कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला है। जयपुर स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए डोटासरा ने आरोप लगाया कि आरएसएस, जो सीधे। तौर पर चुनाव नहीं लड़ता, वह इस तरह से राज कर रहा है जैसे उसे जनता ने चुनकर भेजा हो। उन्होंने कहा कि आरएसएस बिना जनता के वोट के सरकारों पर अपना अंकुश और आधिपत्य जमाए हुए है। डोटासरा ने इस बात पर जोर दिया कि राजस्थान एक स्वतंत्र राज्य है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने मिलकर इसे एक केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया है, जहां केंद्र की अनुमति के बिना कुछ भी संभव नहीं है। यह आरोप राज्य की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता। है, जिससे राज्य के संघीय ढांचे पर संभावित प्रभाव की चिंताएं बढ़ गई हैं।
ब्यूरोक्रेसी का हावी होना और मंत्रियों की बेबसी
डोटासरा ने राज्य में ब्यूरोक्रेसी के पूरी तरह हावी होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि चाहे मुख्यमंत्री हों या मंत्री, उनकी जायज बातें भी नहीं सुनी जातीं। ऐसे में आम जनता की समस्याओं का समाधान कैसे होगा, यह एक बड़ा प्रश्न है। उन्होंने मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार के अपने मुखिया और मंत्री ही अपनी बात मनवाने में असमर्थ हैं, तो सामान्य नागरिकों के लिए न्याय और राहत की उम्मीद करना व्यर्थ है। यह स्थिति राज्य में सुशासन की कमी और प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाती। है, जहां निर्वाचित प्रतिनिधियों की आवाज को अनसुना किया जा रहा है।
भाजपा की आंतरिक कलह और कार्यकर्ताओं में निराशा
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने भाजपा के भीतर चल रही आंतरिक कलह और कार्यकर्ताओं में व्याप्त निराशा को भी उजागर किया और उन्होंने बताया कि भाजपा के नेता खुद स्वीकार करते हैं कि उनकी हालत बहुत बुरी है और उनके कोई काम नहीं हो रहे। डोटासरा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि जब मुख्यमंत्री के भी काम नहीं होते, तो यह एक बड़ी विडंबना है और उन्होंने दावा किया कि आगामी चुनावों में भाजपा को 'टेंपो में बैठने जितने भी विधायक' नहीं मिलेंगे, और कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी मेहनत से उनका सफाया कर देंगे। यह बयान भाजपा के भीतर असंतोष और जनता के बीच उसकी घटती लोकप्रियता। की ओर इशारा करता है, जिससे पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठते हैं।
मंत्रियों की उपेक्षा और जनता से दूरी
डोटासरा ने मौजूदा सरकार के मंत्रियों की दयनीय स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के फोन तक कलेक्टर्स नहीं उठाते, जो प्रशासनिक व्यवस्था में गंभीर खामी को दर्शाता है। जब मंत्री जिलों का दौरा करते हैं, तो सर्किट हाउस में उनसे मिलने के लिए पांच लोग भी नहीं आते। डोटासरा के अनुसार, कार्यकर्ताओं में मंत्रियों से आशा खत्म हो चुकी है क्योंकि उनके काम नहीं होते। मंत्री अब अकेले जाते हैं, कलेक्टरों के साथ चाय-नाश्ता करके निकल जाते हैं, ये हालत है। यह स्थिति लोकतंत्र को कमजोर करने वाली है, जहां जनता और उनके प्रतिनिधियों। के बीच संवादहीनता बढ़ रही है और विश्वास का अभाव देखा जा रहा है।
ठेकों में 'गुजराती लॉबी' का वर्चस्व
डोटासरा ने राज्य में ठेकों के आवंटन में भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में जितने भी ठेके मिल रहे हैं, वे सभी 'गुजरात की लॉबी' को दिए जा रहे हैं। ये ठेकेदार दिल्ली से 'पर्ची' लेकर आते हैं और उन्हीं को ठेका मिलता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यदि कोई मंत्री किसी ठेके पर सवाल उठाता भी है, तो दो दिन बाद वह बात भूल जाता है और 'सेट हो जाता है'। डोटासरा ने ऐसे 20 उदाहरण गिनाने का दावा किया, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि कैसे मंत्री पहले सवाल उठाते हैं और फिर चुप हो जाते हैं। यह आरोप राज्य में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है, जिससे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की आशंकाएं बढ़ती हैं।
पुलिस विभाग में अनावश्यक पद सृजन पर सवाल
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने पुलिस विभाग में किए गए बदलावों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहले पुलिस हेड क्वार्टर और डीजीपी का एक इकबाल होता था, लेकिन अब एक डीजी के ऊपर चार-चार डीजी बैठा दिए गए हैं। उन्होंने कमिश्नर के साथ स्पेशल कमिश्नर के पद सृजन पर भी आपत्ति जताई और पूछा कि 'स्पेशल कमिश्नर अब क्या करेगा? ' डोटासरा का मानना है कि इस तरह के अनावश्यक पद सृजन से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और उसकी प्रतिष्ठा कमजोर हुई है, जिससे कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री की मंत्रिमंडल बैठक में मंत्रियों को फटकार
डोटासरा ने एक घटना का जिक्र किया जिसमें मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रियों को फटकार लगाई। उन्होंने बताया कि कुछ मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत की कि कलेक्टर और एसपी उनकी बात नहीं सुनते। जब मुख्यमंत्री ने पूछा कि किस-किसकी नहीं सुनते, तो एक मंत्री ने हाथ उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने उस मंत्री से कहा कि 'आपकी तो खुद की इतनी शिकायतें दिल्ली में, पीएम और अमित शाह तक पहुंच गई हैं। ' यह सुनते ही हाथ उठाने वाला मंत्री और बाकी सभी चुप हो गए। यह घटना भाजपा सरकार के भीतर गहरे मतभेदों और असंतोष को दर्शाती है, जिससे सरकार की आंतरिक स्थिरता पर सवाल उठते हैं।
निर्वाचन प्रक्रिया में अनियमितताओं पर चिंता
डोटासरा ने आगामी चुनावों से संबंधित कुछ चिंताओं को भी उठाया। उन्होंने कहा कि अंता में पार्टी मजबूत है और वे 'वोट चोरी' नहीं होने देंगे। उन्होंने बूथ लेवल एजेंट (BLA) को ट्रेनिंग न दिए जाने का मुद्दा उठाया और निर्वाचन विभाग ने BLA को दो दिन की ट्रेनिंग देने की बात कही थी, लेकिन कांग्रेस के किसी भी BLA को अब तक फोन करके सूचना नहीं दी गई है। उन्होंने इसे निर्वाचन विभाग की ड्यूटी में लापरवाही बताया, जो निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए चिंताजनक है।
डोटासरा ने एसआईआर (संभवतः वोटर सूची संशोधन) में हर वोटर से फोटो मांगे जाने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने सुझाव दिया कि जब बीएलओ घर-घर जा रहा है, तो वह एप में ही डिजिटल मोड से फोटो लेकर सेव कर ले। उन्होंने तर्क दिया कि गांव-ढाणियों में रहने वाले वोटर्स के लिए फोटो लाना मुश्किल होगा और चुनाव आयोग को इस पर विचार करना चाहिए। यह मुद्दा ग्रामीण मतदाताओं के लिए मतदान प्रक्रिया को सुलभ बनाने से संबंधित है, ताकि कोई भी मतदाता अनावश्यक बाधाओं के कारण अपने मताधिकार से वंचित न रहे।