News18 : Apr 21, 2020, 04:26 PM
न्यूयॉर्क। जानेमाने अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) के मद्देनजर संभव है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से अपने परिचालन को दूसरी जगह ले जाएंगी, जिसका भारत को उठाना चाहिए और औपचारिक क्षेत्र में अच्छे वेतन वाली नौकरियां तैयार करने के लिए दीर्घकालिक सोच के साथ काम करना चाहिए। पनगढ़िया कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा संकट ने यह उजागर किया है कि किसी आघात से भारतीय श्रमिक कितने असुरक्षित हैं।
पनगढ़िया ने कहा, 'कोविड-19 महामारी दूर की सोचने का वक्त है। इस संकट को व्यर्थ गंवा देना ठीक नहीं होगा। टीका उपलब्ध होने के बाद ही मौजूदा संकट खत्म होगा। निश्चित रूप से हमें उससे आगे सोचना होगा।' उन्होंने कहा, 'विकास के लिए 70 सालों के प्रयास के बाद भी हमने अपने श्रमिकों को मुख्य रूप से छोटे-छोटे खेतों (उसमें से सात करोड़ औसतन चौथाई हेक्टेयर से कम आकार के हैं) और अनौपचारिक क्षेत्र में या स्वरोजगार के छोटे-मोटे धंधों में काम करने के लिए छोड़ दिया है, जिससे उन्हें हर दिन मुश्किल से गुजारा करने भर की आमदनी हो पाती है।'
पनगढ़िया ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 संकट ने यह साफ कर दिया है कि भारत को बेहतर भुगतान वाली औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि श्रमिक छोटे खेतों और कामधंधों से निकलकर अधिक उत्पादक तथा बेहतर भुगतान करने वाली नौकरियों में लगें।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि औद्योगिक और सेवा गतिविधियां कुटीर उद्योगों से छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों की ओर बढ़ें। उन्होंने कहा कि इस संकट से एक यह अवसर पैदा होता हुआ दिख रहा है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से दुनिया के दूसरे हिस्सों की ओर तेजी से जाएंगी। पनगढ़िया ने कहा, 'बहुराष्ट्रीय कंपनियां कोरोना महामारी के मद्देनजर अपनी गतिविधियों का अधिक से अधिक विकेंद्रीकरण करना चाहेंगी। भारत को यह मौका नहीं चूकना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि इस संकट के समय सरकार को भूमि और श्रम बाजारों के क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए, जिन्हें आमतौर पर सामान्य समय में लागू करना कठिन है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह श्रम बाजारों में अधिक लचीलापन आवश्यक है।
पनगढ़िया ने कहा, 'कोविड-19 महामारी दूर की सोचने का वक्त है। इस संकट को व्यर्थ गंवा देना ठीक नहीं होगा। टीका उपलब्ध होने के बाद ही मौजूदा संकट खत्म होगा। निश्चित रूप से हमें उससे आगे सोचना होगा।' उन्होंने कहा, 'विकास के लिए 70 सालों के प्रयास के बाद भी हमने अपने श्रमिकों को मुख्य रूप से छोटे-छोटे खेतों (उसमें से सात करोड़ औसतन चौथाई हेक्टेयर से कम आकार के हैं) और अनौपचारिक क्षेत्र में या स्वरोजगार के छोटे-मोटे धंधों में काम करने के लिए छोड़ दिया है, जिससे उन्हें हर दिन मुश्किल से गुजारा करने भर की आमदनी हो पाती है।'
पनगढ़िया ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 संकट ने यह साफ कर दिया है कि भारत को बेहतर भुगतान वाली औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि श्रमिक छोटे खेतों और कामधंधों से निकलकर अधिक उत्पादक तथा बेहतर भुगतान करने वाली नौकरियों में लगें।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि औद्योगिक और सेवा गतिविधियां कुटीर उद्योगों से छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों की ओर बढ़ें। उन्होंने कहा कि इस संकट से एक यह अवसर पैदा होता हुआ दिख रहा है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से दुनिया के दूसरे हिस्सों की ओर तेजी से जाएंगी। पनगढ़िया ने कहा, 'बहुराष्ट्रीय कंपनियां कोरोना महामारी के मद्देनजर अपनी गतिविधियों का अधिक से अधिक विकेंद्रीकरण करना चाहेंगी। भारत को यह मौका नहीं चूकना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि इस संकट के समय सरकार को भूमि और श्रम बाजारों के क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए, जिन्हें आमतौर पर सामान्य समय में लागू करना कठिन है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह श्रम बाजारों में अधिक लचीलापन आवश्यक है।