दिल्ली / चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का पहला डीऑर्बिट रहा सफल: इसरो

Isro : Sep 03, 2019, 07:04 PM
नई दिल्ली. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम के अलग होने के एक दिन बाद इसरो ने यान को चंद्रमा की निचली कक्षा में उतारने का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) 7 सितंबर को लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने से पहले बुधवार को एक बार फिर यान को और निचली कक्षा में ले जाएगा।

चांद के दक्षिणी ध्रुव की ओर हुआ रुख 

इसरो ने बताया, 'चंद्रयान को निचली कक्षा में ले जाने का कार्य मंगलवार सुबह भारतीय समयानुसार 8 बजकर 50 मिनट पर सफलतापूर्वक और पूर्व निर्धारित योजना के तहत किया गया। यह प्रकिया कुल चार सेकंड की रही।' इसके तहत लैंडर विक्रम ने उल्टी दिशा का रुख किया और फिर से सीधी दिशा पकड़ ली। विक्रम यही प्रक्रिया दूसरे चरण के तहत बुधवार को भी अपनाएगा। एजेंसी के बताया, 'विक्रम लैंडर की कक्षा 104 किलोमीटर गुना 128 किलोमीटर है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की मौजूदा कक्षा में लगातार चक्कर काट रहा है और ऑर्बिटर एवं लैंडर पूरी तरह से ठीक हैं। एक बार फिर 4 सितंबर को भारतीय समयानुसार तड़के तीन बजकर 30 मिनट से लेकर चार बजकर 30 मिनट के बीच इसकी कक्षा में कमी की जाएगी।' पूरी प्रक्रिया इसलिए अपनाई जा रही है ताकि वह चांद के दक्षिणी ध्रुव का रुख कर सके। 

क्यों बदली चाल? 

दरअसल, लैंडर विक्रम में एक सेंट्रल इंजन और तीन सहायक इंजन लगे हैं। मंगलवार को जब विक्रम ने चार सेकंड के लिए चाल बदली तो उसके पीछे लगे इंजन में आग पैदा हुई। इसी तरह, बुधवार को भी इंजन में आग जलेगी। इससे विक्रम के एक तरफ के हिस्से का अल्टिट्यूड 100/100 से घटकर 100/35 हो जाएगा। यानी, विक्रम के एक तरफ का अल्टिट्यूड ज्यादा जबकि दूसरी तरफ का अल्टिट्यूड कम हो जाएगा। इस कम अल्टिट्यूड के कारण चांद की सतह पर उतरना आसान हो जाएगा। इसरो चीफ के. सिवन ने यह पूरी प्रक्रिया का विस्तार से समझाई। बहरहाल, विक्रम लैंडर का ऑर्बिट 104 किमी x 128 किमी है। चंद्रयान- 2 का ऑर्बिटर चांद की कक्षा में लगातार चक्कर लगा रहा है। अच्छी बात यह है कि ऑर्बिटर और लैंडर, दोनों बिल्कुल सही हैं। 

सोमवार को भी पार किया था अहम पड़ाव 

इससे पहले, चंद्रयान-2 ने सोमवार को एक अहम पड़ाव पार किया था जब दोपहर करीब 1:15 बजे इस यान से विक्रम नाम का लैंडर अलग हो गया। इसी लैंडर को 6 और 7 सितंबर की रात चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है, जिसके सतह छूते ही वैज्ञानिकों को चंद्रमा से धरती की वास्तविक दूरी पता चल जाएगी, जो अभी तक पहेली बनी हुई है। 

7 सितंबर को चांद पर उतरेगा चंद्रयान- 2 

इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान- 2 से लैंडर के अलग होने की तुलना उस बेटी से की है, जो मायके से ससुराल की ओर निकल चुकी है। पीछे रह गया ऑर्बिटर चांद का एक साल तक चक्कर लगाएगा। लॉन्चिंग के बाद 23 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में घूमते रहने के बाद चंद्रयान- 2 ने 14 अगस्त को चांद की यात्रा शुरू की थी। 

याद रहे कि 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रायन- 2 की लॉन्चिंग हुई थी जिसके 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।

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