राजस्थान के सियासी फॉर्मूले की इनसाइड स्टोरी / गहलोत सरकार पर संकट के बादल छंट गए हैं CM की कुर्सी पायलट को भी नहीं मिलेगी

Vikrant Shekhawat : Aug 10, 2020, 06:58 PM
  • सचिन पायलट और राहुल गांधी की मुलाकात के बाद कई चर्चाएं शुरू
  • प्रियंका गांधी की कोशिश से राहुल और पायलट की हुई मुलाकात
  • 14 अगस्त को विधानसभा सत्र से पहले पायलट के सुलह का हो सकता है ऐलान
  • अहमद पटेल को अशोक गहलोत और पायलट के बीच सुलह का रास्ता निकालने को कहा गया
  • चर्चा है कि पायलट गुट के बागी विधायकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा

Jaipur | राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। 32 दिन बाद हुई इस मुलाकात से यह तय है कि गहलोत सरकार पर संकट के बादल छंट गए हैं। लेकिन, सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिर एक महीने से अपनी मांगों पर अड़े सचिन पायलट क्यों मान गए? क्या पायलट के सामने रास्ते बंद हो गए थे या फिर अलाकमान पायलट की कुछ शर्तों को मान गया।

अब आगे क्या हो सकता है ?

  • बागी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं, जो मंत्री थे, वे फिर मंत्री बनेंगे: चर्चा है कि गहलोत-पायलट विवाद में सुलह के फार्मूले में यह बात भी शामिल है कि बागी विधायकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा यह वादा भी किया गया है कि पायलट खेमे के जो बागी मंत्री थे, उन्हें फिर मंत्री पद दिया जाएगा। भले ही यह तुरंत न हो, लेकिन इसके लिए जल्द मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा।
  • सचिन के हाथ भी नहीं लगेगा सीएम पद: राहुल-पायलट मुलाकात के बाद यह तो तय हुआ है कि कुछ महीने बाद राजस्थान में सीएम बदलेगा। लेकिन, जानकारों का कहना है कि नए फार्मूले में सचिन के हाथ सीएम का पद आना मुश्किल है क्योंकि गहलोत खेमा उनके सीएम बनने का विरोध करेगा। ऐसे में कोई तीसरा राजस्थान का मुख्यमंत्री बन सकता है।
  • गहलोत सरकार आसानी से बच जाएगी: दिल्ली में राहुल गांधी और सचिन पायलट की मुलाकात के बाद यह माना जा रहा है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी फिलहाल कुछ माह के लिए बच सकती है। यानी मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि बागी विधायक सदन में गहलोत सरकार का समर्थन करेंगे। यानी फिलहाल गहलोत सरकार आसानी से बच जाएगी।
  • तुरंत नहीं, लेकिन कुछ महीनों बाद गहलोत को कुर्सी छोड़नी होगी: राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, राहुल-पायलट की मुलाकात के बाद कांग्रेस तुरंत मुख्यमंत्री बदलने को राजी नहीं है। क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा। लेकिन, पायलट से कांग्रेस आलाकमान ने वादा किया कि है कुछ महीनों बाद राजस्थान का मुख्यमंत्री बदला जाएगा।

सुलह के लिए इसलिए मान गए पायलट

कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बागी तेवर के बाद भी अंदरखाने पायलट की वापसी के प्रयास चल रहे थे। इसके अलावा सचिन पायलट को उम्मीद थी कि उनके साथ 30 विधायक आ जाएंगे। लेकिन, उन्हें सिर्फ 22 विधायकों का ही समर्थन मिला। इसके अलावा भाजपा में भी वसुंधरा राजे की चुप्पी से भी पायलट को संदेश गया कि वे गहलोत सरकार गिराने के पक्ष में नहीं हैं। 32 दिनों के घटनाक्रम के बाद कोई हल न निकलता देख पायलट खेमे के कुछ विधायक भी सुलह का दबाव बना रहे थे।

प्रियंका की एंट्री से बदला माजरा

राजस्थान के सियासी ऊठापटक में सोमवार को नया मोड़ देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी सियासी घमासान में लग रहा था कि अब पार्टी में टूट तय है, लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की कोशिश से सारा खेल बदलता हुआ दिख रहा है। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी की सलाह पर ही सचिन पायलट और राहुल गांधी सोमवार को मिले और राजस्थान के सियासी झगड़े को सुलझाने पर बात की है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि प्रियंका की कोशिश से सचिन पायलट सुलह को तैयार हो गए हैं और पार्टी में वे बने रहेंगे।

लगा था सबकुछ खत्म हो गया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दो बार विधायक दल की बैठक में बुलाए जाने के बाद भी सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक नहीं पहुंचे। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया। साथ ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया। पायलट की जगह गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बिठा दिया गया। इतना ही नहीं, सीएम अशोक गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत में सचिन पायलट को नकारा तक कहकर संबोधित किया और कई निजी हमले किए। इसके बाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी दोनों पक्षों के बीच अच्छा खासा दो-दो हाथ हुए। इतना सबकुछ होने के बाद लग रहा था कि सचिन पायलट पर पार्टी कोई ढील देने के मूड में नहीं है।

