रहे लवली पहली बार चुनाव हारे। गंभीर को सेलेब्रिटी इमेज का फायदा मिला। आप ने इस सीट पर सबसे ज्यादा ताकत झोंकी थी।

प्रवेश सिंह वर्मा,  5,78,486 (अंतर) ।  कांग्रेस के महाबल मिश्रा को बड़े अंतर से हराया। जमीनी पकड़ के चलते जीत का अंतर दोगुना रहा। बड़ी जिम्मेदारी मिलना तय।

रमेश बिधूड़ी,  3,67,043 (अंतर) ।  आप के राघव चड्‌ढा यहां से दूसरे स्थान पर रहे। मोदी लहर पर सवार रमेश बिधूड़ी ने यहां से पिछली बार से भी बड़ी जीत दर्ज की।

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