India-US Trade / भारत ने अमेरिका के 'डंपिंग' दावों को नकारा, कहा बासमती चावल है प्रीमियम निर्यात

भारत ने अमेरिका के चावल डंपिंग के आरोपों को खारिज किया है, यह कहते हुए कि वह अमेरिकी बाजार में मुख्य रूप से प्रीमियम बासमती चावल का निर्यात करता है, जिसकी कीमतें अधिक होती हैं। व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल ने पुष्टि की कि अमेरिका ने अभी तक कोई औपचारिक जांच शुरू नहीं की है।

भारत ने अमेरिका के उन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है, जिनमें कहा गया था। कि वह अमेरिकी बाजार में चावल को अनुचित रूप से कम कीमतों पर बेचकर 'डंपिंग' कर रहा है। नई दिल्ली का कहना है कि अमेरिका को उसके चावल निर्यात का अधिकांश हिस्सा उच्च गुणवत्ता वाले, प्रीमियम बासमती चावल का होता है, जिसकी कीमत सामान्य चावल की किस्मों की तुलना में स्वाभाविक रूप से काफी अधिक होती है। भारत का तर्क है कि उत्पाद की गुणवत्ता और बाजार मूल्य में यह मूलभूत अंतर डंपिंग के दावों को निराधार और भ्रामक बनाता है। भारत सरकार ने निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार प्रथाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, इस बात पर जोर दिया है कि उसकी निर्यात गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पूरी तरह से पालन करती हैं और

अमेरिकी दावों की उत्पत्ति

यह विवाद पिछले हफ्ते तब शुरू हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक बयान दिए, जिसमें आरोप लगाया गया कि भारत अमेरिकी बाजार में अपने चावल को "बहुत कम कीमतों" पर बेच रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय चावल आयात पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की संभावना का भी संकेत दिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक घर्षण बढ़ने की आशंका बढ़ गई। संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च पद से आए इन बयानों ने तुरंत ध्यान आकर्षित किया और भारतीय अधिकारियों की ओर से त्वरित प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने अपने चावल निर्यात के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की। अमेरिकी प्रशासन का रुख घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के उद्देश्य से एक व्यापक संरक्षणवादी व्यापार नीति का हिस्सा प्रतीत होता है।

भारत का रुख: प्रीमियम बासमती, डंपिंग नहीं

इन आरोपों पर सीधी प्रतिक्रिया देते हुए, भारत के व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित किया और किसी भी गलत काम से स्पष्ट रूप से इनकार किया। अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि, भारत के दृष्टिकोण से, डंपिंग का कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। उन्होंने विस्तार से बताया कि भारत का अमेरिकी बाजार में प्राथमिक निर्यात बासमती चावल है, जो अपनी अनूठी सुगंध और बनावट के लिए अत्यधिक मूल्यवान एक विशिष्ट सुगंधित लंबे दाने वाला चावल है। यह प्रीमियम उत्पाद सामान्य चावल की तुलना में स्वाभाविक रूप से अधिक महंगा होता है, जिससे इसकी बिक्री को डंपिंग के रूप में वर्गीकृत करना अतार्किक हो जाता है, जिसमें आमतौर पर माल को उनके उत्पादन लागत या घरेलू बाजार मूल्य से कम पर बेचना शामिल होता है।

औपचारिक जांच अभी शुरू नहीं हुई

व्यापार सचिव अग्रवाल द्वारा रेखांकित किया गया एक महत्वपूर्ण बिंदु भारतीय चावल की कथित डंपिंग की अमेरिका द्वारा कोई औपचारिक जांच शुरू न करना था और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं की है। औपचारिक जांच की यह कमी भारत की इस स्थिति को और मजबूत करती है कि आरोप समय से पहले और निराधार हैं,। और अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानूनों के तहत डंपिंग के मामले को स्थापित करने के लिए आमतौर पर आवश्यक कठोर जांच का अभाव है। भारत का कहना है कि वह किसी भी वैध जांच में सहयोग करने के लिए तैयार है, लेकिन वर्तमान में, ऐसी कोई प्रक्रिया चल नहीं रही है।

व्यापार में "डंपिंग" को समझना

विवाद के संदर्भ को पूरी तरह से समझने के लिए, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में "डंपिंग" की परिभाषा को समझना आवश्यक है। डंपिंग तब होती है जब कोई देश दूसरे देश को उन वस्तुओं का निर्यात करता है जिनकी कीमत उसके अपने घरेलू। बाजार में सामान्य रूप से ली जाने वाली कीमत से कम होती है, या उसकी उत्पादन लागत से कम होती है। डंपिंग के पीछे का इरादा अक्सर अनुचित प्रतिस्पर्धी लाभ प्राप्त करना, बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा करना, या आयात करने वाले देश में स्थानीय प्रतिस्पर्धा को खत्म करना होता है। ऐसे अभ्यासों को आमतौर पर अनुचित व्यापार माना जाता है और इससे प्रतिशोधात्मक उपाय हो सकते हैं, जिसमें घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात करने वाले राष्ट्र द्वारा लगाए गए एंटी-डंपिंग शुल्क शामिल हैं।

वैश्विक चावल निर्यात में भारत का प्रभुत्व

भारत वैश्विक चावल निर्यातकों में अग्रणी स्थान रखता है, जो उसकी विशाल कृषि क्षमताओं और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उसके महत्वपूर्ण योगदान का प्रमाण है। इस नेतृत्व की भूमिका का अर्थ है कि चावल क्षेत्र में भारत की व्यापार। प्रथाओं को अंतरराष्ट्रीय भागीदारों और प्रतिस्पर्धियों द्वारा समान रूप से बारीकी से देखा जाता है। भारत सरकार का दावा है कि उसकी चावल निर्यात नीतियां पारदर्शी हैं, विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का कड़ाई से पालन करती हैं, और अनुचित मूल्य निर्धारण रणनीतियों के माध्यम से बाजारों को विकृत करने के बजाय निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

अमेरिकी बाजार में निर्यात के आंकड़े

अपने दावों का समर्थन करने के लिए ठोस डेटा प्रदान करते हुए, भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने चावल निर्यात के आंकड़े उजागर किए और इस अवधि के दौरान, भारत का कुल चावल निर्यात विश्व स्तर पर प्रभावशाली 20. 2 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया। विशेष रूप से अमेरिकी बाजार के संबंध में, भारत से लगभग 335,000 टन चावल भेजा गया। इस आंकड़े का एक महत्वपूर्ण विश्लेषण बताता है कि इसका एक बड़ा हिस्सा, लगभग 274,000 टन, बासमती चावल था। यह डेटा भारत के इस तर्क का स्पष्ट रूप से समर्थन करता है कि अमेरिका को उसका निर्यात मुख्य रूप से एक प्रीमियम, उच्च-मूल्य वाले उत्पाद का है, न कि डंपिंग के इरादे से सस्ते, थोक चावल का।

व्यापक व्यापार संबंध और पिछले टैरिफ

चावल डंपिंग को लेकर मौजूदा विवाद कोई अलग घटना नहीं है, बल्कि यह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव की पृष्ठभूमि में सामने आया है। अगस्त में, राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने पहले ही कई भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था। ये टैरिफ, जो कुछ मामलों में 50% तक पहुंच गए थे, भारतीय निर्यात की एक श्रृंखला। को प्रभावित करते थे, जिसमें वस्त्र, रासायनिक उत्पाद और झींगा जैसे कुछ समुद्री खाद्य पदार्थ शामिल थे। ये पिछली कार्रवाइयां अमेरिका की ओर से संरक्षणवादी उपायों के एक व्यापक पैटर्न का संकेत देती हैं, जो द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में विवाद का एक बिंदु रहा है।

हालिया द्विपक्षीय चर्चाएँ

विभिन्न व्यापार-संबंधी मुद्दों को संबोधित करने और बेहतर समझ को बढ़ावा देने के प्रयास में, व्यापार सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में नई दिल्ली में अमेरिकी उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर से मुलाकात की। यह उच्च-स्तरीय बैठक, जो पिछले सप्ताह हुई थी, ने दोनों पक्षों को द्विपक्षीय व्यापार मामलों की एक विस्तृत श्रृंखला पर। चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया, जिसमें प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए चल रही बातचीत भी शामिल थी। इन चर्चाओं के दौरान, भारत ने निष्पक्ष, न्यायसंगत और नियम-आधारित व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें एकतरफा आरोपों के बजाय संवाद और आपसी समझ के माध्यम से विवादों को सुलझाने के महत्व पर जोर दिया गया और चर्चाओं का उद्देश्य सामान्य आधार खोजना और दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना था।

निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों को बनाए रखना

डंपिंग के आरोपों को भारत द्वारा दृढ़ता से खारिज करना वैश्विक मंच पर निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों को बनाए रखने के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और अमेरिका को अपने बासमती चावल निर्यात की प्रीमियम प्रकृति पर जोर देकर और किसी भी औपचारिक जांच की अनुपस्थिति को उजागर करके, भारत का उद्देश्य गलत धारणाओं को दूर करना और अपने कृषि व्यापार की अखंडता की रक्षा करना है। सरकार एक पारदर्शी और न्यायसंगत अंतरराष्ट्रीय व्यापार वातावरण की वकालत करना जारी रखती है, जिसमें सभी व्यापार विवादों को तथ्यात्मक विश्लेषण, स्थापित अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन और रचनात्मक संवाद। के माध्यम से हल करने का आग्रह किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि व्यापार संबंध दोनों देशों के लिए मजबूत और पारस्परिक रूप से लाभकारी बने रहें।