Temple / ब्रह्मा मंदिर पुष्कर राजस्थान

Zoom News : Jul 07, 2020, 08:50 AM

हिंदू धर्म में तीन प्रधान देव माने गए हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश। ब्रह्मा जी इस संसार के पालनहार हैं लेकिन देखने वाली बात यह है कि हमारे देश में हर एक देवी-देवता के कई सारे मंदिर हैं मगर ब्रह्मा जी का पूरे भारत में सिर्फ एक ही मंदिर है जो कि राजस्थान के पुष्कर में स्‍थ‍ित है। 

इसके पीछे एक बहुत रोचक कथा है। पद्म पुराण में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री ने उन्‍हें श्राप दिया था कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। पुष्कर जैसा ब्रह्मा जी का पौराणिक मंदिर पूरे व‍िश्‍व में कहीं नहीं मिलेगा। 



पौराणिक कथा – पत्नी सावित्री ने ब्रह्मा जी को क्यों दिया था श्राप
पुष्कर का शाब्‍दिक अर्थ है तालाब जिसका निर्माण फूलों से होता है। माना जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी के मन में धरती की भलाई करने का ख्‍याल आया और उन्‍होंने इसके लिए यज्ञ करने का फैसला किया। उन्‍हें यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। उन्‍होंने अपनी बांह से निकले कमल को धरती पर भेजा। वह कमल बिना तालाब के नहीं रह सकता इसलिए यहां एक तालाब का निर्माण हुआ। यज्ञ के लिए ब्रह्मा यहां पहुंचे। 

लेकिन उनकी पत्नी सावित्री वहां समय पर नहीं पहुंच पाईं। यज्ञ का वक्‍त निकला जा रहा था, लिहाजा ब्रह्मा जी ने एक स्थानीय ग्वाल बाला से शादी कर ली और यज्ञ में बैठ गए। ऐसा देख कर उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। उन्‍होंने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में आपकी पूजा होगी और यदि कोई दूसरा इंसान आपका मंदिर बनाएगा तो उसका कभी भला नहीं होगा। 


कब हुआ इस मंदिर का न‍िर्माण 
पुष्‍कर झील के किनारे पर बसे इस ब्रह्मा मंदिर को किसने बनवाया है, इसका कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन ऐसा सुनने में आता है कि आज से तकरीबन एक हजार दो सौ साल पहले एक शासक ने सपने में देखा कि इस जगह पर एक मंदिर है जिसे रख रखाव की जरूरत है। तब उस शासक ने पुराने ढांचे को दोबारा सही करवाया।  


सावित्री का भी है मंदिर
पुष्‍कर में सावित्री जी का भी मंदिर है जो कि ब्रह्मा जी के मंदिर के पीछे पहाड़ि‍यों पर बसा हुआ है। 


14वीं सदी में बना था यह मंदिर 
इस मंदिर का निर्माण 14वीं सदी में हुआ था। इस म‍ंदिर में राजसी छवि वाले कमल पर विराजमान, ब्रह्मा जी की चार मुख वाली मूर्ति बनी हुई है। जिसके बाएं ओर उनकी पत्‍नी गायत्री और दाएं ओर सावित्री बैठी हैं। 


कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है पुष्कर मेला

ब्रह्मा जी ने पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था। इसी वजह से यहां हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच में पुष्कर मेला लगता है। मेले में दुनिया भर से हजारों की संख्‍या में भक्‍त पहुंचते हैं। इस दौरान भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से भक्‍तों को पुण्‍य मिलता है।

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