AajTak : Apr 23, 2020, 09:41 AM
पूरी दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। चीन के वुहान से निकला यह खतरनाक वायरस दुनियाभर में उथल-पुथल मचा रहा है। इससे बचने के लिए कई देशों में वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है। चीन ऐसा पहला देश है जहां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल दूसरे चरण में है। हैरत की बात ये है कि वहां वैक्सीन प्रोजेक्ट का काम चीन की सेना के हाथ में है।
दरअसल, चीनी फार्मा कंपनी Cansino Bio ने इस वैक्सीन के बारे में पिछले 17 मार्च को एक शैक्षणिक संस्थान के साथ संयुक्त रूप में क्लीनिकल ट्रायल की घोषणा की थी। लेकिन बाद में पता चला कि इस पूरे प्रोजेक्ट में चीनी सेना की सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी शामिल है। यानी जिस वैक्सीन के प्रोजेक्ट पर चीन काम कर रहा है, वह पूरी तरह से चीनी सेना के हाथ में है। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, चीनी सेना की मेजर जनरल चेन वाई जो एक बहुत बड़ी वायरोलॉजिस्ट भी हैं, उनकी टीम ही इस प्रोजेक्ट में शामिल है। वैक्सीन प्रोजेक्ट का पहला चरण 17 मार्च जो समाप्त हो गया था अब यह दूसरे चरण में है। पहले चरण के बाद कोरोना संक्रमित लोगों पर इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया था। इस परीक्षण के बेहद पॉजिटिव रिजल्ट भी सामने आए थे।
हालांकि अब इस पूरे प्रोजेक्ट में चीनी सेना के शामिल होने से कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। अगर ये प्रयोग सफल रहा तो एक्सपर्ट्स इस वैक्सीन के समान वितरण को लेकर चिंतित हैं। पीएलए की भागीदारी वैक्सीन विकसित करने में भले ही तेजी और दक्षता ला सकती है, लेकिन सेना के हस्तक्षेप से भविष्य में सबसे अधिक मांग वाली वैक्सीन का नियंत्रण एक गंभीर मुद्दा है।
पूरी दुनिया में वैसे ही वैक्सीन को लकार हाहाकार मचा हुआ। कोरोना महामारी के बीच ही चीन अपने पास मौजूद किट और अन्य उपकरणों को कई देशों में बेच रहा है, कहीं-कहीं तो इनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। और अगर चीनी सेना नियंत्रित वैक्सीन का प्रयोग सफल रहा तो उसका वितरण कब और कैसे होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
फिलहाल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अगले चरण में है। पहले ट्रायल के लिए कुल 108 लोगों को चुना गया था। जो वॉलंटियर्स आए थे, उनमें से 14 ने वैक्सीन के परीक्षण की अवधि पूरी कर ली है। 14 दिनों तक क्वारनटीन में रहने के बाद वो अपने-अपने घर भेज दिए गए थे।
ये सभी 14 लोग अगले छह महीने तक मेडिकल निगरानी में हैं। हर दिन उनका मेडिकल टेस्ट हो रहा है। इन महीनों में यह देखा जाएगा कि अगर इन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होता है तो इनका शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है।जैसे ही उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाएगी यानी उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाएगा, उनके खून का सैंपल लेकर वैक्सीन को बाजार में उतार दिया जाएगा।
चेन वी ने बताया था कि हमारा पहला ट्रायल लगभग सफल है। हमें जैसे ही इसकी ताकत का पता चलता है, हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझौते करके दुनिया भर को देंगे। हम चाहते हैं कि कोरोना वायरस का इलाज पूरी दुनिया तक पहुंचे।बता दें कि कोरोना वायरस नियंत्रित होने की बजाय और खतरनाक होता जा रहा है। ताजा आंकड़ों की बात करें तो जॉन हॉपकिंग्स युनिवर्सिटी के कोरोना ट्रैकर के मुताबिक पूरी दुनिया में अब तक संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है, जबकि 1 लाख 83 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।
दरअसल, चीनी फार्मा कंपनी Cansino Bio ने इस वैक्सीन के बारे में पिछले 17 मार्च को एक शैक्षणिक संस्थान के साथ संयुक्त रूप में क्लीनिकल ट्रायल की घोषणा की थी। लेकिन बाद में पता चला कि इस पूरे प्रोजेक्ट में चीनी सेना की सैन्य चिकित्सा विज्ञान अकादमी शामिल है। यानी जिस वैक्सीन के प्रोजेक्ट पर चीन काम कर रहा है, वह पूरी तरह से चीनी सेना के हाथ में है। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, चीनी सेना की मेजर जनरल चेन वाई जो एक बहुत बड़ी वायरोलॉजिस्ट भी हैं, उनकी टीम ही इस प्रोजेक्ट में शामिल है। वैक्सीन प्रोजेक्ट का पहला चरण 17 मार्च जो समाप्त हो गया था अब यह दूसरे चरण में है। पहले चरण के बाद कोरोना संक्रमित लोगों पर इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया था। इस परीक्षण के बेहद पॉजिटिव रिजल्ट भी सामने आए थे।
हालांकि अब इस पूरे प्रोजेक्ट में चीनी सेना के शामिल होने से कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। अगर ये प्रयोग सफल रहा तो एक्सपर्ट्स इस वैक्सीन के समान वितरण को लेकर चिंतित हैं। पीएलए की भागीदारी वैक्सीन विकसित करने में भले ही तेजी और दक्षता ला सकती है, लेकिन सेना के हस्तक्षेप से भविष्य में सबसे अधिक मांग वाली वैक्सीन का नियंत्रण एक गंभीर मुद्दा है।
पूरी दुनिया में वैसे ही वैक्सीन को लकार हाहाकार मचा हुआ। कोरोना महामारी के बीच ही चीन अपने पास मौजूद किट और अन्य उपकरणों को कई देशों में बेच रहा है, कहीं-कहीं तो इनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। और अगर चीनी सेना नियंत्रित वैक्सीन का प्रयोग सफल रहा तो उसका वितरण कब और कैसे होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
फिलहाल वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल अगले चरण में है। पहले ट्रायल के लिए कुल 108 लोगों को चुना गया था। जो वॉलंटियर्स आए थे, उनमें से 14 ने वैक्सीन के परीक्षण की अवधि पूरी कर ली है। 14 दिनों तक क्वारनटीन में रहने के बाद वो अपने-अपने घर भेज दिए गए थे।
ये सभी 14 लोग अगले छह महीने तक मेडिकल निगरानी में हैं। हर दिन उनका मेडिकल टेस्ट हो रहा है। इन महीनों में यह देखा जाएगा कि अगर इन्हें कोरोना वायरस संक्रमण होता है तो इनका शरीर कैसी प्रतिक्रिया देता है।जैसे ही उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाएगी यानी उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाएगा, उनके खून का सैंपल लेकर वैक्सीन को बाजार में उतार दिया जाएगा।
चेन वी ने बताया था कि हमारा पहला ट्रायल लगभग सफल है। हमें जैसे ही इसकी ताकत का पता चलता है, हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझौते करके दुनिया भर को देंगे। हम चाहते हैं कि कोरोना वायरस का इलाज पूरी दुनिया तक पहुंचे।बता दें कि कोरोना वायरस नियंत्रित होने की बजाय और खतरनाक होता जा रहा है। ताजा आंकड़ों की बात करें तो जॉन हॉपकिंग्स युनिवर्सिटी के कोरोना ट्रैकर के मुताबिक पूरी दुनिया में अब तक संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख के पार हो चुकी है, जबकि 1 लाख 83 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।