भंवरलाल शर्मा मिले सीएम गहलोत से

पायलट समर्थक विधायक भंवरलाल शर्मा भी सोमवार की शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने पहुंचे। मुख्यमंत्री गहलोत से मुलाकात के बाद पायलट समर्थक विधायक भंवरलाल ने कहा कि सरकार सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है।

भंवरलाल शर्मा ने कहा कि आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि पार्टी एक परिवार है और अशोक गहलोत उसके मुखिया पायलट समर्थक विधायक ने कहा कि जब परिवार में कोई नाराज होता है तो वो खाना नहीं खाता. हमने एक महीने तक नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि अब नाराजगी दूर हो गई है। भंवरलाल शर्मा ने कहा कि पार्टी अब जनता से किए गए वादे पूरा करेगी।

कांग्रेस विधायक ने सरकार गिराने की साजिश से जुड़े ऑडियो के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक भंवरलाल ने कहा कि एक गजेंद्र सिंह को जानता हूं। मैं किसी शेखावत को नहीं जानता। उन्होंने कहा कि कोई ऑडियो नहीं है। यह झूठ था। मैं संजय जैन को नहीं जानता।

गौरतलब है कि सूबे की सियासत में भूचाल ला देने वाले ऑडियो कांड में भंवरलाल का नाम भी आया था। राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की टीम भंवरलाल से इस संबंध में पूछताछ करने के लिए हरियाणा के गुरुग्राम भी गई थी। एसओजी टीम उस होटल भी पहुंची थी, जहां भंवरलाल शर्मा के होने की जानकारी मिली थी। हालांकि, टीम को हरियाणा पुलिस ने होटल के बाहर ही रोक दिया था। बाद में जब राजस्थान से गई टीम को अंदर जाने दिया गया, तब भंवरलाल शर्मा वहां नहीं मिले थे।

पायलट की राहुल से मुलाकात से गहलोत खेमे में मची खलबली

इसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस के दोनों नेताओं ने बैठक की। माना जा रहा है कि दोनों ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों तथा आगे के कदमों के बारे में चर्चा की। ऐसी खबरे हैं, पायलट एक बार फिर से कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं और जल्द ही कोई समाधान निकल सकता है। हालांकि, पायलट खेमे और कांग्रेस की तरफ से इसकी आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं हुई है। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका और राहुल की इसी मुलाकात के बाद राहुल गांधी सचिन पायलट से मिले हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने बीच का हल निकाल लिया है, जिसकी घोषणा जल्द हो सकती है।

अहमद पटेल को मिला बीच का रास्ता निकालने का जिम्मा

राजस्थान के राजनीतिक हलकों में सोमवार को सचिन पायलट द्वारा किए गए विद्रोह से उत्पन्न हुए संकट के समाधान को लेकर खासी चर्चा रही। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी के अनुभवी नेता अहमद पटेल उस मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं, जिसने पायलट खेमे की बगावत से राज्य में अशोक गहलोत सरकार का अस्तित्व को खतरे में पड़ गया था। कांग्रेस ने इस वाकये के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया था। रविवार की रात जैसलमेर के एक होटल में ठहरे गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायकों की बैठक में विद्रोहियों को पार्टी में वापस लेने को लेकर मिश्रित विचार सामने आए। कुछ विधायकों ने बागी खेमे के नेताओं को वापस लेने के लिए कहा, वहीं कुछ इसके पक्ष में नहीं थे। इस बीच राज्य के नेताओं की दिल्ली में चल रही सुगबुगाहट पर भी पैनी नजर है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने आईएएनएस से पुष्टि की है कि राजस्थान के कुछ मंत्रियों को पायलट और उनके वफादार विधायकों को फिर से पार्टी से जोड़ने को लेकर बैठक करने के संकेत मिले थे।

विधानसभा सत्र से पहले एका की उम्मीद

14 अगस्त से राजस्थान विधानसभा का सत्र आरंभ होगा जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुमत साबित करने का प्रयास करेंगे। उधर, पायलट और बागी विधायकों के साथ बातचीत और सुलह के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा है और आज भी कह रहे हैं कि अगर पायलट और दूसरे बागी विधायक सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के लिए माफी मांग लें तो पार्टी उन्हें फिर से अपनाने पर विचार कर सकती है।’ मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ खुलकर बगावत करने और विधायक दल की बैठकों में शामिल नहीं होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया था। बागी रुख अपनाने के साथ ही पायलट कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। उनके समर्थक विधायकों का कहना है कि वे गहलोत के नेतृत्व में काम करने के इच्छुक नहीं हैं। पिछले कई हफ्तों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच कांग्रेस ने बार-बार दोहराया है कि अशोक गहलोत सरकार के पास 100 से अधिक विधायकों का समर्थन है और उसके ऊपर कोई खतरा नहीं है।

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