Doha Ceasefire / दोहा में PAK-अफगानिस्तान के बीच सीजफायर पर बनी सहमति, अब तुर्की में वार्ता

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच दोहा में हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद अब तुर्की में दूसरे दौर की वार्ता होगी। हालिया सीमा संघर्ष में दर्जनों लोग मारे गए थे। कतर और तुर्की की मध्यस्थता से यह युद्धविराम संभव हो पाया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया सीमा संघर्ष ने क्षेत्र में तनाव को काफी। बढ़ा दिया था, जिसमें दर्जनों लोगों की जान चली गई और सैकड़ों घायल हो गए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, कतर की राजधानी दोहा में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जहाँ दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने संघर्ष विराम पर सहमति व्यक्त की। इस समझौते को क्षेत्र में शांति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब इस वार्ता का दूसरा दौर तुर्की में आयोजित किया जाएगा, जहाँ स्थायी शांति और सीमा प्रबंधन पर चर्चा की जाएगी।

गहरे होते विवाद की पृष्ठभूमि

पिछले कुछ समय से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। दोनों देश एक-दूसरे पर सीमा पार से आक्रामकता का आरोप लगा रहे थे। पाकिस्तान का दावा है कि अफगानिस्तान अपनी सीमा से आतंकवादी समूहों को पाकिस्तान में हमले करने की अनुमति दे रहा है, जबकि अफगानिस्तान के तालिबान शासक इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। इस कटु सुरक्षा विवाद के कारण व्यापारिक गतिविधियाँ भी प्रभावित हुई थीं, जिससे दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा था। इस पृष्ठभूमि में, दोहा में हुए संघर्ष विराम समझौते ने तत्काल राहत प्रदान की है।

तालिबान सरकार का रुख और अगले दौर की वार्ता

इस संघर्ष विराम समझौते पर कतर और तुर्की ने मध्यस्थता की थी, जो दोनों देशों के बीच शत्रुता को रोकने में सफल रहे और यह युद्धविराम काफी हद तक कायम रहा है, जिससे दोनों पक्षों को आगे की बातचीत के लिए एक मंच मिल पाया। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पहले दौर की बातचीत के बाद एक बयान में कहा था कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान। के बीच सीजफायर समझौता हो गया है और पाकिस्तान की भूमि पर अफगानिस्तान से होने वाली आतंकवादी गतिविधियां तुरंत बंद की जाएंगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों पड़ोसी देश एक-दूसरे की जमीन और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भी बातचीत के सकारात्मक परिणामों की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पहले दौर की बातचीत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच आपस में सैन्य ठिकानों और रिहाइशी इलाकों में हमला न करने पर सहमति बनी है और मुजाहिद ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान पर हमला करने वाले संगठनों का समर्थन न करने वाला उनका बयान कोई औपचारिक या संयुक्त घोषणा का हिस्सा नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का पुराना स्टैंड है। दोहा में दोनों पक्षों के बीच सिर्फ यह सहमति बनी है कि एक-दूसरे के खिलाफ। किसी भी कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया जाएगा, जो समझौते का सबसे अहम बिंदु है। अब उप-गृह मंत्री हाजी नजीब इस्तांबुल जा रहे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि पाकिस्तान ने अपने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के बारे में जानकारी नहीं दी है।

आर्थिक प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ

सीमा संघर्ष के कारण दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए थे और अफगानिस्तान के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने बताया कि व्यापारियों को प्रतिदिन लाखों डॉलर का नुकसान हो रहा था, क्योंकि सीमा पारगमन और व्यापार ठप हो गया था। संघर्ष विराम से व्यापारिक मार्गों के फिर से खुलने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को राहत मिलेगी। हालांकि, स्थायी शांति के लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे के प्रति विश्वास बहाल करना और दीर्घकालिक समाधानों पर काम करना होगा। तुर्की में होने वाली वार्ता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जहाँ दोनों देशों। को अपने मतभेदों को दूर करने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का अवसर मिलेगा। इस वार्ता से यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए एक मजबूत नींव रखेंगे।