दुनिया / कोरोना के कारण हार्वर्ड, कैंब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी के हालत खराब, पाकिस्तान ने विश्वविद्यालयों का ग्रांट रोका

Live Hindustan : Jul 08, 2020, 10:27 AM
America: कोरोना ने दुनिया में हार्वर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साथ-साथ मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों की वित्तीय हालत खराब कर दी है। छात्र तो कक्षाएं न होने से परेशान हैं, वहीं आय बंद होने से इन संस्थानों के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है। ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों को अनुदान नहीं मिल पा रहा है तो अमेरिका के हार्वर्ड जैसे बड़े संस्थान सरकार द्वारा राहत राशि वापस मांग लेने से संकट में हैं। ऑस्ट्रेलिया में तमाम शिक्षकों की नौकरी जाने की नौबत आ गई है।  

ऑस्ट्रेलिया में भी शिक्षकों की नौकरियां जा रही हैं। विश्वविद्यालय व कॉलेज संघ का अनुमान है कि छह महीनों में 39 संस्थानों को अपने 16 प्रतिशत यानी लगभग 21 हजार स्थायी शिक्षकों को नौकरी से निकालना पड़ेगा। सरकार ने पैकेज देने से इनकार कर दिया है।


ब्रिटेन में अनुदान रोकने से बंद होने के कगार पर कॉलेज  

अनुदान घटने या रोके जाने से विश्वविद्यालय संघ अनुमान लगा रहा है कि सभी विश्वविद्यालयों के लिए इस साल फंडिंग में 3.1 अरब डॉलर की कमी आ सकती है। छोटे कालेज बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। 


अमेरिका में ट्रंप ने फंड देने के बजाय हार्वर्ड से वापस मांगी

अमेरिकी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने सरकार से 26 अरब डॉलर के फंडिंग पैकेज की मांग की है। उल्टे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हार्वर्ड विश्वविद्यालय से राहत राशि वापस मांग चुके हैं। 


पाक ने विश्वविद्यालय अनुदान रोका

पाक ने खराब अर्थव्यवस्था का हवाला देकर पिछले माह विश्वविद्यालयों की ग्रांट पर रोक लगा दी। यही काम केन्या सरकार ने किया। कई दूसरे गरीब देशों में भी यही हाल है।  


2.2 खरब डॉलर का वैश्विक शिक्षा उद्योग

दुनियाभर में तमाम विद्यार्थी दूसरे देशों में जाकर पढ़ते हैं, जिससे फीस के रूप में विदेशी मुद्रा का लेनदेन होता है। यह वैश्विक उद्योग 2.2 खरब डॉलर का माना जाता है।


गरीब देशों में ऑनलाइन शिक्षा के संसाधन नहीं 

गरीब देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों और छात्रों के सामने पर्याप्त संसाधन इंटरनेट, मोबाइल आदि न होने का संकट है जिसके कारण यहां पढ़ाई और परीक्षाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं।  


यात्रा प्रतिबंध से नुकसान

यात्रा प्रतिबंध लगने के कारण कई देशों के विद्यार्थी वापस उस देश नहीं जा पा रहे हैं, जहां वे पढ़ाई कर रहे हैं। इससे पढ़ाई के साथ संस्थानों को फीस का नुकसान हो रहा है। 

विद्यार्थी आनलाइन कक्षाएं तो ले रहे हैं पर वे प्रयोगात्मक विषयों के लिए प्रयोगशाला के इस्तेमाल से वंचित हैं जो बड़ा नुकसान साबित होगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में कैंपस अनुभव यानी अलग लोगों से मिलना उन्हें ज्यादा अधिकारवादी नागरिक बनाता है। महामारी में विद्यार्थी इसकी कमी महसूस कर रहे हैं।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER