बॉलीवुड / प्रेग्नेंसी की वजह से दीया मिर्जा ने की शादी, एक्ट्रेस ने खुलकर कही ये बड़ी बात

Zoom News : Apr 05, 2021, 09:39 PM
बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा इन दिनों अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से जबरदस्त सुर्खियों में हैं। उन्होंने कुछ समय पहले अपनी प्रेग्नेंसी का ऐलान करते फैंस को बड़ा सरप्राइज दिया था। ये ऐलान दीया ने वैभव रेखी से शादी के लगभग दो महीने बाद ही किया। इसके बाद से सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने ये सवाल उठाया कि क्या उन्होंने प्रेग्नेंसी के चलते शादी की थी? वहीं अब दीया ने खुद ऐसे सवाल पर शानदार अंदाज में जवाब दिया है। उन्होंने ये साफ कर दिया है कि इस तरह की सोच किस कदर गलत है। इसके अलावा दीया ने प्रेग्नेंसी को अपनी जिंदगी की सबसे खुशी देने वाली खबर बताया है।

दीया मिर्जा के एक पोस्ट पर एक फॉलोवर ने कमेंट करते हुए लिखा- 'ये अच्छी बात है, बधाई लेकिन दिक्कत ये है कि, उन्होंने महिला पंडित के जरिए स्टीरियोटाइप तोड़ने की कोशिश की तो फिर वो अपनी शादी से पहले प्रेग्नेंसी की खबर क्यों एनाउंस नहीं कर पाईं? क्या शादी के बाद ही प्रेग्नेंट होना हमारे द्वारा फॉलो किया जाने वाला एक स्टीरियोटाइप नहीं है? क्यों महिलाएं शादी के पहले प्रेग्नेंट नहीं हो सकतीं?'

सोशल मीडिया पोस्ट पर मिले इस कमेंट का दीया ने बेहद शानदार जवाब दिया है। उन्होंने लिखा- 'दिलचस्प सवाल। पहली बात, हमने इसलिए शादी नहीं कि क्योंकि हमारा बेबी आ रहा था। हम पहले से ही शादी कर रहे थे और एक-दूसरे के साथ अपनी जिंदगी गुजारना चाहते थे। हमारा बेबी आने वाला है ये हमें तब पता चला जब हम अपनी शादी की तैयारी कर रहे थे। तो ये शादी, प्रेग्नेंसी की वजह से नहीं है। हम प्रेग्नेंसी की ऐलान तब तक नहीं किया, जब तक हमें ये पात नहीं चला की सब सुरक्षित है (मेडिकल कारण)'।

उन्होंने आगे लिखा- 'ये मेरी जिंदगी की सबसे ज्यादा खुशी देने वाली खबर है। मैंने इसके लिए कई कई सालों तक इंतजार किया है। ऐसा कोई कारण नहीं था जिसकी वजह से मैं ये खबर छुपाती, सिवाए मेडिकल के'। उन्होंने बताया कि यूजर के सवाल का जवाब उन्होंने क्यों दिया है- '1) बच्चे का होना जिंदगी का सबसे खूबसूरत गिफ्ट है। 2) इस खूबसूरत यात्रा से कोई शर्म नहीं जुड़ी होनी चाहिए। 3) एक महिला के तौर पर हमें अपनी पसंद से हर काम करना चाहिए। 4) चाहे हम चुनें कि हमें सिंगल पेरेंट होना है या फिर शादी करनी है ये हमारी च्वाइस होनी चाहीए। 5) एक समाज के तौर पर हमें इस विचार को अन स्टीरियोटाइप करना चाहिए क्या सही है और क्या गलत है, बल्कि खुद तो ट्रेन करना चाहिए ये पूछने को क्या न्याय है और क्या अन्याय'।

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